मोदी-शाह ने जाल में उलझा ही लिया ममता को

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पश्चिम बंगाल भारत का हिस्सा नहीं है जो वहां ना तो सीबीआई घुस सकती और ना ही केन्द्र सरकार का कोई आदेश वहां लागू हो सकता? वो भारत का हिस्सा है और रहेगा। टीएमसी रहेगी या जाएगी ये जनता तय करेगी लेकिन इस तरह तानाशाही भरे फैसले नहीं किए जा सकते। आज अगर ममता कर रही हैं तो कल कोई और करेगा।

कोलकाता में जो रहा है या कहा जाए कि इस वक्त पूरे देश में जो चल रहा है वो लाकतंत्र का हिस्सा तो नहीं कहलाया जा सकता। राजा हो या रंक अगर सीबीआई छापा मारने जाती है तो फिर किसी को रोकने का क्या हक? अगर सीबीआई पूछताछ के लिए बुलाना चाहती है तो कोई क्यों पाबंदी खड़ी कर देता है? सीबीआई टीम की गिरफ्तारी और उसके बाद का जो ड्रामा चल रहा है वो लोकतंत्र पर खूलेआम सवालिया निशान भी खड़े कर रहा है और संवैधानिक संकट भी। सवाल ये नहीं है कि गलती किसकी है और कौन राजनीतक फायदा उठाना चाहता है, सवाल ये है कि क्या आजाद भारत में अब गुलामी के दौर की सियासतें नजर आएंगी? ममता जो कर रही हैं वो यही है। किसी भी सूरत में इसे सही नहीं ठहराया जा सकता। अगर किसी सीएम से सीबीआई को पूछताछ करने का हक है तो फिर डीजीपी से क्यों नहीं? क्या पश्चिम बंगाल भारत का हिस्सा नहीं है जो वहां ना तो सीबीआई घुस सकती और ना ही केन्द्र सरकार का कोई आदेश वहां लागू हो सकता? वो भारत का हिस्सा है और रहेगा। टीएमसी रहेगी या जाएगी से जनता तय करेगी लेकिन इस तरह तानाशाही भरे फैसले नहीं किए जा सकते। आज अगर ममता कर रही हैं तो कल कई और करेगा। तो फिर कैसे मान लिया जाए कि लोकतंत्र सही दिशा की ओर है? जिस वक्त सीबीआई के घुसने पर ममता व दूसरे कुछ राज्यों ने रोक लगाई थी तो उसी वक्त केन्द्र सरकार सुप्रीम कोर्ट क्यों नहीं? पर वो जाती कैसे? खुद मोदी सरकार की चाहत की वजह से सुप्रीप कोर्ट के दो आला अफसर लड़ते रहे और नजीता ये निकला कि सीबीआई को खुद मोदी सरकार ने ही दंतविहीन कर दिया।

अगर इस एजेंसी का रुतबा ही नहीं छोड़ा जाएगा तो फिर बचेगा क्या? सवाल ये भी उठता है कि सीबीआई के प्रवेश पर बैन क्यों लगाया गया? अगर कोई गलत काम नहीं किया तो फिर ममता ने ये कदम क्यों उठाया? क्या ममता ने गलत किया या गलत का साथ दिया? या फिर ममता को डर था कि चुनाव से पहले मोदी सरकार उसके खिलाफ सीबीआई का इस्तेमाल कर सकती है?

वैसे ठीक चुनाव से पहले हर विपक्षी नेता के खिलाफ सीबीआई व ईडी का इस्तेमाल कहीं ना कहीं ये शक तो पैदा करता ही है कि बदले की भावना से काम किया जा सकता है और सीबीआई का इस्तेमाल हो रहा है? आखिर चार साल तक सोते क्यों रहे? क्या तब वाड्रा याद नहीं आए, अखिलेश याद नहीं आए या फिर मायावती के राज के स्मारक अचानक सामने आ गए? बहाने अदालत के बनाए जा सकते हैं लेकिन साथ यही ये भी मानना पड़ेगा कि जायज होने के बावजूद जायज एक्शन पर बाकी भले ही चुप्पी साधे रहें लेकिन ममता चुप बैठने वाली नहीं और जरूर ऐसा करेंगी जिसका फायदा लोकसभा चुनाव के वक्त उठाया जा सकता है?

इस एक्शन से ठीक एक दिन पहले बंगाल जाकर ममता को उकसाने की जरूरत क्या थी? आखिर मोदी ममता पर इतने आक्रमक क्यों हैं? कारण सीधा सा है कि मोदी व अमित शाह जानते हैं कि यूपी की हार की थोड़ी बहुत भरपाई बंगाल से ही हो सकती है। दूसरे भाजपा व कांग्रेस को छोड़ बाकी सारे विपक्ष में ममता से बड़ा नेता है कौन? सामने जो नजर आ रहा है उससे साफ जाहिर है कि मोदी ने ममता को उकसाया और जिसे ममता का पलटवार कहा जा रहा है दरअसल वो भाजपा का जाल है जिसमें फिलहाल लोकतंत्र भले ही फंसा नजर आ रहा हो लेकिन लोकसभा चुनाव में फायदा साफ-साफ भाजपा उठाएगी।

लेखक
डीपीएस पंवार

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