आजम के लिए मुलायम

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आजम खान अपने सियासी सफर के सबसे मुश्कि ल दौर में है। हालांकि मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से आजम खान के लिए नरम गरम जैसे हालात तो रहे है लेकिन तब चीजे जुबानी जंग तक सीमित होती थी। पर 2019 लोक सभा चुनाव के दौरान रामपुर से सांसदी लडऩे के समय आजम और बीजेपी के बीच रिश्ते ज्यादा तल्ख हो गए थे, यही नहीं लोकल प्रशासन से भी रिश्ते सामान्य नहीं रह गए। इन दिनों जौहर यूनिवर्सिटी को लेकर जो हालत बने हैं उससे आजम और उनके परिवार के लिए कानूनी मुश्किलात बढ़े हैं। इससे पहले लोक सभा में उन्हें अपने विवादस्पद बयान को लेकर फजीहत झेलने के बाद आखिकार माफी भी मांगनी पड़ी। बढ़ते कानूनी शिकंजे के बीच आजम के बचाव में अब एसपी संरक्षक मुलायम भी उतर आये हैं।

यह स्वाभाविक है जिस तरह के दोनों नेताओं के सम्बन्ध रहे हैं उस बारे में यह कहा जा सकता है कि नेताजी की तरफ से थोड़ी देरी हो गयी, उन्हें पहले ही बचाव में उतरना चाहिए था। जहां तक रिश्ते की बात है तो तकरीबन तीन दशक पुरानी आजम और मुलायम की जुगलबंदी ने खूब सियासी गुल खिलाए। करीब 33 साल पुरानी दोनों की दोस्ती एक पहेली की तरह है। हालांकि कभी अमर सिंह तो कभी कल्याण सिंह की वजह से आजम खान के लिए पार्टी में स्थिति असहज हुई लेकिन आजम ने कभी मुलायम के लिए तीखे शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया। यहां तक कि जब 2012 के विधानसभा चुनाव के बाद मुलायम ने अपने बेटे अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री पद के लिए चुना तब भी आजम ने खुलकर उनके फैसले का समर्थन किया।

रामपुर में जब अमर सिंह ने जया प्रदा को आगे किया, उस दौरान आजम की नाराजगी थी लेकिन मुलायम ने कभी आजम के प्रति सख्ती नहीं बरती। एसपी के 27 साल के इतिहास में सिर्फ एक बार ऐसा हुआ जब आजम और मुलायम के बीच तनातनी देखने को मिली और इसकी परिणति आजम के पार्टी छोडऩे के साथ हुई। यूपी में मुस्लिम वोटरों पर अच्छी पकड़ रखने वाले आजम खान के लिए 2009 का लोक सभा चुनाव एक बुरे सपने की तरह था। इस चुनाव से ठीक पहले अमर सिंह के कहने पर मुलायम ने बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व सीएम कल्याण सिंह को अपनी पार्टी में ले लिया। इस चुनाव में आजम ने खुलकर जयाप्रदा का विरोध किया, इसके बावजूद वह रामपुर से चुनाव जीतने में कामयाब रहीं।

चुनाव के बाद उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में एसपी से निष्कासित कर दिया गया। पार्टी से निकाले जाने के बावजूद आजम की मुलायम के प्रति कभी तल्खी देखने को नहीं मिली। फरवरी 2010 में अमर सिंह को एसपी से निकाल दिया गया। इसी के साथ आजम की घरवापसी का रास्ता साफ हो गया। 4 दिसंबर 2010 को आजम खान की एसपी में वापसी हुई। 1976 में जनता पार्टी से जुडऩे के बाद 1980 में आजम ने पहली बार विधानसभा का चुनाव जीता। इसके बाद वह 9 बार विधायक बने। आजम-मुलायम की गहरी दोस्ती का अंदाजा इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि 1989 में पहली बार सीएम बनने पर मुलायम सिंह ने आजम को कैबिनेट मंत्री बनाया था। पुरानी दोस्ती की खातिर मुलायम मुखर हैं और प्रधामंत्री से भी मिलेंगे।

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