ग्रहण के बाद अमावस्या से जुड़े पूजन कर्म
रविवार, 21 जून को आषाढ़ मास की अमावस्या है। इस तिथि पर सूर्य ग्रहण भी होगा। भारत के साथ ही एशिया, अफ्रीका और यूरोप में ग्रहण दिखाई देगा। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार ग्रहण सुबह 10.14 बजे शुरू होगा और 1.38 बजे खत्म होगा। ग्रहण का सूतक काल 20 जून की रात 10.14 बजे से शुरू हो जाएगा। सूतक 21 जून की दोपहर 1.38 तक रहेगा। ग्रहण और सूतक के समय में किसी भी तरह की पूजा-पाठ नहीं करनी चाहिए। इस समय में केवल मंत्र जाप करना चाहिए। अमावस्या तिथि पर पितरों के लिए श्राद्ध कर्म करने की परंपरा है। इस बार ग्रहण होने की वजह से इस तिथि से जुड़े सभी धर्म कर्म दोपहर में 1.38 बजे के बाद ही कर सकेंगे। पितरों के लिए धूप ध्यान करें। जरूरतमंद लोगों को धन और अनाज का दान करें।
ग्रहण खत्म होने के बाद किसी मंदिर में शिवलिंग पर जल चढ़ाकर बिल्व पत्र और धतूरा अर्पित करें। शिवलिंग पर चंदन से तिलक करें। भगवान को मिठाई का भोग लगाएं। दीपक जलाएं और आरती करें। पूजा के बाद अन्य भक्तों को भी प्रसाद वितरित करें। अमावस्या पर सूर्यास्त के बाद हनुमानजी के सामने दीपक जलाएं और सुंदरकांड या हनुमान चालीसा का पाठ करें। आप चाहें तो हनुमानजी के मंत्र ऊँ रामदूताय नम का जाप 108 बार कर सकते हैं। ग्रहण के समय में गर्भवती महिलाओं को घर के बाहर निकलने से बचना चाहिए। इस दौरान सूर्य से निकलने वाली किरणें गर्भवती महिला के गर्भ में पल रहे शिशु के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक रहती हैं। इसीलिए इस समय में महिलाओं को विशेष सावधानी रखनी चाहिए। जिन लोगों की कुंडली में ग्रहण योग है यानी सूर्य के साथ राहु या केतु की युति या चंद्र के साथ राहु या केतु की युति हो, उन्हें ग्रहण के समय मंत्र जाप करना चाहिए।