इस कैलेंडर में आमतौर पर एक महीने में 2 एकादशी व्रत आते हैं, पूरे साल में 24 बार ये व्रत किया जाता है
इस साल 24 की जगह 25 एकादशी व्रत किए जाएंगे। काशी के ज्योतिषाचार्य पं. गणेश मिश्र का कहना है कि हिंदू पंचांग में ऐसी स्थिति कभी नहीं बनती, लेकिन तिथियों की घट-बढ़ की वजह से अंग्रेजी कैलेंडर में ऐसा हो सकता है। इस कैलेंडर में आमतौर पर एक महीने में 2 एकादशी व्रत आते हैं। इस तरह पूरे साल में 24 बार ये व्रत किया जाता हे। लेकिन पंचांग गणना की वजह से कभी- कभी ऐसी स्थिति बन जाती है कि एक अंग्रेजी महीने में 3 बार एकादशी तिथि पड़े। पिछले साल भी 25 एकादशी व्रत थे। लेकिन अधिकमास होने की वजह से जुलाई में 3 एकादशी थीं। ज्योतिषीय गणना के मुताबिक, ग्यारहवीं तिथि को एकादशी कहते हैं। ये महीने में दो बार आती है। एक शुलपक्ष के बाद और दूसरी कृष्ण पक्ष के बाद। पूर्णिमा के बाद आने वाली एकादशी को कृष्णपक्ष की एकादशी और अमावस्या के बाद आने वाली को शुलपक्ष की एकादशी कहते हैं। इस तरह साल 24 एकादशी तिथियों को अलग- अलग नाम दिए गए हैं। हर एकादशी का अपना अलग महत्व है। पुराणों के मुताबिक, एकादशी को हरी वासर यानी भगवान विष्णु का दिन कहा जाता है। विद्वानों का कहना है कि एकादशी व्रत यज्ञ और वैदिक कर्म-कांड से भी ज्यादा फल देता है। पुराणों में कहा गया है कि इस व्रत को करने से मिलने वाले पुण्य से पितरों को संतुष्टि मिलती है। स्कन्द पुराण में भी एकादशी व्रत का महत्व बताया गया है। इसको करने से जाने-अनजाने में हुए पाप खत्म हो जाते हैं।