यूं ही नहीं हॉकी के जादूगर कहलाते हैं मेजर ध्यानचंद

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देश में ऐसे बहुत से लोग हुए हैं, जिन्होंने अपने क्षेत्र में इतनी महारत हासिल की कि उनका नाम इतिहास के पन्नों में सदा के लिए दर्ज हो गया। भारत में हॉकी के स्वर्णिम युग के साक्षी मेजर ध्यानचंद का नाम भी ऐसे ही लोगों में शुमार है। उन्होंने अपने खेल से भारत को ओलिंपिक खेलों की हॉकी स्पर्धा में स्वर्णिम सफलता दिलाने के साथ ही परंपरागत एशियाई हॉकी का दबदबा कायम किया। विपक्षी खिलाडिय़ों के कजे से गेंद छीनकर बिजली की तेजी से दौडऩे वाले ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त 1905 को हुआ था। यानी देश ने रविवार को उन्हें याद किया राष्ट्रीय खेल दिवस मनाकर। हाल ही में पीएम नरेंद्र मोदी ने एक क्रांतिकारी फैसला लिया था। भारत के सर्वोच्च खेल सम्मान खेल रत्न पुरस्कार का नाम राजीव गांधी की जगह मेजर ध्यानचंद के नाम पर किया गया।

जब ओलिंपिक में चार दशक बाद भारतीय हॉकी टीम ने मेडल लाया, उसके बाद ही यह क्रांतिकारी फैसला लिया गया था। ध्यानचंद को भारत में हॉकी का जादूगर कहा जाता है। 1926 से 1949 तक के करियर में दद्दा ने देश को हॉकी में 1928, 1932 और 1936 का ओलिंपिक गोल्ड दिलाया। इलाहाबाद में पैदा होने वाले ध्यानचंद की कर्मस्थली झांसी रहा। विदेशी समझते थे कि उनकी हॉकी स्टिक से बॉल चिपक जाती है। जब वह बॉल लेकर आगे निकलते तो हॉकी में बॉल ऐसे चलती थी, जैसे चिपक गई हो, इसलिए उन्हें हॉकी का जादूगर कहा जाता था।देश में ऐसे बहुत से लोग हुए हैं, जिन्होंने अपने क्षेत्र में इतनी महारत हासिल की कि उनका नाम इतिहास के पन्नों में सदा के लिए दर्ज हो गया। भारत में हॉकी के स्वर्णिम युग के साक्षी मेजर ध्यानचंद का नाम भी ऐसे ही लोगों में शुमार है।

उन्होंने अपने खेल से भारत को ओलिंपिक खेलों की हॉकी स्पर्धा में स्वर्णिम सफलता दिलाने के साथ ही परंपरागत एशियाई हॉकी का दबदबा कायम किया। विपक्षी खिलाडिय़ों के कजे से गेंद छीनकर बिजली की तेजी से दौडऩे वाले ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त 1905 को हुआ था। यानी देश ने रविवार को उन्हें याद किया राष्ट्रीय खेल दिवस मनाकर। हाल ही में पीएम नरेंद्र मोदी ने एक क्रांतिकारी फैसला लिया था। भारत के सर्वोच्च खेल सम्मान खेल रत्न पुरस्कार का नाम राजीव गांधी की जगह मेजर ध्यानचंद के नाम पर किया गया।

जब ओलिंपिक में चार दशक बाद भारतीय हॉकी टीम ने मेडल लाया, उसके बाद ही यह क्रांतिकारी फैसला लिया गया था। ध्यानचंद को भारत में हॉकी का जादूगर कहा जाता है। 1926 से 1949 तक के करियर में दद्दा ने देश को हॉकी में 1928, 1932 और 1936 का ओलिंपिक गोल्ड दिलाया। इलाहाबाद में पैदा होने वाले ध्यानचंद की कर्मस्थली झांसी रहा। विदेशी समझते थे कि उनकी हॉकी स्टिक से बॉल चिपक जाती है। जब वह बॉल लेकर आगे निकलते तो हॉकी में बॉल ऐसे चलती थी, जैसे चिपक गई हो, इसलिए उन्हें हॉकी का जादूगर कहा जाता था।

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