सुप्रीम कोर्ट के कड़े रुख के चलते कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अब खेद से आगे बढ़कर अपनी गलतबयान के लिए माफी मांगने को तैयार हो गये है। अब इस बाबत अगले सोमवार से पहले एक अगल से हलफ नामा राहुल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी दाखिल करेंगे, जिसमें माफी शब्द का जिक्र होगा। कांग्रेस अध्यक्ष ने राफेल मामले में दायर पुनर्याचिका की सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट की सहमति को अमेठी में गलत ढंग से प्रस्तुत करते हुए कहा था कि अब तो सुप्रीम कोर्ट ने भी मान लिया है कि राफेल डील में गड़बड़ी हुई है और चौकीदार चोर है। उनके इसी बयान के खिलाफ भाजपा की सांसद मीनाक्षी लेखी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करते हुए उल्लेख किया था कि राहुल गांधी ने इरादतन अपने राजनीतिक नारे को मजबूती देने के लिए अदालत का हवाला देकर देश को गुमराह किया है।
यह एक तरह से कोर्ट की तरफ से नोटिस मिली थी। जबाव में यह कहते हुए उन्होंने खेद जताया था कि राजनीतिक आवेश में नारे के साथ कोर्ट की कार्यवाही शामिल हो गई थी, जबकि उनका ना कोई ऐसा इरादा था और ना है। खेद व्यक्त किए जाने से नाराजगी बढ़ी तब माफी निकल कर बाहर आयी। भाजपा दरअसल यही चाहती थी। वैसे राहुल के लिए ऐसी स्थिति पहली बार पैदा नहीं हुई है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बारे में गांधी की हत्या से जुड़े बयान को लेकर उन्हें महाराष्ट्र में भिवंडी की कोर्ट में माफी मांगनी पड़ी थी। दरअसल राहुल गांधी मोदी विरोध का प्रतिनिधि चेहरा बनना चाहते हैं। जो लोग संघ और मोदी की भाजपा से नाइत्तेफाक रखते हैं उनके लिए उम्मीद बनना चाहते हैं और इसी के इर्द-गिर्द अपनी सियासत को गढ़ना चाहते है। पर दिक्कत ये है कि उनमें किसी भी चीज को लेकर धैर्य नहीं है जबकि इसके अभाव में लक्ष्य नहीं साधा जा सकता।
यह उतावलापन ही था जो अमेठी में उनके बयान से सामने आया। इसका विपरीत असर यह हुआ है कि चौकीदार चोर है, नारा आधा चुनाव बीत जाने पर भी व्यापक समर्थन को मोहताज है जबकि राहुल इसी के सहारे 2019 का आम चुनाव मोदी बनाम राहुल करना चाहते थे, ताकि विकल्प की स्थिति में केन्द्र में विपक्ष में वे ही सर्वमान्य नेता माने जा रकें। इसके पीछे एक वजह यह भी थी कि अभी तक मोदी सरकार पर भ्रष्टाचार का मामला सामने नहीं आया है जबकि यूपीए सरकार भ्रष्टाचार के आरोपो से घिरि हुई थी। इसके अलावा मोदी पर भी भ्रष्टाचार का एख भी दाग नहीं है। उनकी साफ-सुथरी छवि विपक्ष के लिए बड़ी चुनौती रही है। राहुल चौकीदार चोर है, नारे के साथ मोदी को ईमानदारी पर सवाल उठाना चाहते थे। इसीलिए यह मामला डेढ़ साल से तेजी पकड़ रहा था। पर उतावलेपन से और कार्ट की फटकार के बाद मोदी विरोधी अभियान कमजोर पड़ गया है।