जंगल की आग से कंपकंपाई दुनिया

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आदि काल से दुनिया में आग व आदमी का बहुत पुराना व गहरा संबंध चला आ रहा है। इंसान ने आगे बढ़ने के लिए आग जलाना सीखा और इससे उसके दिमाग का विस्तार हुआ। आज भी जब कहीं यज्ञ होता है अथवा किसी के अंतिम संस्कार में जाए तो वहां मौजूद तमाम लोगों की नजर हवन कुंड व चिता पर होती है। वे यह जानने के लिए उत्सुक रहते हैं कि उनमे आग कैसे व कितनी तेजी से पकड़ती है।

मतलब आग के बिना खाने से लेकर अंतिम संस्कार तक संभव नहीं हैं। मगर अक्सर आग बर्बादी का कारण भी बनती है। ताजा मामला ब्राजील के जंगलो में एक पखवाड़े से ज्यादा समय से लगी आग के कारण होने वाली बर्बादी का है। अकेले ब्राजील में दुनिया के सबसे बड़े अमेजन भूमध्यरेखीय वनो का 60 फीसदी हिस्सा है। इनका महत्व इसलिए है कि यहां के जंगल दुनिया के 20 फीसदी या लाख टन कार्बन डाई आक्साईड को सोख लेते है जोकि हर साल दुनिया में छोड़ी जाने वाली गैस का एक तिहाई हिस्सा है।

वहां दुनिया की 30 फीसदी वनस्पति व वन्य जीवन को जगह मिली है। दुनिया में सबसे ज्यादा व सबसे ज्यादा प्रकार के बंदर इसी जंगल में है। खतरनाक और दुखद बात यह है कि 2013 की तुलना में यहां लगने वाली आग की घटनाओं में 84 फीसदी की बढ़ोतरी हुई हे। इनकी संख्या बढ़ कर 74000 हो गई है। वैसे हर साल जंगलो में आग लगना कोई बड़ी बात नहीं है। अक्सर सिगरेट पी कर फेंक देने जैसी घटनाओं के कारण आग लगती रहती है।

इसके अलावा इन अग्निकांडों को रोकने के लिए निशानदेही करके वन्य अधिकारी तय रूप से संतुलित आग लगाते हैं। हालिया अग्निकांड इतना भयावह है कि अमेरिकी अंतरिक्ष संस्था नासा तक ने अंतरिक्ष से वहां भरे हुए धुए के चित्र भेजे हैं और कहा है कि यह पृथ्वी पर रहने वाले लोगों के जीवन के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। अमेजन दुनिया के आधे से ज्यादा वनो से बड़ा है। दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा देश ब्राजील इस आग को रोकने के लिए कुछ खास नहीं कर पाया है।

यह आग इतनी भयावह है कि वहां से 2700 किलोमीटर दूर उसके सबसे बड़े शहर साओ पाउलो तक इसका धुंआ पहुंच रहा है। ब्राजील पहले पुर्तगाल का उपनिवेश थॉ। आज यहां अमेरिका के 13513 हवाई अड्डो के बाद दुनिया में सबसे ज्यादा हवाई अड्डे है। इसकी जनसंख्या 21 करोड़ है व वहां रहने वाले 15 से 25 लाख लोग जापानी मूल के हैं। यहां दुनिया के हर तरह के लोग रहते हैं। हिटलर के पतन के बाद नाजी भी यहां शरण लेने पहुच ग। यहां के 87 फीसदी लोग पहले गुलाम रहे लोगों के वंशज हैं। पेले व रोनाल्डो सरीखे विश्व विख्यात फुटबाल खिलाड़ी इसी देश के हैं।

बताया जाता है कि मौजूदा आग मौजूदा सरकार की नीतियो के कारण बढ़ी है। मौजूदा राष्ट्रपति जेयर बोल्सनारो को पर्यावरण विरोधी माना जाता है। उनकी नीतियो से उत्साहित होकर देश के किसानों ने अपनी खेती को बढ़ाने के लिए इस जंगल के बीच से जाने वाले राजमार्ग बीआर-163 के किनारे आग लगाकर शुरुआत की। उनका कहना था कि वे सरकार को बताना चाहते हैं कि हम लोग काम करना चाहते हैं व यह करने का एकमात्र तरीका खेती के लिए ज्यादा-से-ज्यादा जमीन हासिल करना है।

देखते-ही-देखते यह आग बढ़ती गई और यह समस्या जी-7 की बैठक तक पहुंच गई। हालांकि वहां की सरकार ने इसे रोक पाने में अपनी असमर्थता जता दी है। फ्रांस ने इससे नाराज होकर ब्राजील से अपने व्यापारिक संबंध तक समाप्त कर लेने की धमकी दी। संयुक्त राष्ट्र केमहासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा है हम आक्सीजन व प्राकृतिक विविधत के इतने बड़े स्त्रोत की बर्बादी नहीं देख सकते हैं। यह बेहद खतरनाक है। किसान हीं नहीं बल्कि वहां की संपन्न प्राकृतिक विविधता का फायदा उठाने के लिए अनेक बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने भी वहां आकर जंगलो को नष्ट किया है। लीड्स विश्वविद्यालय ने 2017 में अपने एक अध्ययन में पाया था कि वहां सांस में उतना ही कार्बन धुल रहा है जितना कि विकसित देशों में कारों व गाडियो के धुंए के कारण सांस में धुलता है।

उनका कहना था कि अगर यही हालात बने रहे तो अमेजन के जंगलो को सवाना के मरूधर में बदलते देर नहीं लगेगी। नेशनल ज्योग्राफिक के मुताबिक यह जंगल ब्राजील ही नहीं दुनिया में होने वाली वर्षा को भी प्रभावित करते हैं। यहां से मिलने वाली नमी के कारण ही वर्षा उत्पन्न होती हैं। ये जंगल प्राकृतिक संतुलन बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं। नई सरकार ने गैर-कानूनी तौर पर होने वाली जंगल की कटाई पर मिलने वाली सजा व जुर्माने को कम कर दिया। इससे जंगलो की जमीन पर कब्जा करने वाली घटनाओं को बढ़ावा मिला।

बोल्सनारो ने जनवरी 2019 में अपने चुनाव में वादा किया था कि सत्ता में आने पर उनकी सरकार अमेजन क्षेत्र को व्यापार के लिए खोल देगी। मालूम हो कि वहां सोने व खनिज पदार्थो का विशाल भंडार है। उन्होंने अमेजन क्षेत्र में उनका पता लगाने की छूट देते हुए कहा कि ब्राजील के अपने प्राकृतिक स्त्रोतो पर बैठे नहीं रहना चाहिए बल्कि उनका खुलकर दोहन किया जाना चाहिए। तभी इसके बाद इस तरह से अग्निकांड की घटनाएं तेजी से बढ़ गई। जाहिर है कालीदास सिर्फ उज्जेन में ही नहीं होते।

विवेक सक्सेना
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं

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