एक ही बिल्व पत्र को कई दिनों तक बार-बार शिवलिंग पर चढ़ा सकते हैं

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अभी सावन चल रहा है और इस माह में पूजा करते समय शिवलिंग पर तरह-तरह की पूजन सामाग्रियां चढ़ाई जाती हैं। इन सामग्रियों में बिल्व पत्र का विशेष स्थान है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं, मनीष शर्मा के अनुसार बिल्ब पत्र का वृक्ष घर आसपान हो तो कई वास्तु दोष दूर हो जाते है। आयुर्वेदिक में भी इसका महत्व बताया गया है। जानिए बिल्वपत्र से जुड़ी खास बातें…

* जिस घर में बिल्व वृक्ष लगाया जाता है औऱ रोज उसे पानी दिया जाता है, वहां रहने वाले लोगों के विचारों में सकरात्मकता बनी रहती है। बिल्ब का पौधे लगाना हो तो घर के उत्तर-पश्चिम कोण में लगाना शुभ रहता है।

* अगर उत्तर-पश्चिम कोण में लगाना संभव न हो तो इसे घर की उत्तर दिशा में लगाया जा सकता है।

* शिवलिंग पर चढ़ाया गया शिवलिंग बासी नहीं होता यानी एक ही बिल्व पत्र को धोकर अगले दिन फिर से पूजा में चढ़ाया जा सकता है। बिल्ब पत्र को कई दिनों तक बासी नहीं माना जाता है।

* ध्यान रखे हिन्दी पंचांग के अनुसार अष्टमी, चतुदर्शी, अमावस्या और रविवार को बिल्व पर नहीं तोड़ना चाहिए। इन वर्जित तिथियों पर बाजार से खरीदकर बिल्व पत्र शिवजी को चढ़ा सकते हैं।

बिल्व वृक्ष का महत्व

शिवपुराण में बिल्व वृक्ष को शिवजी का ही रूप बताया गया है। इसे श्रीवृक्ष भी कहते हैं। श्री देवी लक्ष्मी का ही एक नाम है। इस कारण बिल्व की पूजा से लक्ष्मीजी की कृपा भी मिलती है। इस वृक्ष की जड़ों में गिरिजा, तने में महेश्वरी, शाखाों में दक्षायनी, पत्तियों में पार्वती, फूलों में गौरी और फ्लों में देवी कात्यायनी वास करती हैं। इसी वजह से इस वृक्ष का पौराणिक महत्व काफी अधिक है।

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