तीसरी लहर: बचाव को सतर्कता जरूरी

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कोरोना के केस कम हुए हैं, लेकिन यह गया नहीं है। देश अभी कोविड मुत नहीं हुआ है। चिकित्सा विशेषज्ञ यह भी बता रहे है कि हाल फिलहाल में कोरोना के जाने के आसार भी नहीं है। इसलिए हमें लापरवाह नहीं होना है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की तीसरी लहर की चेतावनी को गंभीरता से लिए जाने की जरूरत है। अभी हाल में स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी धार्मिक व ट्ररिस्ट प्लेसों पर उमड़ी भीड़ को लेकर सत हिदायत दी थी कि अगर लोग नहीं मानेंगे तो लॉकडाउन में दी गई छूट वापस ले ली जाएगी। संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा था कि कोरोना की दूसरी लहर सीमित दायरे में ही सही, लेकिन अब भी मौजूद है, इसलिए हिल स्टेशनों पर भारी भीड़ करना अब तक के फायदे को कम कर सकता है। आईएमए ने कहा है कि तीसरी लहर नजदीक है। ऐसे में टूरिज्म और धार्मिक यात्राओं के लिए कुछ और महीने इंतजार कर सकते हैं। देश के कई हिस्सों को अनलॉक कर दिया गया है और टूरिस्ट स्पॉट में लोगों की भीड़ जमा होनी शुरू हो गई है। यह ठीक नहीं है।

कोविड-19 के म्यूटेंट बदलते रहने से नए-नए वैरिएंट पैदा हो रहे हैं और अलग-अलग देशों में फैल रहे हैं। भारत में डेल्टा वैरिएंट के केस आए हैं। इतिहास में जितनी भी महामारियां आई हैं, उन्हें देखा जाए तो ये साफ है कि तीसरी लहर को टाला नहीं जा सकता है। ये बेहद करीब है। यह देखकर बहुत दुख हो रहा है कि देश के कई हिस्सों में जनता और सरकार, दोनों ही लापरवाह हैं। सभी बिना कोविड प्रोटोकॉल का पालन किए भीड़ इकट्ठा करने में जुटे हैं। टूरिज्म, धार्मिक यात्राएं और उसका उत्साह, ये सभी बहुत जरूरी हैं, लेकिन लोग कुछ और महीने इंतजार कर सकते हैं। इन सभी को खोलना और लोगों को बिना वैसीनेशन के इन स्थानों पर जाने देना खतरनाक है। ये कोरोना की तीसरी लहर के लिए सुपरस्प्रेडर बन सकते हैं। पिछले डेढ़ साल के अनुभव को देखा जाए तो वैसीनेशन के जरिए तीसरी लहर के असर को काफी कम किया जा सकता है। इसके साथ ही कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करना होगा। आईएमए की हिदायत है कि इस नाजुक मुकाम पर हमें अगले दो-तीन महीने तक कोई खतरा नहीं उठाना चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद कई मौकों पर लोगों से आह्वान किया है कि कोरोना अभी गया नहीं, इसलिए ढिलाई नहीं बरतें।

इससे पहले बेंगलुरु के 40 चिकित्सकों की टीम ने अपने अध्ययन के आधार पर सितंबर से नवंबर के बीच तीसरी लहर आने की भविष्यवाणी कर रखी है। नीति आयोग के सदस्य डा. वीके पॉल ने भी तीसरी लहर की आशंका बहुत पहले जता दी थी। चूंकि अभी-अभी हम घातक दूसरी लहर से बाहर निकले हैं, ऐसे में हमारी किसी प्रकार की लापरवाही हम पर भारी पड़ सकती है। तीसरी लहर न आए, वह पूर्णतया हम पर निर्भर है। हम अगर भीड़ नहीं होने देंगे, तो वायरस कम्युनिटी में नहीं फैलेगा। कोरोना से बचाव के सभी प्रोटोकॉल का पालन करते रहेंगे, अपनी इम्यूनिटी को मजबूत रखेंगे और खुद वैसीन लगवा लेंगे, तो तीसरी लहर से बचा जा सकता है। देश में 21 जून से टीकाकरण की बड़ी रफ्तार को बढ़ाया गया, जितनी तेजी से वैसीनेशन होगा, हर्ड इम्यूनिटी उतनी जल्दी बनेगी। कोरोना से निजात के लिए जरूरी है कि देश में जल्द से जल्द हर्ड इम्युनिटी बने। हमें कोरोना के साथ जीने की आदत यानी न्यू नॉर्मल की तरफ बढऩा चाहिए। मान लें कि निकट भविष्य में कोविड से पिंड नहीं छूटने वाला है, इसलिए दो गज दूरी को एहतियात बरतते हुए मास्क के साथ जीने की कला अपनानी चाहिए। यही हमारी न्यू नॉर्मल जीवनशैली होनी चाहिए।

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