संघ का मंदिर राग

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राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सर कार्यवाह सुरेश जोशी ने एक बार फिर अयोध्या में विवादित स्थल पर राम मंदिर निर्माण के प्रति संकल्प दोहराया है ठीक रविवार के दिन जब देर शाम आम चुनाव की तारीखों का ऐलान होना था। सबको पता है कि सुप्रीम कोर्ट की तरफ से अयोध्या मसले पर मध्यस्थता की पहल शुरू हो चुकी है और आठ हफ्तों में संबंधित पक्षों से वार्ता के बाद यदि किसी सर्वमान्य हल की संभावना बनती है तो ठीक। नहीं तो कोर्ट की तरफ से नित्य सुनवाई के बाद जो भी फैसला आएगा तो आम चुनाव बाद होगा। यह जानते हुए संघ ने मंदिर राग अलापा है तो इसकी वजह भी है। जैसा सर्वविदित है, संघ ने अतीत में मंदिर निर्माण के लिए बड़े कठोर बयान भी दिए हैं। सर संघ चालक मोहन भागवनत ने मंदिर निर्माण के लिए संसद में कानून बनाने अथवा अध्यादेश लाए जाने की मांग की थी। संघ के दूसरे नेताओं ने मंदिर की अनिवार्यता को आम चुनाव से जोड़ते हुए आगाह भी किया था। यह बात और कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गरीब स्वणों को आरक्षण सीमांत कृषकों को प्रति वर्ष 6 हजार रुपयों समेत कई अन्य आर्थिक-समाजिक मुद्दों को स्पर्श करते हुए विपक्ष के सामने नया विमर्श खड़ा कर दिया और यह संदेश भी जाने दिया कि मोदी सरकार के लिए संविधान ही सब कुछ है। हालांकि विवादित परिसर के अतिरिक्त अधिग्रहीत भूमि को उसके मालिकों को सौपने की अर्जी लेकर सुप्रीम कोर्ट में दस्तक जरूर दी थी।

पर अब आम चुनाव में राफेल और बेरोजगारी के बरक्स पुलवामा के बाद एयरस्ट्राइक से उभरा राष्ट्रवाद का मुद्दा प्रासंगिक हो गया है। फिर भी संघ और भाजपा की पसंद करने वाला तबका मंदिर निर्माण में मध्यस्थता के नाम पर हो रही देरी से नाराज होकर दूसरी तरफ जा सकता है। संघ को डर सता रहा है कि केन्द्र और यूपी में भाजपा की सरकारें है फिर भी मंदिर निर्माण में किसी न किसी बहाने देरी हो रही है। शायद इसीलिए संघ की तरफ से आश्वस्त करने की कोशिश हो रही है और यह भी भरोसा दिलाया जा रहा है कि मोदी योगी के नेतृत्व में ही अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर का निर्माण होगा। यह सच है कि संघ और भाजपा दोनों को जनता के सवालों का सामना करना पड़ेगा। विपक्ष तो पहले से घेरता आ रहा है कि भाजपा मंदिर कब बनाएगी। इस लिहाज से भाजपा की मुश्लिलें कम करने के लिए संघ की तरफ से एक बार फिर अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए प्रतिबद्धता जताई गई है और यह भी कहा गया है कि मध्यस्थता से यदि मंदिर निर्माण का रास्ता निकलता है तो स्वीकार्य है, वरना पहले जैसा आंदोलन अंतिम विकल्प के रूप में बना हुआ है। संघ ने एन चुनाव के दिन भाजपा के लिए जनता जनार्दन से पैरवी तो कर दी है। अब फैसला भविष्य के गर्भ में है।

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