बेबस-बेघर-बेचैन

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नई दिल्ली। दिल्ली से मजबूर लाखों लोगों के पलायन ने लॉकडाउन में ब्रेकडाउन कर दिया है। जिस मकसद से ये तालाबंदी की गई थी वो हुजूम ने तहस-नहस कर दिया है। इससे भारत पर तीसरी स्टेज में पहुंचने का खतरा और ज्यादा मंडराने लगा है। दिल्ली सरकार ने डीटीसी की बसों को लगाया है। स्कूलों के दरवाजे जनता के लिए खोल दिये हैं। खाने-पीने-रहने की व्यवस्था की है लेकिन लोग मानने को तैयार नहीं। योगी सरकार ने भी स्पेशल हजार बसों की व्यवस्था की है। हर जिले में कम्युनिटी किचन खोले हैं और भरोसा दिलाया है कि कोई भूखा नहीं रहेगा लेकिन लोग मानने को तैयार नहीं। शनिवार को भी गाजियाबाद-कौशांबी बॉर्डर पर हजारों की संख्या में लोग देर रात तक बसों के इंतजार में पड़े रहे। हिमत जुटाकर अपने घरों की ओर जाने वालों की संख्या में भी कोई कमी नहीं आई। योगी सरकार ने हजार बसों का प्रबंध किया है जो कि गोरखपुर, लखनऊ, एटा, इटावा, मैनपुरी, सहित कई जिलों में जाएंगी। सूचना के मुताबिक बसें नोएडा और गाजियाबाद पहुंच रही हैं और लोगों को धीरे-धीरे करके भेजा जा रहा है। उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से बताया गया है कि हर दो घंटे में 200 बसें मिलेंगी और यह सुविधा 29 मार्च तक ही मिलेगी।उत्तर प्रदेश परिवहन निगम के एमडी राजशेखर ने एक पत्र डीएम, एसएसपी, एसपी को इसलिए लिखा ताकि बसों को बॉर्डर चेकपाइंट पर रोका न जाए। 28 और 29 मार्च को किया जाएगा।

पत्र में यह भी साफ है कि बस की पूरी जानकारी रखी जाएगी। जहां बस रुकेगी वहां उनकी कोरोना वायरस की जांच भी होगी। यात्रियों के नाम, पते, फोन नंबर आदि भी रखे जाएंगे ताकि आगे मॉनिटरिंग हो सके। सुबह से ही भीड़: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार दिल्ली -एनसीआर में फंसे प्रवासी मजदूरों को उनके घर पहुंचाने के लिए विशेष बसें चलाने जा रही है, इसकी भनक लगते ही आनंद विहार बस अड्डे पर बेहाल लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। सुबह से ही मजदूर दिल्ली -एनसीआर के अलग-अलग इलाकों से घंटों पैदल चलकर आनंद विहार टर्मिनल पहुंचने लगे, इस आस में कि उन्हें भी बस में जगह मिल जाएगी। वहीं, कई ऐसे लोग भी हैं जो अब भी किसी पर भरोसा नहीं कर रहे और घर के लिए पैदल निकल पड़े हैं। उधर, गाजियाबाद के लालकुआं स्थित बस अड्डे पर भी प्रवासी मजदूरों का ऐसा ही हुजूम देखने को मिला। यहां हजारों मजदूर दिल्ली, गुरुग्राम समेत अन्य जगहों से पैदल चलकर यहां पहुंचे ताकि बस पकड़कर अपने-अपने घर वापस जा सकें। रिशा से घर की ओर: राष्ट्रीय राजमार्ग 24 पर ऐसा ही एक परिवार मिला जो उत्तर प्रदेश के बदायूं जा रहा था। परिवार का मुखिया अपनी पत्नी और बच्चों को बिठाया, सामान रखे और रिक्शा खींचते हुए निकल पड़े 440 किमी की दूरी तय करने। उन्होंने बताया कि बदांयू 400 किमी है और वहां से भी उनका गांव 40 किमी दूर है।

उनसे पूछा गया कि क्या बच्चों ने खाना खाया तो बोले, खाना कहां से खाएंगे, पैसे ही नहीं हैं उन्होंने कहा कि घर से निकले थे तो कुछ पूडिय़ां बनाकर रख ली थीं, वो खत्म हो गईं। पॉकेट में 10-50 रुपये पड़े हैं, उनसे बिस्किट, नमकीन खिला दूंगा। पैदल चल रहे इस शस ने बताया कि मकान मालिक किराये के लिए तंग कर रहा है, सामान महंगे होते जा रहे हैं, रोजगार बचा नहीं तो यहां रहेंगे कैसे? उन्होंने बताया कि होली के बाद गांव से आए तब से कुछ दिन कमाई हुई, लेकिन इतनी नहीं कि कुछ बचा लेते। अब जब संकट आया है तो घर लौटने के सिवा कोई चारा नहीं बचा है। सिसोदिया ने समझाया: गाजीपुर बॉर्डर पर लोग बड़ी संख्या में जमा हैं। ऐसे में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया वहां पहुंचे और उन्होंने आश्वासन दिया कि वह डीटीसी बसों का इंतजाम करेंगे। सिसोदिया ने कहा, मैंने लोगों से अपील की है कि वे दिल्ली में ही रुकें लेकिन कुछ डीटीसी बसों का भी प्रबंध किया है। उन्होंने कहा कि दिल्ली के 568 स्कूलों में खाना खिलाया जा रहा है, लोग जाकर खा सकते हैं। अगर किसी को रुकने में दिक्कत है तो नाइट शेल्टर के अलावा स्कूलों में रुक सकते हैं।

कई स्कूलों को नाइट शेल्टर में बदला जाएगा । दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी लोगों को भरोसा दिया था कि लोग दिल्ली से घरों की तरफ न जाएं। उन्होंने कहा था, दिल्ली में किसी भी राज्य के रहने वाले लोग हमारे हैं और हम उनका खयाल रखेंगे। केजरीवाल ने कहा था कि दिल्ली के 25 स्कूलों में लोगों के लिए भोजन तैयार किया जाएगा और रोज 2 लाख लोगों को भोजन कराया जाएगा। दवा का संकट: कोरोना वायरस की महामारी को रोकने के लिए केंद्र सरकार द्वारा किए गए देशव्यापी लॉकडाउन का असर शहरों में जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति पर दिखने लगा है। कुल 1.2 करोड़ ट्रकों में से लगभग 60 फीसदी ट्रक शहरों तथा राजमार्गों पर फंसे हैं, क्योंकि पुलिस ने इनपर गैर-जरूरी एफएमसीजी कार्गो लदा बताकर उनका परिचालन रोक दिया है। ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस ने कहा है कि इन ट्रकों को अपने गंतव्यों तक जल्द से जल्द पहुंचने की अनुमति दी जानी चाहिए, ताकि वे उसपर लदे माल को उतारकर जरूरी सामानों को लादकर उन्हें उन बाजारों तक पहुंचा सकें, जो जरूरी सामानों की स्टॉक की कमी से जूझ रहे हैं।

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