बुधवार को करवाचौथ का पर्व मनाया गया। पंजाब और उत्तर भारत के अनेक क्षेत्रों में यह मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए निर्जल उपवास रखती हैं और चांद दिखने पर ही पानी पीती हैं। चांद के दर्शन छलनी के माध्यम से किए जाते हैं। कुछ फि़ल्मकारों ने अपनी फिल्मों में करवाचौथ के सीन रखे और इसे अखिल भारतीय स्वरूप दे दिया गया। संजय लीला भंसाली की सलमान खान ऐश्वर्या रॉय और अजय देवगन अभिनीत फिल्म ‘हम दिल दे चुके सनम’ में करवाचौथ का सीन प्रभावोत्पादक बन पड़ा है। सूरज बडज़ात्या की राह पर चलते हुए आदित्य चोपड़ा और करण जौहर की फिल्मों में करवाचौथ को और अधिक लोकप्रियता दिला दी भारतीय पत्नियां अपने पतियों के दीर्घ जीवन के लिए यह उपवास करती हैं। विधवा का जीवन अत्यंत दुश्वार बना दिया गया है। कुछ लोग विधवाओं को आश्रम भेज देते हैं। कुछ विधवा आश्रम में उन अभागी स्त्रियों का शोषण किया जाता है। फि़ल्मकार दीपा मेहता की फिल्म ‘वॉटर’ में इस घिनौने यथार्थ को प्रस्तुत किया गया था।
ग़ौरतलब है कि पति, पत्नी की दीर्घ आयु के लिए उपवास नहीं करता। वह तो दूसरे विवाह के लिए तत्पर रहता है। भारत उत्सव प्रेमी देश है। भारत में सिनेमा के प्रारंभिक दौर में मायथोलॉजी प्रेरित फिल्में बनीं। वर्तमान में महामारी ने उत्सव का स्वरूप बदल दिया है। दीवाली पर पटाखों का इस्तेमाल कुछ प्रांतों में प्रतिबंधित हो चुका है। फुस्सी बम नुमा प्रांतीय सरकारें ऐसा नहीं कर पा रही हैं। उन्हें अपने बहुसंख्यक वोट बैंक को सुरक्षित रखना है जबकि सभी क्षेत्रों में सुरक्षा को भ्रम माना जा रहा है। इस समय कुछ उप चुनाव भी हुए हैं। चुनाव खर्च से करेंसी बाजार में जान आ जाती है। शून्य से 23 अंक नीचे गिरी जीडीपी को सच्चे झूठे आंकड़ों द्वारा बदलने के प्रयास हो रहे हैं। प्रदूषण के कारण दिल्ली में नए उद्योग खोलने पर प्रतिबंध लग गया है। अब लगता है कि गांधीजी द्वारा लोकप्रिय किया गया चरखा वापसी कर सकता है। राज कपूर अपनी पत्नी के साथ न्यूयॉर्क में थे। उनके मित्र अभिनेता डैनी ने उन्हें रात्रि भोजन पर आमंत्रित किया। डैनी स्वयं स्वादिष्ट भोजन पकाते थे। डिनर का समय रात 8 बजे का तय था।
करवा चौथ होने के कारण श्रीमती कृष्णा कपूर का उपवास था। गगन चुंबी इमारतों के न्यूयॉर्क में चांद देखने के लिए राज कपूर ने श्रीमती कृष्णा कपूर के साथ कार द्वारा कुछ मील की यात्रा की। इस कारण वे डैनी घर देर से पहुंचे। जब देरी के कारण डैनी को बताया गया तब उनकी नाराजग़ी दूर हुई। उन्होंने पहले पकाया हुआ भोजन हटा दिया और नए सिरे से भोजन बनाया। उस दिन मित्रता की रक्षा बड़ी कठिनाई से हो पाई। विज्ञान ने सिद्ध कर दिया है कि चांद पर केवल धूल है और कोई भी हरी सब्जी नहीं उगती। पानी नहीं है, इसलिए जीवन भी संभव नहीं है। विज्ञान की इस खोज के बाद भी करवा चौथ पर चांद देखने का रिवाज जारी है। हम विज्ञान द्वारा बनाए गए साधनों का इस्तेमाल करते हैं परंतु तर्क प्रधान विचारधारा से हम परहेज ही करते रहे हैं। इस्लाम मानने वाले भी चांद दिखने पर आखिरी रोजा खोलते हैं और ईद मनाई जाती है। किसी भी देश में चांद दिखाई देने पर रोजा खोला जा सकता है। अधिकांश धर्म के अनुयाइयों के लिए सूरज से अधिक उत्सव चांद पर निर्भर करते हैं। गुलजार रचित एक गीत इस तरह है।
‘रोज अकेली आए, रोज अकेली जाए, चांद कटोरा लिए रात भिखारन’। शैलेंद्र लिखते हैं, ‘दम भर जो चांद मुंह फेरे मैं उनसे प्यार कर लूंगी, बातें हजार कर लूंगी’। गुरुदा ने ‘कागज के फूल’ में बहुत घाटा सहा और उससे उबरने के लिए ‘चौदहवीं का चांद’ नामक सफल फिल्म बनाई। कमाल अमरोही की ‘पाकीजा’ में गीत है, ‘चलो दिलदार चलो चांद के पार चलो।’ गजानन माधव मुतिबोध लिखते हैं ‘चांद का मुंह टेड़ा है।’ करवाचौथ का उपवास और रोजों पर फाकाकशी जि़ंदगी की हकीक़त है। कुछ और नहीं इंसान हैं हम: स्वरा भास्कर ने कहा कि ‘अनारकली ऑफ आरा’ की शूटिंग के समय एक जूनियर कलाकार ने त्रुटिवश उसकी आंख पर ज़ोरदार घूंसा मारा। घूंसा मारना पटकथा का हिस्सा था। स्वरा को उस आंख से दिखना बंद हो गया। सेट पर ही डॉक्टर बुलाया गया परंतु दवा से कोई लाभ नहीं हुआ। अल्प बजट में बन रही फिल्म में आखिरी सीन की शूटिंग उस दिन आवश्यक थी। यह तय किया गया कि दुपट्टे से आंख ढककर शॉट ले लेते हैं। जब निर्देशक ने एशन कहा तो जाने कैसे स्वरा की चोटिल आंख खुल गई। निर्देशक द्वारा बोले गए ‘एशन’ और कट कहने के बीच कुछ जादू सा हो जाता है।
अभिनय क्षेत्र के कलाकार एशन और कट के बीच के समय को भूलकर पात्र की त्वचा में प्रवेश कर जाते हैं। इसी तरह खेल-कूद में खिलाड़ी अपने दर्द को सहन करते हुए खेल जारी रखते हैं। मीना कुमारी ने रोने-धोने की इतनी भूमिकाएं की थीं कि उन्हें आंसू बहाने के लिए आंख में ग्लिसरीन नहीं डालना पड़ता था। बाजार द्वारा शासित काल खंड में मनुष्य रो भी नहीं पाएगा। इस तरह के लोग शोक जताने जाते समय जेब में कटा हुआ प्याज ले जाते हैं। थोड़ा सा रस आंख में डालने पर आंसू आ जाते हैं। ग्लिसरीन डालकर आंसू लाना फिल्म शूटिंग के समय की बात है परंतु यथार्थ जीवन में प्याज डालकर आंसू उत्पन्न करना कुछ अलग ही बात है। शैतान बच्चे अपनी बगल में कटा हुआ प्याज रखते हैं तो शरीर का ताप बढ़ जाता है। छुट्टी लेने के लिए यह जतन किया जाता है। एक शेर का आशय यह है कि ‘इश्क की पाठशाला में जिसे सबक याद हुआ, उसे छुट्टी न मिली।’ पूरी सावधानी बरतने के बाद भी शूटिंग के समय दुर्घटना हो जाती है। मनमोहन देसाई की फिल्म ‘कुली’ की शूटिंग में मारधाड़ के सीन में अमिताभ बच्चन मेज से टकरा गए । गंभीर चोट के कारण उन्हें चार्टर्ड फ्लाइट से मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया। उस समय यश जौहर, डॉक्टर द्वारा लिखी गई दवा विदेश से मंगवा देते थे।
कुछ पायलट उनके गहरे मित्र थे। शूटिंग के समय एक एम्बुलेंस हमेशा साथ ले जाई जाती है। घायल व्यक्ति का त्वरित इलाज कराया जाता था। टीवी कार्यक्रम ‘दस के दम’ की शूटिंग में एक महिला अपनी बेटी को बधाई देने मंच की ओर दौड़ी। अचानक वह गिर गई और उसे अस्पताल भेजा गया शीघ्र ही वह ठीक हो गई। हर शूटिंग में अकस्मात हुई दुर्घटना के लिए बजट में प्रावधान रखा जाता है। राष्ट्रीय बजट में ऐसा प्रावधान नहीं किया जाता। बजट प्रस्तुतिकरण में केवल एक अंतर यह आया है कि पहले विा मंत्री एक ब्रीफ़केस में बजट की फाइलें ले जाते थे, आजकल पारंपरिक बही खाता ले जाते हैं। जिसके दोनों कॉलम में शुभलाभ लिखा जाता है। दरअसल शुभलाभ का अर्थ यह है कि किसी को धोखा देकर हानि पहुंचाकर यह लाभ अर्जित नहीं किया गया हो। कुछ प्रवीण कलाकारों को वन टेक कलाकार कहते हैं जिसका अर्थ है कि पहले प्रयास में वे श्रेष्ठतम प्रदर्शन करते हैं। कभी एक ही शॉट के लिए 50 प्रयास करने पड़ते हैं। कभी तकनीशियन तो कभी कलाकार चूक जाता है। हम सब मनुष्य हैं और गलती हो जाती है। शैलेंद्र का गीत है ओ मेरे सनम, ओ मेरे सनम जो सच है सामने आया है, जो बीत गया एक सपना था, ये धरती है इंसानों की कुछ और नहीं इंसान हैं हम।
जयप्रकाश चौखसे
(लेखक फिल्म समीक्षक हैं ये उनके निजी विचार हैं)