गीता सार

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एक पल में हम अपार दौलत के मालिक बन जाते हैं तो अगले ही पल हम बिल्कुल कंगाल हो जाते हैं। तेरा-मेरा, छोटा-बड़ा, अपना-पराया अपने मन से दूर करने में ही हमारी भलाई है। ये शरीर तक हमारा नहीं है। और न ही हम इस शरीर के हैं। 

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