दक्ष के शाप से मुक्ति के लिए चन्द्रदेव ने की थी सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की स्थापना

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1862

अभी सावन माह चल रहा है और इस माह में सभी 12 ज्योतिर्लिगों में भक्तों की भीड़ लगी रहती है। 12 ज्योतिर्लिगों के क्रम में पहाला है सोमनाथ। ये मंदिर गुजरात के वेरावल बंदरगाह से कुछ दूरी पर प्रभास पाटन में स्थित है। शिव महापुरान में सभी ज्योतिर्लिगों के बारे मताया गया है। इस ज्योतिर्लिंग के संबंध में मान्यता है कि सोमनाथ के शिवलिंग की स्थापना खुद चन्द्रमा ने की थी। चंद्र के द्वारा स्थापना की जाने की वजह से इस शिवलिंग का नाम सोमनाथ पड़ा है। जानिए इस प्राचिन मंदिर से जुड़ी खास बाते…

चंद्र को मिली थी शाप से मुक्ति

प्राचीन समय में दक्ष प्रजापति ने अपनी 27 कन्याओं का विवाह चन्द्रवेद के साथ किया था। दक्ष की सभी कन्याओं में से रोहणी सबसे सुंदर थी। चन्द्र को सभी पत्नियों में से सबसे अधिक प्रेम रोहिणी से ही था। इस बात से दक्ष की शेष 26 पुत्रियों को रोहिणी से जलन होने लगी। जब ये बात प्रजापति पक्ष को पता चली तो उसने क्रोधित होकर चन्द्रमा को धीरे-धीरे खत्म होने का शाप दे दिया। दक्ष के शाप से चन्द्रदेव धीरे-धीरे खत्म होने लगे। इस शाप से मुक्ति के लिए ब्रह्माजी ने चंद्र को प्रभास क्षेत्र यानी सोमनाथ में शिवलिंग की स्थापना करके उनकी तपस्या शुरू कर दी।

चन्द्रमा के कठोर पत से प्रसन्न होकर शिवजी वहां प्रकट हुए और चन्द्र को साप से मुक्त करके अमरत्व प्रदान किया। इस वजह से चन्द्रमा की कृष्ण पक्ष में एक-एक कला क्षीण (खत्म) होती है, लेकिन शुक्ल पक्ष को एक-एक कला बढ़ती है और पूर्णिमा को पूर्ण रूप प्राप्त होता है। शाप से मुक्ति मिलने के बाद चन्द्रदेव ने भगवान शिव को माता पार्वती के साथ यही रहने की प्रार्थना की। तब से भगवान शिव प्रभास क्षेत्र यानी सोमनाथ में ज्योतिर्लिंग के रूप में वास करते है।

ऐसा है मंदिर का स्वरूप

सोमनाथ मंदिर की ऊंचाई लगभग 155 फिट है। मंदिर के चारों ओर विशाल आंगन है। मंदिर का प्रवेश द्वार कलात्मक है। मंदिर तीन भागों में विभाजित है- नाट्यमंडप, जमोहन और गर्भगृह। मंदिर के बाहर वल्लाभभाई पटेल, रानी अहिल्याबाई आदि की मूर्तियां भी लगी है। समुद्र किनारे स्थित ये मंदिर बहुत सुंदर दिखाई देता है।

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