धोनी ने हरवा दिया इंडिया को!

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विश्व की नंबर एक क्रिकेट टीम विश्व कप से बाहर हो गई। सेमीफाइनल में भारत की टीम न्यूजीलैंड से हार गई। लीग राउंड में भारत और न्यूजीलैंड का जैसा प्रदर्शन था, उसे देख कर किसी को उम्मीद नहीं थी कि न्यूजीलैंड की टीम भारत को हरा पाएगी। लीग के पूरे नौ मुकाबले में भारत की टीम सिर्फ एक मैच हारी थी। वह भी इंगलैंड से, जिसके पीछे की कहानी कुछ और है। भारत ने या कम से कम आखिर तक बल्लेबाजी करने वाले महेंद्र सिंह धोनी और केदार जाधव ने वह मैच जीतने का प्रयास ही नहीं किया। उस मैच में भारत का आचरण पेशेवर नहीं था और न एक विजेता टीम के अनुरूप था। इंग्लैड का जीतना पाकिस्तान के विश्व कप से बाहर होने के लिए जरूरी था। सो, भारत ने वह मैच जीतने के लिए नहीं खेला।

जबकि सेमीफाइनल में अपने आप ऐसी स्थितियां बनीं कि भारत अंत तक जीतने के लिए खेलता नहीं दिखा। पूरे मैच में ऐसा लगा, जैसे टीम हार का अंतर कम करने के लिए खेल रही है। इससे दुनिया की नंबर एक क्रिकेट टीम भारत की कई कमजोरियां जाहिर हुईं। लीग स्टेज के हर मैच में भारत के शुरुआती तीन बल्लेबाजों ने ही रन बनाए। शिखर धवन के चोटिल होकर भारत लौटने के बाद उनकी जगह लेने वाले केएल राहुल, रोहित शर्मा और विराट कोहली, इन तीन बल्लेबाजों ने रन बनाए। इनके अलावा जरूरत होने पर किसी मैच में किसी अन्य खिलाड़ी ने रन बनाए तो वह अपवाद की बात थी। बाकी काम गेंदबाजों ने किया। सेमीफाइनल में पहला मौका था, जब शुरुआत के तीन या चार बल्लेबाज सस्ते में आउट हो गए और उसका नतीजा सबके सामने है। टीम इंडिया के मध्य क्रम को अपनी क्षमता साबित करनी थी पर रविंद्र जडेजा को छोड़ कर बाकी सबने निराश किया।

सबसे ज्यादा निराश महेंद्र सिंह धोनी ने किया। उन्होंने जो काम इंग्लैंड के खिलाफ मैच में किया, जिसके लिए उनकी जबरदस्त आलोचना हुई थी, लगभग वहीं काम सेमीफाइनल में किया। धोनी ने टीम इंडिया के लिहाज से सबसे अहम 47वें और 48वें ओवर को जाया होने दिया। उसमें वे एक-एक रन लेते रहे, जिसके दबाव में रविंद्र जडेजा आउट हुए। ऐसा लगा, जैसे 49वें ओवर तक रूक कर धोनी ने यह सुनिश्चित किया कि टीम जीत नहीं सके। यह संभवतः उनकी विदाई का मैच था। वे हार के बावजूद इस संतोष के साथ रिटायर हो सकते हैं कि आखिरी विश्व कप जीतने का रिकार्ड उन्हीं के नाम रहेगा। बहरहाल, इस हार ने तीसरे विश्व कप के लिए भारत का इंतजार लंबा कर दिया है।

ऐसा इसलिए क्योंकि इस समय भारत की टीम एकदिवसीय क्रिकेट की नंबर एक टीम है। एकदिवसीय क्रिकेट का नंबर एक बल्लेबाज विराट कोहली भारतीय टीम का कप्तान है और एकदिवसीय क्रिकेट का नंबर एक गेंदबाज जसप्रीत बुमराह भारत का शुरुआती गेंदबाज है। अगर यह टीम विश्व कप नहीं जीत सकी तो पांच साल बाद जो टीम होगी, उसके लिए विश्व कप जीतना ज्यादा मुश्किल होगा। वैसे तो क्रिकेट को गौरवशाली अनिश्चितताओं का खेल कहा जाता है इसलिए अगले विश्व कप की अभी से भविष्यवाणी करना ठीक नहीं है। पर मौजूदा तस्वीर देख कर लग रहा है कि एक-दो खिलाड़ियों को छोड़ कर मोटे तौर पर यहीं टीम रहेगी, जिसका प्रदर्शन समय के साथ बिगड़ेगा ही। या कम से कम मौजूदा फॉर्म से बेहतर नहीं होगा।

तभी दुनिया के ज्यादातर क्रिकेट विशेषज्ञ भारत के लिए इस बार सबसे अच्छा मौका मान रहे थे। भारत ने अपनी गलतियों से यह मौका गंवा दिया। भारत ने अपने मध्य क्रम को मजबूत नहीं किया। चार विकेटकीपर बल्लेबाजों- धोनी, केएल राहुल, दिनेश कार्तिक और रिषभ पंत को लेकर खेलना भी एक गलती थी। पाकिस्तान को सेमीफाइनल में नहीं पहुंचने देने की क्रिकेट राजनीति भी एक गलती थी। उम्मीद करनी चाहिए कि आगे टीम इंडिया अपनी गलतियों से सबक लेगी। यह समझेगी कि क्रिकेट ऐसा खेल नहीं है, जिसे कोई साध सकता है और मनचाहे नतीजे हासिल कर सकता है।

अजित द्विवेदी
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं…

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