कोरोनाः दक्षिण कोरिया से सीखने की दरकार

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तालाबंदी में ढील देने के निर्देश आज सरकार ने जारी कर दिए हैं। यह ढील 20 अप्रैल से लागू होगी। कुछ लोगों ने पूछा है कि इसे तुरंत लागू क्यों नहीं किया गया? प्रधानमंत्री ने कल ही इसकी घोषणा क्यों नहीं कर दी? यदि वे कर देते तो यह वैसी ही गलती होती जैसी उन्होंने 24 मार्च को अचानक तालाबंदी की घोषणा कर दी थी। यह जो पांच दिन का समय मिला है, इसमें हमारे करोड़ों मजदूर, किसान, व्यापारी, कर्मचारी, ड्राइवर, डाक्टर, पत्रकार आदि अपने-अपने काम-धंधों को फिर से शुरु करने की पूरी तैयारी करेंगे। लाखों-करोड़ों लोग अपनी जगह से विस्थापित होकर शहरों और गांवों में अटके पड़े हैं। उन्हें लाने-ले जाने के इंतजाम के बारे में सरकार ने अभी कुछ नहीं कहा है, जबकि बसें, रेलें और जहाज अभी भी 3 मई तक बंद रहेंगे।

तो क्या लोग ट्रकों और मालगाड़ियों से आवागमन करेंगे ? सरकार को इस बारे में तुरंत सोचना चाहिए, वरना मुंबई के बांद्रा और सूरत जैसी घटनाएं जगह-जगह होने लगेगी। बांद्रा में तो सारा मामला पूर्व-नियोजित लग रहा था। इसीलिए बांद्रा की मस्जिद के मौलवियों की समझाइश और पुलिस के डंडों ने हालात पर काबू पा लिया लेकिन अगर ये ही हादसे बड़े पैमाने पर हो गए तो सरकार की बड़ी भद्द पिट सकती है। वैसे सरकार ने 20 अप्रैल से जितनी छूटें देने का वादा किया है, उन्हें देखते हुए लगता है कि देश की लगभग 80 प्रतिशत अर्थ-व्यवस्था पटरी पर लौटने लगेगी और यदि इस बीच कोरोना की मार शिथिल पड़ गई तो तालाबंदी 3 मई के पहले शत प्रतिशत हटा ली जाएगी। इस दौरान मनुष्य के जिंदा रहने के लिए जितनी भी बेहद जरुरी चीजें होती हैं, वे सब उसे उपलब्ध हो जाएंगी।

तालाबंदी की यह ढील तय करते समय लगता है कि प्रधानमंत्री ने जितने भी परामर्श-संवाद किए गए थे, उनका पूरा फायदा उठाया गया है। इन निर्देशों में यदि अभी कुछ जोड़ा जा सकता हो तो लोगों को खुलकर सुझाव देने चाहिए। भारत को आग्नेय एशिया के छोटे-से देश दक्षिण कोरिया से बहुत-कुछ सीखना होगा। वहां एक गिरजाघर की भीड़ से फैले कोरोना पर उन्होंने काबू किया, बिना तालाबंदी के। द. कोरिया में रेलें, बसें, जहाज, दुकानें, कारखाने, रेस्तरां आदि सब चल रहे हैं लेकिन लोग-बाग पूरी सावधानी भी रख रहे हैं।आपको यह जानकार आश्चर्य होगा कि द. कोरिया में संसदीय चुनाव आजकल जोरों से हो रहे हैं और लाखों लोग अपने घरों से निकलकर मतदान कर रहे हैं। जिस दिन (20 जनवरी) वहां पहला मामला सामने आया, सरकार ने दो हफ्तों में ही एक लाख जांच-यंत्र तैयार कर लिये। अमेरिका और यूरोप अब भी इस मामले में फिसड्डी हैं। कोरिया में अभी तक 169 लोग मरे हैं और 5828 लोग ठीक हुए हैं। अमेरिका और यूरोप में मृतकों की संख्या हजारों में है और संक्रमित होनेवालों की लाखों में ! भारत में हताहतों की संख्या अब ज्यों ही कम होने लगे (गर्मी शुरु हो गई है), उसे द. कोरिया की तरह भारत को खोल देना होगा।

डा.वेदप्रताप वैदिक
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं ये उनके निजी विचार हैं )

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