प्रज्ञा को तो अपना नाम तुरंत वापस लेना चाहिए

0
236

भोपाल से भाजपा की लोकसभा उम्मीदवार प्रज्ञा ठाकुर ने भाजपा को गहरा नुकसान पहुंचाया है। उन्होंने महाराष्ट्र के स्वर्गीय पुलिस अधिकारी हेमंत करकरे के विरुद्ध बयान देकर महाराष्ट्र में भाजपा को चोट पहुंचाई है। बाबरी मस्जिद गिराने में अपनी भूमिका का जिक्र करके उन्होंने हिंदू संतों की छवि मलिन की है और अब नाथूराम गोडसे को देशभक्त बताकर उन्होंने भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को सांसत में डाल दिया है। इसमें उसका जितना दोष है, उससे ज्यादा उनका दोष है, जिन्होंने चुनाव लड़ने के लिए प्रज्ञा का नाम सुझाया है और उनका और भी ज्यादा है, जिन्होंने उसके नाम को स्वीकृति दी है।

इसीलिए कांग्रेस की यह मांग तर्कसंगत लगती है कि प्रज्ञा के मूर्खतापूर्ण बयानों के लिए उसके द्वारा मांगी जाने वाली माफी काफी नहीं है। वह माफी मांगी जानी चाहिए नरेंद्र मोदी और अमित शाह द्वारा। अगर मोदी और शाह अब माफी मांग लेंगे तो भी क्या होगा ? जो नुकसान होना था, वह हो गया। यदि प्रज्ञा हारती है और बुरी तरह से हारती है तो भोपाल सीट का नुकसान तो हो ही गया, विरोधियों को भाजपा पर प्रहार करते रहने के लिए एक अस्त्र भी मिल गया।

यदि वह जीतती है तो समझ लीजिए कि मोदी के गले में एक पत्थर बंध गया। भाजपा की वह एक ऐसी सांसद होगी, जिसके मुंह में बम भरे होंगे। वह बम कब किस पर गिरेगा, कुछ पता नहीं। इसका एक ही समाधान अभी हो सकता है कि भाजपा इसी वक्त प्रज्ञा को आदेश दे कि वह अपनी उम्मीदवार रद्द करवा ले। प्रज्ञा खुद कहे कि वह अपनी उम्मीदवारी वापस लेती है। यों भी कांग्रेस के दिग्विजयसिंह के मुकाबले प्रज्ञा पासंग भर भी नहीं है। यह आश्चर्य की ही बात है कि आतंकवाद की एक आरोपी महिला को भाजपा ने अपना संसदीय उम्मीदवार बनाया है।

एक तरफ आप हिंदू आतंकवाद शब्द की भर्त्सना कर रहे हैं और दूसरी तरफ आपने ऐसा काम कर दिया है, जिसके कारण आपको बगलें झांकनी पड़ रही हैं। शायद यह इसीलिए किया गया है कि वोटों का ध्रुवीकरण हो जाए। मजहबी बंटवारा हो जाए। अब भाजपा को प्रज्ञा से यह क्यों कहना पड़ रहा है कि वह 19 मई तक अपने मुंह पर ताला ठोके रहे। किसी साधु या साध्वी को इस तरह का निर्देश नेता लोग देने लगें तो क्या आप उसे साधु या संत मानेंगे?

क्या भगवा कपड़े पहन लेने से ही कोई साधु बन जाता है ? जिन्हें दलीय राजनीति के दलदल में उतरना है, उनसे मेरा निवेदन है कि वे कृपया भगवा चोला उतारकर ही उसमें गोता लगाएं। (यह लेख लिखे जाने के बाद पता चला कि मोदी ने कहा कि वे गोडसे वाले बयान के लिए प्रज्ञा को कभी माफ नहीं कर पाएंगे। मैं मोदी से गदगद हुआ। अब मोदी वही करें, जो मैंने कहा है)

डॉ. वेदप्रताप वैदिक
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं ये उनके निजी विचार हैं

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here