दो ताकतों की दोस्ती का नया अध्याय

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन दिवसीय अमेरिका दौरे के बाद भारत पहुंच गए। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करने के बाद न्यूयॉर्क से नई दिल्ली के लिए उड़ान भरी। पीएम मोदी अमेरिका से अपने साथ 157 कलाकृतियां और एंटीक वस्तुएं भी लेकर आ रहे हैं। इन कलाकृतियों को अमेरिका ने प्रधानमंत्री मोदी को उपहार के तौर पर सौंपा है। पीएम मोदी ने अपने अमेरिका यात्रा के दौरान बड़े-बड़े बिजनेस टॉयकून्स से भी मुलाकात की। इतना ही नहीं, उन्होंने वाइट हाउस में जो बाइडन के साथ द्विपक्षीय बैठक में भी हिस्सा लिया। इसके अलावा पीएम मोदी वाड के पहले वन टू वन शिखर सम्मेलन में भी शामिल हुए। कुल मिलाकर इस दौरे को भारत के नजरिए से बेहद सफल माना जाएगा। यानी दो ताकतों के बीच दोस्ती का नया अध्याय इस दौरे पर लिखा गया। वैसे तो मोदी के पूरे ही दौरे पर सबकी निगाहें लगी थी लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को जब व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से आमने-सामने की पहली मुलाकात कर रहे थे, तो वो खास लम्हे थे। ये देखने के लिए विश्व की महाशति कहलाने वाला मुल्क दुनिया की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक ताकत को कितनी तवज्जो देता है।

पर, अमेरिकी हुमरान की समझ और दूरदृष्टि सोच की तारीफ इसलिये भी की जानी चाहिए कि उन्होंने भारत को उम्मीद से भी कहीं ज्यादा गर्मजोशी भरा महत्व देकर दुनिया को ये संदेश दे दिया है कि दोनों की ये दोस्ती आगे जाकर बहुत कुछ गुल खिलाने वाली है। जाहिर है कि अमेरिका-भारत के लिए पहले से ही खार खाये देशों को ये दोस्ताना भला कैसे रास आ सकता है, सो उन्हें आया भी नहीं। खासकर चीन, पाकिस्तान, ईरान, तुर्की और कुछ हद तक रूस की भी नींद इसलिये उड़ गई है कि अब ये दोनों ताकतें मिलकर उनके मंसूबों को इतनी आसानी से तो पूरा बिल्कुल भी नहीं होने देंगी। चीन ने तो चार देशों के समूह वाड की बैठक पर निशाना साधते हुए अपनी बौखलाहट बताने में जरा भी देर नहीं लगाई। हालांकि देर-सवेर पाकिस्तान व रूस भी इसी नशे कदम पर चलते हुए अपना रोना रोयेंगे। लेकिन मोदी-बाइडेन की मुलाकात का सबसे महत्वपूर्ण पहलू ये था कि भारत ने जता दिया कि अब वो तीन दशक पहले वाला देश नहीं रहा, जिसे अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए महाशति के आगे गिड़गिड़ाना पड़े। भारत ने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए अपनी तरफ से व्यापार या सामरिक क्षेत्र से जुड़े जैसे मसलों को लेकर जितनी भी प्राथमिकताएं गिनाईं।

उनमें से किसी एक पर भी अमेरिका ने इनकार नहीं किया, बल्कि हर मुद्दे पर सहमति जताई। ये महज उपलब्धि नहीं है बल्कि अन्तराष्ट्रीय बिरादरी के लिए संदेश भी है कि भारत आज इतना ताकतवर हो चुका है कि उसकी बात मानने से इनकार करना, एक महाशति के लिए भी अब उतना आसान नहीं है। भारत के लिए ये भी गर्व का विषय है कि प्रधानमंत्री मोदी के सामने अमेरिकी राष्ट्रपति ने इस सच्चाई को स्वीकार किया है कि अमेरिका को मजबूत करने में भारतीय मूल के लोगों का बहुत बड़ा योगदान है। दोनों नेताओं के बीच हुई बातचीत की शुरुआत करते हुए जो बाइडेन ने जो कुछ कहा, वो हमारे लिए बहुत मायने रखता है और ये भी बताता है कि अब दोनों देश किस दिशा की तरफ आगे बढऩे वाले हैं। हालांकि दोनों राष्ट्राध्यक्षों के बीच वैसे तो कई मुद्दों पर बातचीत हुई लेकिन पीएम मोदी ने दोनों देशों के बीच व्यापार बढ़ाने पर भी ज्यादा जोर दिया, जो आने वाले दिनों में भारत की अर्थव्यवस्था को तरकी के रास्ते पर ले जा सकता है। मोदी ने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापार का अपना महत्व है। इस दशक में ट्रेड के क्षेत्र में भी हम एक दूसरे को काफी मदद कर सकते हैं। बहुत सी चीजें हैं जो अमेरिका के पास हैं जिनकी भारत को जरूरत है।

बहुत सी चीजें भारत के पास हैं जो अमेरिका के काम आ सकती हैं। ये दशक उस ट्रस्टीशिप के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है, महात्मा गांधी हमेशा इस बात की वकालत करते थे कि इस प्लेनेट के हम ट्रस्टी हैं। ये ट्रस्टीशिप की भावना भी भारत और अमेरिका के बीच के संबंधों में बहुत अहमियत रखेगी। इस सच से भला कौन इनकार कर सकता है कि अमेरिका इतना समृद्धशाली मुल्क है कि अगर वो चाहे तो चंद सालों में ही एक साथ कई देशों की आर्थिक सेहत को तंदरुस्त बना सकता है। यही वजह थी कि मोदी ने अमेरिका की नामी कंपनियों के सीईओ से अलग से मुलाकात कर उन्हें भारत में निवेश करने का न्योता दिया.। उस मुलाकात की जो खबरें आईं हैं, उसके मुताबिक अमेरिका की कुछ बड़ी कंपनियों ने मोदी के ऑफर को स्वीकार करते हुए भरोसा दिलाया है कि वे जल्द ही भारत में निवेश करने की योजना के साथ यहां आएंगी। अगर ऐसा होता है, तो निश्चित ही भारत के लिए ये एक बड़ी उपलब्धि इसलिये होगी योंकि इससे रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। बिजनेस टॉयकून्स से मिले: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने अमेरिका दौरे के पहले ही दिन कई बड़ी कंपनियों के सीईओ के साथ मुलाकात की। पीएम मोदी से मिलकर सभी कारोबारियों ने दिल खोलकर भारत की तारीफ की।

कारोबारियों ने कहा कि पीएम मोदी के विजन को जानने की हमेशा से इच्छा होती है और ये मुलाकात बेहतरीन थी। कई बिजनेसमैन ने भारत में निवेश करने की इच्छा भी जताई। अगर अमेरिकी कंपनियां भारत में निवेश करती हैं तो इससे न केवल अर्थव्यवस्था को और मजबूती मिलेगी बल्कि, देश में रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मुलाकात कर तोड़ा मिथक: पीएम मोदी ने अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस से वाइट हाउस में मुलाकात कर एक बड़े मिथक को तोड़ दिया। पहले ऐसा कहा जाता था कि कमला हैरिस और जो बाइडन का पीएम मोदी के प्रति नजरिया उतना अच्छा नहीं है। लेकिन, इस मुलाकात के बाद जो तस्वीरें दिखाई दी, उससे न केवल मोदी विरोधियों बल्कि पाकिस्तान के लिए भी कड़ा संदेश माना गया। चीन को सत संदेश: पीएम मोदी ने वाइट हाउस में आयोजित वाड की पहली प्रत्यक्ष बैठक में हिस्सा भी लिया।

इस बैठक में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, जापानी प्रधानमंत्री योशिहिडे सुगा और ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने भी हिस्सा लिया। सभी नेताओं ने स्वतंत्र और सुरक्षित इंडो-पैसिफिक को लेकर अपनी प्रतिबद्धताओं को उजागर किया। साथ में अप्रत्यक्ष रूप से चीन की विस्तारवादी और आक्रामक नीतियों की आलोचना भी की। नई इबारत लिखी: प्रधानमंत्री मोदी के इस दौरे से निसंदेह नया इतिहास रचा गया। अमेरिकी राष्ट्रपति के सरकारी आवास व्हाइट हाउस में वहां के 32वें राष्ट्रपति फ्रेंकलिन डी.रूज़वेल्ट की याद में एक कमरा बना हुआ है, जहां दुनिया से आने वाला हर मेहमान उसे देखने के बाद वहां रखी आगंतुक पुस्तिका में अपनी याद को शब्दों में पिरोता है। प्रधानमंत्री मोदी ने भी उस पर दोस्ती के इस नए अहसास की एक इबारत लिखी है। उम्मीद करनी चाहिए कि वो स्याही इतनी जल्द नहीं मिटेगी।

नरेंन्द्र भल्ला
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं ये उनके निजी विचार हैं)

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