चुनाव आयोग की चिंता वाजिब है

0
270
Social media icons

दुनिया की मशहूर कंपनी माइक्रोसॉफ्ट ने अपनी एक सर्वेक्षण रिपोर्ट में कहा है कि भारत में इंटरनेट उपभोक्ताओं को फर्जी खबरों का सबसे अधिक सामना करना पड़ता है। देश में फर्जी खबरों का प्रयास वैश्विक औसत से कहीं ज्यादा है। कंपनी की ओर से दुनिया के 22 देशों में किए गए सर्वेक्षण के बाद तैयार रिपोर्ट में कहा गया है कि 64 फीसदी भारतीयों को फर्जी खबरों का सामना करना पड़ रहा है।।

भारत में फर्जी खबरों को लेकर चिंता बढ़ती जा रही है। खासकर अगले आम चुनाव के मद्देनजर ये चिंता और बढ़ गई है। एक ताजा सर्वे से इस मामले में लगातार गंभीर हो रही स्थिति पर रोशनी पड़ी है। दुनिया की मशहूर कंपनी माइक्रोसॉफ्ट ने अपनी एक सर्वेक्षण रिपोर्ट में कहा है कि भारत में इंटरनेट उपभोक्ताओं को फर्जी खबरों का सबसे अधिक सामना करना पड़ता है। देश में फर्जी खबरों का प्रयास वैश्विक औसत से कहीं ज्यादा है। कंपनी की ओर से दुनिया के 22 देशों में किए गए सर्वेक्षण के बाद तैयार रिपोर्ट में कहा गया है कि 64 फीसदी भारतीयों को फर्जी खबरों का सामना करना पड़ रहा है। वैश्विक स्तर पर यह आंकडा 57 फीसद का है। माइक्रोसॉफ्ट ने कहा कि भारत इंटरनेट पर फेक न्यूज के मामले में वैश्विक औसत से कहीं आगे है। सर्वे में शामिल 54 फीसदी लोगों ने इसकी सूचना दी। इसके अलावा 42 फीसदी ने कहा कि उन्हें फिशंग जैसी वारदातों से भी जूझना पड़ा है। बीते दिनों भारत-पाक के बीच बढ़े तनाव और उस दौरान सोशल मीडिया पर फर्जी खबरों की बाढ़ के बाद सुप्रीम कोर्ट में दायर एक जनहित याचिका में अदालत से प्रिंट इलेक्ट्रोनिक व सोशल मीडिया पर फेक न्यूज के प्रचार-प्रचार पर अंकुश लगाने के लिए दिशानिर्देश तय करने की अपील की गई है।

अगामी लोकसभा चुनावों में सोशल मीडिया पर फर्जी खबरों की बाढ़ पर अंकुश लगाने के लिए चुनाव आयोग ने फेसबुक, ट्विटर और गूगल से बातचीत की है। सरकार ने इस कंपनियों से चुनावों के दौरान पोस्ट किए जाने वाले तमाम राजनीतिक कंटेट पर नजर रखने और फेक न्यूज को बढ़ावा देने वाले पोस्ट को 24 घंटे के भीरत हटाने को कहा है। हाल में इन कंपनियों के प्रतिनिधियों की चुनाव आयोग के साथ एक बैठक हुई थी। बैठक में चुनाव आयोग ने इन कंपनियों को इस बात का ध्यान रखने का निर्देश दिया कि चुनाव प्रचार खत्म होने से लेकर मतदान तक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कोई भी पार्टी किसी भी तरह का कोई राजनीतिक प्रचार नहीं कर सके। चुनाव आयोग ने कहा है कि वोटिंग से पहले राजनीतिक प्रचार पर रोक लगने के बाद भी राजनीतिक दल सोशल मीडिया को पैसे देकर प्रचार करने का प्रयास कर सकते हैं। ऐसे मामलों पर निगाह रखनी होगी। इन कंपनियों ने आयोग को चुनावों के दौरान भड़काऊ और नकारात्मक राजनीतिक प्रचार से जुड़ी खबरों को तत्काल हटाने का भरोसा दिया है।।

        दीप्ती
(लेखिका पत्रकार है)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here