भागीदारी से ही संसाधनों की उपलब्धता

0
143

कोरोना महामारी देश की सरकार और दुनिया के सामने नीति निर्माण के स्तर पर नए तरीके की चुनौती बनकर सामने आई। लोगों की भलाई के लिए संसाधन उपलब्ध कराना सबसे बड़ी चुनौती थी। जब दुनिया भर में वित्तीय संकट था, तब भारत के राज्य 2020-21 से ज्यादा उधार लेने में सफल रहे। आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि राज्य 1.06 लाख करोड़ रुपए का उधार लेने में सक्षम रहे। केंद्र और राज्यों की भागीदारी की वजह से संसाधनों की उपलब्धता संभव हुई। जब हमने महामारी को देखते हुए आर्थिक सुधार की प्रक्रिया तय की, तो हम सुनिश्चित करना चाहते थे कि हमारे समाधान वन साइज फिट ऑल मॉडल का पालन न करें। एक फेडरल देश के लिए राज्य सरकारों की तरफ से सुधारों को बढ़ावा देने राष्ट्रीय स्तर पर नीतिगत साधनों को तलाशना चुनौतीपूर्ण होता है। हमें अपनी संघीय राज्य-व्यवस्था पर पूरा भरोसा था। हम केंद्र और राज्य की भागीदारी की भावना से आगे बढ़े। जीएसडीपी की 2 फीसद अतिरिक्त अनुमति दी गई: मई 2020 में आत्मनिर्भर भारत पैकेज में राज्य सरकारों को 2020-21 के बीच उधारी की अनुमति दी गई। जीएसडीपी की 2 फीसद अतिरिक्त अनुमति दी गई। ये आर्थिक सुधार बेहद दुर्लभ थे।

इसी ने अतिरिक्त धन प्राप्त करने के लिए प्रगतिशील नीतियों को अपनाने के लिए राज्यों को प्रोत्साहित किया। जिन चार सुधारों से अतिरिक्त उधारी जुड़ी हुई थी। वे जीडीपी का 0.25 फीसद हिस्सा था। इसकी दो विशेषताएं थीं। पहली- सभी सुधार जनता, विशेष रूप से गरीब, कमजोर और मध्यम वर्ग के जीवन को आसान बनाने से जुड़ा था। दूसरा राजकोषीय स्थिरता को बढ़ावा देना था। पहला रिफॉर्म-वन नेशन वन राशन कार्ड: वन नेशन, वन राशन कार्ड की नीति के तौर पर पहले सुधार के लिए राज्यों की सरकारों को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत यह सुनिश्चित करना था कि राज्यों में राशन कार्ड सभी परिवार के सदस्यों के आधार नंबर के साथ लिंक हो। इससे पहले देश के प्रवासी श्रमिक देश में किसी भी जगह पर राशन प्राप्त कर सकते हैं। 17 राज्यों ने इस सुधार को अपनाया और उन्हें 37,600 करोड़ रुपए उपलब्ध कराए गए। दूसरा रिफॉर्म-इज ऑफ डूइंग बिजनेस पर खास ध्यान दिया: बिजनेस को आसान बनाने पर भी जोर दिया गया। इसके तहत राज्यों को सुनिश्चित करना था कि इसमें 7 अधिनियम के तहत बिजनेस से जुड़े लाइसेंस को कम कीमत के भुगतान पर उपलब्ध किया जाए। इसमें ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को रखा गया।

ये सुधार सूक्ष्म और छोटे उद्योगों के लिए मददगार साबित हुए। खासकर वे लोग जो इंस्पेटर राज के बोझ से पीडि़त थे। इस सुधार ने अधिक निवेश और तेज विकास को भी बढ़ावा दिया। जिन 20 राज्यों ने इस सुधार को पूरा किया, उन्हें 39,521 करोड़ रुपए के उधार की अनुमति दी गई। तीसरा रिफॉर्म- प्रॉपर्टी टैक्स में सुधार पर जोर दिया: 15वें वित्तीय आयोग और कई संस्थानों ने प्रॉपर्टी टैस में सुधार को लेकर जोर दिया। इसके लिए राज्यों को प्रॉपर्टी टैस और पानी- सीवरेज चार्ज को न्यूनतम दरों पर लागू करना था। ये शहरी गरीबों और मध्यम वर्ग को सर्विस की बेहतर वालिटी, इन्फ्रास्ट्रचर और डेवलपमेंट को प्रोत्साहित करने के लिए सक्षम बनाएगा। इससे शहरी क्षेत्रों में गरीबों को अधिक लाभ होगा।

इस सुधार से नगर निगम के कर्मचारियों को भी लाभ मिला, जिन्हें असर मजदूरी के भुगतान में देरी का सामना करना पड़ता है। 11 राज्यों ने इन सुधारों को पूरा किया और उन्हें 15,957 करोड़ रुपए उधार दिए गए। चौथा रिफॉर्म किसानों को डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) करना: चौथा सुधार डायरेट बेनिफिट ट्रांसफर था। साल के आखिर तक इसे हर जिले में धरातल पर लागू करने और राज्य भर के लिए एक योजना तैयार करने की आवश्यकता थी। इसमें जीएसडीपी का 0.15 फीसद रुपए की उधारी जुड़ा हुआ था। ये वितरण कंपनियों के वित्त में सुधार करता है। पानी और ऊर्जा के संरक्षण को बढ़ावा देता है। बेहतर वित्तीय और तकनीक से सर्विस वालिटी में सुधार करता है। जिन 19 राज्यों ने इसे लागू किया। उन्हें 13,201 करोड़ की अतिरिक्त उधारी की अनुमति दी गई।

नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here