वंदे मातरम मार्ग : ये सड़क डराती

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पूसा रोड के गोल चक्कर से सटे हैं स्प्रिंगडेल्स स्कूल और भूली भटियारी। ये दोनों आमने-सामने हैं। इनके बीच में है वंदे मातरम मार्ग। इसके दूसरे छोर पर हम पहुंचते हैं धौला कुआं। इस सडक़ को 35-40 साल पहले अपर रिज रोड या ओल्ड गुडग़ांव रोड भी कहते थे। तब यहां से गुडग़ांव के लिए बसें चला करती थीं। बहरहाल, जब आप पूसा रोड से धौला कुआं जाने के लिए वंदे मातरम मार्ग पर बढ़ते हैं तो सडक़ की बाईं तरफ बुद्ध जयंती पार्क और दाईं ओर रिज क्षेत्र मिलता है। यानी चौतरफा हरियाली ही हरियाली। यहां तक तो सब कुछ ठीक है लेकिन दिन में भी ट्रैफिक का अपेक्षाकृत कम होना हैरान करता है। हालांकि करोल बाग से धौला क आं या गुरुग्राम की तरफ जाने का यह छोटा रास्ता है।

शाम ढलने के साथ ही अंधेरा पसरने लगता है। इस तीन-चार किलोमीटर लंबी सडक़ से गुजरते हुए एक तरह का डर महसूस होने लगता है। आप अपनी कार या किसी अन्य वाहन से चलते हुए अचानक किसी सांप को सडक़ पार करते हुए देखेंगे। यह भी संभव है कि किसी नेवले के मुंह में सांप जकड़ा हुआ दिख जाए। बुद्ध जयंती पार्क और रिज में सांप, नीलगाय, मोर, जंगली खरगोश भरपूर हैं। ये सब अक्सर सडक़ पर आ जाते हैं। ये नजारे देखकर किसी का भी चंद पलों के लिए घबरा जाना स्वाभाविक है। हालांकि वंदेमातरम मार्ग पर बिजली के पर्याप्त खंभे लगे हैं पर इस सडक़ का इतिहास भी तो डरावना है।

इसी पर 1978 में गीता-संजय चोपड़ा का कत्ल हुआ था। उस दिल दहलाने वाले कांड के बाद दिल्ली वाले दिन में भी इधर से गुजरने से बचने लगे थे। उस कत्ल की दहशत ही इतनी थी दिल्ली वालों के जेहन में। हालांकि तब तक राजधानी में सड़कें आज की तरह वाहनों से भरी रहती थी। उस समय तक देश में ऑटो क्रांति दस्तक भी नहीं दी थी। वंदे मातरम मार्ग पहली बार खबरों में तब आया था जब 1971 में रुस्तरम नागरवाला नाम के एक शख्स ने स्टेट बैंक की संसद मार्ग ब्रांच से 60 लाख रुपये धोखे से निकाल लिए थे। वह उन रुपयों को लेकर टैक्सी में इसी सड़क पर बहुत देर तक घूमता हा था। उस कांड की देशव्यापी चर्चा हुई थी। इसी वंदेमारतम मार्ग से बाद में पुलिस ने उन रुपयों के बक्सों को बराबम किया था। यह राजधानी की उन गिनी-चुनी सड़कों में है, जहां रात 8-9 बजे के बाद आपको मुश्किल से ही कोई आता-जाता मिलेगा। क्या इसकी वजह भी डर ही है?

विवेक शुक्ला
लेकख वरिष्ठ पत्रकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं

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