शिव-सती आराधना का विशेष पर्व महाशिवरात्रि
शिवजी का करें दर्शन-पूजन, रखें व्रत
करें रात्रि जागरण मिलेगी आलौकिक आत्मिक शान्ति
सोमवार के दिन महाशिवरात्रि एवं शिवयोग का अनुपम संयोग
भारतीय संस्कृति में हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार ब्रह्मा, विष्णु व महेश त्रिदेवों में भगवान शिव सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड के पालनहार अकालमृत्यु को हरनेवाले तथा सर्वसिद्धि के दाता माने गए हैं। भगवान शिवजी तैंतीस कोटि देवी-देवताओं में महादेव की उपमा से अलंकृत हैं। शिवजी की महिमा में फाल्गुम मास की कृष्णपक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन महाशिवरात्रि का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। पौराणिक मान्यता है कि चतुर्दशी तिथि के निशा बेला में भगवान शिव ज्योतिर्लिंग के रूप में अवतरित हुए थे। शिवपुराण के अनुसार प्रजापति दक्ष की कन्या सती का विवाह भगवान शिवजी से इसी दिन हुआ था। जिसके फलस्वरूप महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है।
प्रख्यात ज्योतिषविद् श्री विमल जैन जी ने बताया कि फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 4 मार्च, सोमवार को सायं 4 बजकर 34 मिनट पर लगेगी जो कि 5 मार्च, मंगलवार की सायं 7 बजकर 7 मिनट तक रहेगी। 4 मार्च, सोमवार को दिन में 1 बजकर 32 मिनट पर शिवयोग लग रहा है जो कि 5 मार्च, मंगलवार को दिन में 02 बजकर 31 मिनट तक रहेगा। चन्द्रोदय व्यापिनी चतुर्दशी तिथि (महानिशीथकाल) में मध्यरात्रि में शिवजी की पूजा करने का विशेष महत्व है। 4 मार्च, सोमवार को महानिशीथकाल रात्रि 11 बजकर 47 मिनट से 12 बजकर 37 मिनट तक रहेगा। चतुर्दशी तिथि में स्वामी भगवान शिवजी हैं। सोमवार के दिन शिवजी की आराधना शिवयोग में विशेष फलित होती है।
ऐसे करें शिव आराधना – ज्योतिषविद् श्री विमल जैन जी ने बताया कि महाशिवरात्रि पर भगवान शिवजी की पूजा-अर्चना विधि-विधानपूर्वक करने पर भगवान शीघ्र प्रसन्न होकर भक्तों को कल्याण का आशीर्वाद देते हैं। व्रत कर्ता को त्रयोदशी तिथि के दिन एक बार सात्विक भोजन करना चाहिए तथा चतुर्दशी तिथि के दिन व्रत उपवास रखकर भगवान शीवजी की आराधना करनी चाहिए। व्रत 4 मार्च, सोमवार को रखा जाएगा जबकि व्रत का पारण 5 मार्च, मंगलवार को तिल, बेलपत्र व खीर से हवन करने के पश्चात किया जाएगा। भगवान शिवजी की दूध व जल से अभिषेक करके उन्हें वस्त्र, चन्दन, यज्ञोपवीत, आभूषण, सुगन्धित द्रव्य के साथ बेलपत्र कनेर, धतूरा, मदार, ऋतुपुष्प, नैवेद्य आदि अर्पित किया जाता है। धूप-दीप के साथ पूजा-अर्चना पूर्व दिशा या उत्तर दिशा की ओर मुख करके करनी चाहिए। शिवभक्त अपने मस्तिष्क पर भस्म और तिलक लगाकर शिवजी की पूजा करें तो पूजा विशेष फलदायी होती है। भगवान शिवजी की महिमा में शिव-स्तुति, शिव-सहस्त्रनामस, शिव महिम्नस्तोत्र, शिवताण्डव स्तोत्र, शिव चालीसा, रुद्राष्टक, शिवपुराण आदि का पाठ करना चाहिए तथा शिवजी के प्रिय पंचाक्षर “मन्त्र ऊँ नमः शिवाय” का मानसिक जप करना चाहिए। शिवपुराण के अनुसार ‘ऊँ नमः शिवाय शुभं शुभं कुरु कुरु शिवाय नमः ऊँ’ इस मन्त्र के जप से सर्वविध कल्याण होता है। महाशिवरात्रि के पर्व पर शिवजी की पूजा-अर्चना करके रात्रि जागरण करना चाहिए।
महाशिवरात्रि पर्व पर करें राशि के अनुसार दान
मेष – भगवान शिवजी की पूजा गुलाल से करने के पश्चात लाल वस्त्र, लाल चंदन, गेहूं, गुड़, तांबा, लाल फूल आदि का दान करें।
वृषभ – शिवजी का अभिषेक दूध से करने के पश्चात सफेद फूल, सफेद चंदन, चावल, चांदी, घी, सफेद वस्त्र आदि का दान करें।
मिथुन – शिवजी का अभिषेक गन्ने के रस के करने के पश्चात मूंग, कस्तूरी, कांसा, हरा वस्त्र, पन्ना, सोना, मूंगा, घी का दान करें।
कर्क – शिवजी का अभिषेक पंचामृत से करने के पश्चात सफेद फूल, सफेद वस्त्र चावल, चीनी, चांदी मोती दही का दान करें।
सिंह – शिवजी का अभिषेक शहर से करने के पश्चात लाल फूल, लाल वस्त्र, माणिक्य, केशर, तांबा, घी, गेहूं, गुड़ आदि का दान करें।
कन्या – शिवजी का अभिषेक गंगाजल या शुद्धजल से करने के पश्चात हरा फूल, कस्तूरी, कांसा, मूंग, हरा वस्त्र, घी हरा फल का दान करें।
तुला – शिवजी का अभिषेक दही से करने के पश्चात सुगंध, सफेद चंदन, सफेद फूल, चावल, चांदी, घी, सफेद वस्त्र आदि का दान करें।
वृश्चिक – शिवजी का अभिषेक दूध व घी से करने के पश्चात गेहूं गुड़, तांबा, मूंगा, लाल वस्त्र, लाल चंदन, मसूर का दान करें।
धनु – शिवजी का अभिषेक दूध से करने के पश्चात पीला वस्त्र, चने की दाल, हल्दी, पीला फल, फूल, सोना, देशी घी का दान करें।
मकर – शिवजी का अभिषेक अनार के रस से करने के पश्चात उड़द, काला तिल, तेल काले वस्त्र, लोहा, कस्तूरी, कुलथी आदि दान करें।
कुम्भ – शिवजी का अभिषेक पंचामृत से करने के पश्चात काले वस्त्र, काला तिल, उड़द, तिल का तोल, छाता आदि का दान करें।
मीन – शिवजी का अभिषेक ऋतुफल से करने के पश्चात चने की दाल पीला वस्त्र, हल्दी, फूल, पीला फल, सोना आदि का दान करें।
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