गलत चयन से मुश्किलें बढ़ीं

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कभी-कभी एक क्रिकेट सीरीज पूरी टीम या किसी खास खिलाड़ी को लेकर सोच बदल देती है। न्यूजीलैंड की शृंखला वैसी ही रही। इस दौरे से पहले टीम इंडिया की क्रिकेट जगत में धाक जमी हुई थी। टेस्ट क्रिकेट में तो पहली रैंकिंग थी ही। इसके लिए भारतीय बल्लेबाजी के उच्च क्रम और पेस अटैक की भरपूर प्रशंसा की जा रही थी। लेकिन न्यूजीलैंड दौरे पर वनडे सीरीज में सफाये और फिर टेस्ट सीरीज में सूपड़ा साफ होने से टीम इंडिया में एकाएक कमियां ही कमियां नजर आने लगी हैं। इस सीरीज में किसी भी भारतीय बल्लेबाज का प्रदर्शन ऐसा नहीं रहा कि वह सुर्खियां बटोर सका हो। वहीं अपने जिस पेस अटैक पर हमें इतना नाज था, वह भी भोथरा नजर आया। कप्तान विराट कोहली ने कहा है कि तेज गेंदबाजी में नई पीढ़ी तैयार करने का समय आ गया है। कप्तान की इस बात में दम है क्योंकि मौजूदा तेज गेंदबाजों में मोहम्मद शमी, ईशांत शर्मा और उमेश यादव सभी 30 या उससे ऊपर के हैं और नए गेंदबाजों को टीम के लिए तैयार करने में एक-दो साल लग ही जाते हैं। इसलिए इस दिशा में निश्चय ही गंभीरतापूर्वक विचार करने की जरूरत है।

पिछले काफी समय से टीम की कप्तान विराट पर काफी निर्भरता रही है और उनके फ्लॉप शो ने टीम की दुर्गति में अहम भूमिका निभाई है। कोहली ने इस सीरीज में 9.50 के औसत से 38 रन बनाए और यह उनके करियर का किसी भी टेस्ट सीरीज में दूसरा सबसे खराब प्रदर्शन है। इससे पहले 2016-17 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज में उन्होंने 9.20 के औसत से 46 रन बनाए थे। टीम की ओपनिंग को लेकर गलत चयन की वजह से भी मुश्किलें बढ़ीं। रोहित शर्मा और शिखर धवन की गैर मौजूदगी में लंबे समय बाद वापसी कर रहे पृथ्वी शॉ और युवा ओपनर मयंक को चुनने से टीम को सीरीज में कभी मजबूत शुरुआत नहीं मिल सकी। ये दोनों अनुभव की कमी की वजह से कीवी पेस अटैक के जाल में फंसते नजर आए। पृथ्वी आक्रामक अंदाज में बल्लेबाजी करते हैं। लेकिन न्यूजीलैंड के पेस गेंदबाजों ने अचानक उठकर शरीर पर आने वाली गेंदों से अटैक किया और हड़बड़ी में डिफेंस करते हुए कैच उछालने की उनकी गलती का भरपूर फायदा उठाया। मयंक को गुड लेंथ से गेंदों को स्विंग कराकर शिकार बनाया गया।

मजेदार बात यह है कि दोनों ओपनरों ने गलतियों से सीखने की जरूरत नहीं महसूस की और एक ही तरह से आउट होते रहे। विराट की बल्लेबाजी में काबिलियत पर पर कोई भी सवाल नहीं खड़े कर सकता लेकिन इधर काफी समय से वह ऑफ स्टंप के बाहर मूव करती गेंदों को पूरे भरोसे से नहीं खेल पा रहे हैं और लगातार विकेट गंवा रहे हैं। इसकी वजह यह भी हो सकती है कि उनकी तकनीक में कोई खामी आ गई हो। पूर्व कप्तान कपिल देव का कहना है कि उनके रिफ्लेक्सेज में कमी आना संभव है। कपिल देव कहते हैं कि खिलाड़ी के 30 साल के करीब पहुंचने पर रिफ्लेक्स कमजोर होने लगते हैं। समस्या कोई भी हो, इससे निजात जमकर अभ्यास करने से ही पाई जा सकती है। विराट रंगत में लौटने के लिए क्या करेंगे, यह तो वही जानते होंगे पर जहां तक क्रिकेटप्रेमियों की बात है, उन्हें विराट के बल्ले से रन निकलने का इंतजार है।

आमतौर पर विराट के नहीं चलने पर अजिंय रहाणे और चेतेश्वर पुजारा पारी को संवारने में मदद करते थे लेकिन न्यूजीलैंड में उनका बल्ला भी खामोश बना रहा। इन दोनों बल्लेबाजों की एक दिक्कत यह भी है कि ये दोनों सिर्फ टेस्ट मैचों में खेलते हैं। टीम इंडिया साल में ज्यादातर समय वनडे और टी-20 क्रिकेट खेलती है। इस कारण इन दोनों की अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से लंबे समय तक दूरी बनी रहती है। जहां तक पुजारा की बात है तो वह विकेट पर टिकने का प्रयास करते तो नजर आए और उन्होंने चार पारियों में क्रमश 42, 81, 140 और 88 गेंदें खेलीं। लेकिन ऑफ स्टंप से बाहर की गेंदों पर उनकी कमजोरी का कीवी गेंदबाजों ने फायदा उठाया और उन्हें रन नहीं बनाने दिए। टेस्ट सीरीज में सफाया हो जाने पर भी टीम इंडिया पहले स्थान पर बनी हुई है लेकिन टीम में व्यापक सुधार जरूरी है।

मनोज चतुर्वेदी
(लेखक वरिष्ठ खेल पत्रकार हैं ये उनके निजी विचार हैं)

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