सार गीता का सार By admin - March 4, 2025 0 11 Share Facebook Twitter Google+ Pinterest WhatsApp न यह शरीर तुम्हारा है, न तुम शरीर के हो। यह अग्नि, जल, वायु, पृथ्वी, आकाश से बना है और इसी में मिल जायेगा। परन्तु आत्मा स्थिर है। फिर तुम क्या हो?