वर्ल्ड हेल्थ अर्गनाइजेशन यानि डल्यूएचओ की भूमिका भी सियासी आरोपप्रत्यारोप के घेरे में है। संगठन के प्रमुख ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रप के उस बयान पर सवाल उठाया है जिसमें कहा गया कि चीन की भूमिका के प्रति नरमी दिखाते हुए नरमी बरती गयी। दरअसल ट्रप ने कहा था कि डल्यूएच को समय रहते कोरोना को महामारी घोषित करते हुए पूरी दुनिया को सचेत करना चाहिए था। चीन पर आरोप है कि उसने पूरी दुनिया से जान-बूझकर सच्चाई छिपाई बल्कि महाप्रकोप के समय भी उसकी यही कोशिश होती रही कि मल्टी नेशनल कंपनियां उत्पादन के काम में लगी रहें ताकि उसके आर्थिक हित सधते रहें। इसी वजह से हुवोई प्रांत की राजधानी वुहान में फैला कोरोना वायरस धीरे-धीरे दुनिया के तमाम देशों में फैल गया। नतीजन पूरी दुनिया इस सदी की सबसे बड़ी महामंदी की तरफ कदम बढ़ा रही है। यह सही है कि संयुक्त राष्ट्र संगठन और उससे जुड़े तमाम शाखाओं की भूमिका को लेकर सवााल उठते रहे हैं। यह शायद पहला मौका है कि स्वास्थ्य संगठन की भूमिका का लेकर आवाज उठी है। इस संगठन में अमेरिका बड़ी राशि की मदद करता है। ट्रप ने कहा कि अमेरिका 45 करोड़ डालर की फंडिंग करता है जबकि चीन साढ़े चार करोड़ डॉलर का ही अंशदान करता है।
इसके बावजूद उसका पक्ष लिया जाता है। स्वाभाविक है, भारी अंशदान के बाद भी बकौल ट्रप डल्यूएचओ के स्वास्थ्य महानिदेशक का चीन के पक्ष में खड़े दिखना चुभने वाली है लेकिन इसी के साथ एक सच यह भी है कि इसी साल के अंत में अमेरिका में राष्ट्रपति का चुनाव होने वाला है, ऐसे में कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के सामने अमेरिका की स्वास्थ्य सेवा भी लडख़ड़ा गयी है। विशेष रूप से न्यूयार्क जैसे घने आबादी वाले शहर में इस महामारी से हजारों की तादाद में लोगों की अब तक मौत हो चुकी है। अस्पतालों में ऐसे मरीजों को भर्ती करने के लिए बेड का भी अभाव शुरू हो गया है। हालांकि इन चुनौतियों के बीच अच्छी खबर यह है कि नये मरीजों के मामलों में कमी दिखनी शुरू हुई है। इसे स्वास्थ्य विभाग राहत की बात कह रहा है। इस सबके बीच आर्थिक मोर्चे पर भी ट्रप प्रशासन के लिए मुश्किलें पैदा हो गयी हैं। ताजा स्थिति यह है कि इस अवधि में डेढ़ करोड़ लोगों की अब तक नौकरी जा चुका है। हालांकि सरकार की तरफ से 2 लाख करोड़ का राहत पैकेज जारी किया गया है पर उसे अपर्याप्त माना जा रहा है। इसीलिए ट्रप को अपना दूसरा कार्यकाल ज्यादा मुश्किल प्रतीत हो रहा है।
वैसे भारत से आनन-फानन में हाइड्राक्सोक्लोरीन की दवा मंगाकर एक कोशिश जरूर हुई है लेकिन जो इस महामारी के चलते अमेरिका में हालात पैदा हुए हैं और लोग इसके लिए ट्रप के प्रति नाराजगी भी जता रहे हैं, उससे अपने चुनाव में जीत की आशंका को पलीता जरूर लगा है। डेमोक्रेट्स इस नाराजगी का फायदा उठा सकते हैं। वैसे पहले से ही ट्रप की चौतरफा घेरेबंदी होती रही है, महाभियोग का सामना करने तक की नौबत आ गयी थी। ऐसी स्थिति में यह कोरोना संकट ट्रप के भविष्य के लिए बड़े अवरोध के रूप में साबित हो सकता है। इसीलिए ट्रप अपने हालिया नाकामी के लिए अमेरिकी जनता का ध्यान बंटाने की कोशिश के तहत डल्यूएचओ पर निशाना साध रहे हैं। जहां तक चीन की बात है तो इतना सत्य अवश्य है कि उसने अपने आर्थिक हितों को बचाने की गरज से कोरोना वायरस के संकट से दुनिया को देर में जानकारी दी। पर इस पर डल्यूएचओ की तरफ से कितना परदा डाला गया, उसके बारे में कयास ही लगाया जा सकता है। यह समय वैश्विक स्तर पर मिलकर महामारी से लडऩे का है,ना कि एक-दूसरे पर दोषारोपण करने का।