दुनिया के सुपर पावर देश अमेरिका में राष्ट्रपति के चुनाव हो चुके हैं। पूरे चुनावी माहौल में डोनाल्ड ट्रंप व जो बाइडेन के बीच कांटे का मुकाबला रहा। अमेरिकी व भारतीय मीडिया शुरू से ही इस बात का अनुमान लगा रहे थे, कि इस बार अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप को हार का मुंह देखना पड़ सकता है। आम भारतीयों की हमदर्दी दोनों के बीच बंटी हुई है। अधिकांश भारतीय अमेरिका में जो बाइडेन को राष्ट्रपति देखना चाहते हैं, योंकि अमेरिका की मीडिया ने डोनाल्ड ट्रंप की तस्वीर नकारात्मक रूप में प्रस्तुत की है। अभी हाल ही हुई दोनों उम्मीदवारों के बीच चुनावी बहस में भारत को गंदा देश करार दे दिया।
इसके अलावा भी कोरोना वायरस के प्रति ट्रंप गंभीर न होना भी वहां की जनता में एक नई दिशा प्रदान कर रहा था। इसके अलावा डेमोके्रटिक पार्टी से उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवार कमला हैरिस जो भारत मूल होने से भारतीयों की सहानुभति बाइडेन के प्रति अधिक थी। अभी तक जो नतीजे प्राप्त हुए हैं उसमें जो बाइडेन ट्रंप से बढ़त बनाए हुए हैं। चुनावी दौर में ट्रंप के बेटे जूनियर ट्रंप ने कश्मीर का पाक हिस्सा बताकर भारतीयों की भावना को ठेस पहुंचाई है। जिस ट्रंप के स्वागत को मोदी सरकार ने नमस्ते ट्रंप में करोड़ों खर्च किए थे वही ट्रंप भारत को गंदा देश बताकर उसका उपहास करने पर लगे हैं। इसके बावजूद हमारे पीएम का दिल देखिए कि वह दोस्ती का हक अदा करते अमेरिका में बसे भारतीयों ट्रंप के हक में वोट डालने की अपील की।
यदि अमेरिका राष्ट्रपति के चुनाव के नतीजे बाइडेन के हक में आए और वह राष्ट्रपति बन गए तो या भारत- अमेरिका के रिश्ते इतने मधुर रहेंगे जितना ट्रंप के कार्यकाल रहे। इस प्रश्न का उत्तर तो भविष्य के गर्भ में छिपा है, जो वत आने पर पता चलेगा। अभी तो देखना है कि यदि राष्ट्रपति बाइडेन बने तो उनका रुख भारत-पाक में किसकी ओर रहेगा। या दोनों देशों के विवाद की जड़ कश्मीर मुददे को हल कराने में भारत की मदद करेंगे। या ये मुदृदा गत वर्षों की भांति लटका रहेगा। हालांकि लग रहा है कि नए राष्ट्रपति की नई सोच से भारत को लाभ मिल सकता है।
एम. रिजवी मैराज
(लेखक एक पत्रकार हैं, ये उनके निजी विचार है)