गीता सार

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इसका आशय यह है कि हमें शरीर से नहीं
उसकी आत्मा से व्यक्ति की पहचान करनी चाहिए।
जो लोग मनुष्य के शरीर से आर्कषित होते हैं
या फिर मनुष्य के भीतरी मन को नहीं समझते हैं
ऐसे लोगों के लिए गीता का यह उपदेश बड़ी सीख देने वाला है।

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