कोरोना के खात्मे लिए मैंने खोजबीन कर ली है। मैं जनता के हित के लिए यह रिसर्च रिपोर्ट पब्लिश कर रहा हूं। इस रिपोर्ट पर अमल करने पर कोरोना हंड्रेड परसेंट भागता हुआ दिखाई देगा। इसलिए मुझे कोरोना भगाने के लिए कोरोनोबेल पुरस्कार से सम्मानित करना चाहिए। जनता की सुविधा के लिए यह रिसर्च रिपोर्ट प्रस्तुत कर रहा हूं। कई जन रिसर्चों से पतालगा है कि कोरोना वायरसन आंखों के जरिए शरीर में प्रवेश लेता है और न ही मुंह-नाक के जरिए। कोरोना का फैलाव व विस्तार केवल ठुड़ी के माध्यम से होता है। इसलिए हमें मास्क न तो मुंह पर लगाना चाहिए और न ही नाक पर! मास्क को तो हमें ठुड्डी पर ही लगाना चाहिए। बल्कि इसे झूले की तरह तुही पर लहरा देना चाहिए। इसे ऐसे भी कह सकते हैं कि इसे सूखने.झूलने के लिए ठुड्डी रूपी तनी पर तानदेना चाहिए। मैं बहुत प्रसन्न हूं। हमारे देशवासियों ने कोरोना को भगाने के लिए अपनी-अपनी कमर के बजाय ही कस ली है।
कोरोना को भगाने के लिए मास्क को मुंह पर सॉरी-सॉरी, अपनी-अपनी निजी तुही पर लगा लिया है। इधर जहां-जहां भी सड़कों पर नजरें घुमाताई, हर एक बंदा मास्क तुट्टी पर लगाए इतराता दिखाई देरहा है। जिस किसी ऑफिस में जाता हूंए तो मास्क ठुड्डी पर ही लहराते दिखे हैं। मैं स्वयं भी अपना मास्क हमेशा ठुड्डी पर ही लगाए रखता हूं, क्योंकि मैं देश का जिम्मेदार नागरिक हूं। मुझे यह सब पता है कि मास्क को ठुड्डी पर लगाने से ही कोरोना वायरस का खात्मा हो सकता है। जो-जो भी सज्जन अपने अपने मास्क को ठुड्डी पर झुला, घूमते है, उन सबको दंडवत के साथ-साथ उल्टा होकर प्रणाम करता हूं। इधर कोरोना वायरस का भी अपना ही जलवा दिखाई दे रहा है। जहां-जहां चुनाव होते हैं, वहां-वहां कोरोना वायरस अपनी दुम दबाकर भागता दिखाई देता है। चुनाव में रैली है, रेला है और बड़ा झमेला है, लेकिन यहीं कोरोना वायरस का दम फूला है। चुनाव की भीड़ में कोरोना खुद गायब होकर भाग छूटा है। वैसे कोरोना से कुश्ती करने और उसे भगाने के लिए चुनाव करवा देने चाहिए।
रिसर्च तो यही कहते हैं कि चुनावी भीड़ को देखकर कोरोना घबराकर भागता हुआ दिखाई दिया है। एक रिसर्च से यह भी पता लगा है कि कोरोना रात के अंधेरे में सुनसान जगहों पर चुपचाप आता है और अपना धमाल मचाता है। कहा भी गया है। अंधेरी रातों में, सुनसान राहों में वो कोई दुश्मन निकलता है। जिसे कोरोना कहते हैं। इसके खात्मे का भी उपाव कर लिया है। रात में जब पब्लिक सो जाती है, कोई इधर-उधर नहीं जाते हैं, तब कर्फ्यू लगा दिया जाता है ताकि कोरोना ज्यादा उधम न मचा सके। सही भी हैरात के समय कर्फ्यू लगा देने से कोरोना पर ब्रेक लग ही जाता है। शादी-समारोह, मेले.त्योहार, भीड़-भाड़ आदि स्थानों पर कोरोना नहीं पाया जाता है। पीर पंडितों के धार्मिक मेलों में भी कोरोना नहीं पाया जाता है। इन रिसों से तो यही पता लगता है। इसलिए मैं इस देश की जनता को प्रणाम करने के अलावा और कुछ नहीं कर सकता! हमारी जनता महान है। हमारे नेता तो बड़े महामहान है। इन्हें फटाफट हाथ जोड़कर पतली गली से खिसक लूं। इसी में फायदा है।