भगवा महज एक रंग नहीं

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भगवा महज एक रंग नहीं...
भगवा महज एक रंग नहीं...

दुनिया में कई रंग है और यह दुनिया रंग बिरंगी है। किसी को लाल तो किसी को पीला रंग पसंद है। किसी को हरा तो किसी को नीला रंग पसंद है। रंग चाहे जो हो सबको कोई ना कोई रंग जरूर पसंद है। हिन्दू धर्म में प्रत्येक रंग का अपना अलग महत्व है। भगवा रंग सिर्फ हिंदू धर्म में ही आस्था का प्रतीक नहीं है। इस रंग को कई अन्य धर्मों में भी पवित्र माना जाता है।

केसरिया या भगवा रंग त्याग, बलिदान, ज्ञान, शुद्धता एवं सेवा का प्रतीक है। कहा जाता है कि शिवाजी की सेना का ध्वज, राम, कृष्ण और अर्जुन के रथों के ध्वज का रंग केसरिया ही था। भगवा रंग शौर्य, बलिदान और वीरता का प्रतीक भी है। भगवा या केसरिया सूर्योदय और सूर्यास्त का रंग भी है, मतलब हिन्दू की चिरंतन, सनातनी, पुनर्जन्म की धारणाओं को बताने वाला रंग है यह। जैसे हम सभी को पता है कि हिन्दू धर्म में सूर्य और अग्नि दोनों को पूजा जाता है। रौशनी और अग्नि बुराइयों को दूर करती है। केसरिया या पीला रंग सूर्य और अग्नि का प्रतिनिधित्व करता है।

अग्नि में आपको लाल, पीला और केसरिया रंग ही अधिक दिखाई देगा। हिन्दू धर्म में अग्नि का बहुत महत्व है। यज्ञ, दीपक और दाह-संस्कार अग्नि के ही कार्य हैं। अग्नि का संबंध पवित्र यज्ञों से भी है इसलिए भी केसरिया, पीला या नारंगी रंग हिन्दू परंपरा में बेहद शुभ माना गया है। कहा जाता है कि पुराने ज़माने में साधु संत जब मोक्ष की प्राप्ति के लिए निकला करते थे तब अपने साथ अग्नि को भी लेकर निकलते थे। यह अग्नि उनकी पवित्रता की निशानी बन जाती थी। पर हर समय अग्नि रखना कठिन था इसलिए अग्नि की जगह भगवा रंग के ध्वज को साधु संत लेकर चलने लगे फिर धीरे धीरे साधू संत केसरिया या कहें भगवा रंग के वस्त्र भी पहनने लगे।

भगवा रंग का इस्तेमाल हिंदू के साथ ही बौद्ध धर्म और सिख धर्म में भी होता है। बौद्ध भिक्षु हमेशा भगवा कपड़ों में ही रहते हैं। सिख धर्म के अनुयायी भगवा पगड़ी को महत्व देते हैं, गुरु ग्रंथ साहेब को भी भगवा वस्त्र में रखा जाता है। सिख धर्म की ध्वजा निशान साहेब भी भगवा रंग की है। पूरे झंडे को भगवा कपड़ों में ही लपेटकर रखा जाता है। भगवा रंग का हिंदू धर्म या कहें कि सनातन धर्म का हिस्सा बनने की कहानी भी बहुत पुरानी है। भगवा वास्तव में ऊर्जा का प्रतीक है। जीवन और मोक्ष को भगवा के बिना प्राप्त नहीं किया जा सकता। यह शब्द भगवान से निकला है। यानी भगवान को मानने वालों का भगवा रंग प्रतीक बन गया।

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