शुक्रवार और पूर्णिमा के योग में आज गणेशजी के साथ ही महालक्ष्मी की पूजा जरूरी पूर्णिमा तिथि पर नदी स्न्नान और दान-पुण्य करने का विशेष महत्व

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आज 5 जून को ज्येष्ठ मास की अंतिम तिथि पूर्णिमा है। इस दिन

मांद्य चंद्र ग्रहण भी रहेगा। इसका धार्मिक महत्व नहीं है। शुक्रवार और पूर्णिमा के योग में गणेशजी और देवी लक्ष्मी की विशेष पूजा करनी चाहिए। पूर्णिमा तिथि पर नदी स्नान और दान-पुण्य करने का विशेष महत्व है। पूर्णिमा पर गणेश मंत्र ऊँ महोदराय नम। ऊँ विनायकाय नम, श्री गणेशाय नम मंत्र का जाप कर सकते हैं। महालक्ष्मी मंत्र ऊँ महालक्ष्म्यै नम। ऊँ दिव्याये नम: मंत्र का जाप कर सकते हैं। पूर्णिमा पर सुबह जल्दी उठें। स्नान आदि कार्यों के बाद घर के मंदिर में पूजा की व्यवस्था करें। इसके बाद श्रीगणेश को हल्दी से पीले किए हुए चावल पर विराजित करें। देवी लक्ष्मी को कुमकुम से लाल किए हुए चावल पर विराजित करें। देवीदेवताओं का मुख पूर्व दिशा की ओर रखना चाहिए। पंचामृत से स्नान कराएं। दूध, दही, घी, शहद और मिश्री से पंचामृत बनता है। इसके बाद गणेशजी को चंदन, लाल फूल चढ़ाएं। देवी लक्ष्मी को भी कुमकुम और लाल फूल अर्पित करें।

गुड़ के लड्डू और दूध से बनी खीर का भोग लगाएं। सुगंधित अगरबत्ती जलाएं। दीपक जलाएं। लक्ष्मी-गणेशजी की आरती करें। पूजा के अंत में भगवान से गलतियों की क्षमा मांगे और मनोकामनाओं को पूरा करने की प्रार्थना करें। इसके बाद पंचामृत व प्रसाद ग्रहण करें। स्नान और दान से पितर होते हैं तृप्त: सनातन धर्म को मानने वाले लोगों के लिए स्कंद और भविष्य पुराण के अनुसार ये बहुत ही महत्वपूर्ण पर्व है। इस पर्व पर तीर्थ स्नान, दान और व्रत करने का महत्व बताया गया है। इन सबके प्रभाव से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। हर तरह के पाप और दोष दूर हो जाते हैं। साथ ही पुण्य फल मिलता है। इस पूर्णिमा पर भगवान शिव-पार्वती, विष्णुजी और वट वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व है। इसलिए ज्येष्ठ महीने की पूर्णिमा को धर्मग्रंथों में बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। ज्येष्ठ महीने की पूर्णिमा तिथि को तीर्थ स्नान के साथ ही तर्पण और श्रद्धा अनुसार अन्न एवं जल दान किया जाता है।

ऐसा करने से पितर तृप्त होते हैं। ज्येष्ठ की पूर्णिमा पर सुबह जल्दी उठकर तीर्थ स्नान करना चाहिए। इसके बाद सूर्य को अघ्र्य देकर पितरों की शांति के लिए तर्पण करना चाहिए। इसके बाद ब्राह्मण भोजन और जल दान का संकल्प लेना चाहिए। दिन में अन्न और जल दान करना चाहिए। ऐसा करने से पितृ संतुष्ट होते हैं और परिवार में समृद्धि आती है। शिवजी की पूजा: ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन स्नान, ध्यान और पुण्य कर्म करने का विशेष महत्व है। इसके साथ ही यह दिन उन लोगों के लिये भी बेहद महत्वपूर्ण है, जिनका विवाह होते होते रुक जाता है या फिर वैवाहिक जीवन में किसी प्रकार की कोई बाधा आ रही हो।

तो ऐसे लोगों को इस दिन सफेद कपड़े पहनकर शिवजी का अभिषेक करना चाहिए। भगवान शिव की पूजा हर समस्या दूर हो जाती है। ज्येष्ठ पूर्णिमा का महत्व: स्कंद और भविष्य पुराण के अलावा अन्य ग्रंथों में भी ज्येष्ठ पूर्णिमा का विशेष महत्व बताया गया है। आमतौर पर इस दिन से श्रद्धालु गंगा जल लेकर अमरनाथ यात्रा के लिए निकलते हैं। ज्येष्ठ महीने में गर्मी बहुत तेज होती है इसलिए ऋषियों ने पूर्णिमा तिथि पर अन्न और जल दान का विधान बताया है। पूर्णिमा पर तीर्थ स्नान और जल की पूजा की भी विशेष महत्व है। इसी के माध्यम से हमें ऋषि-मुनियों ने संदेश दिया है कि जल के महत्व को पहचानें और इसका सदुपयोग करें।

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