कोरोना यानि कोविड-19 से भारत में पहली मौत की पुष्टि हुई है। कर्नाटक के कलबर्गी में 76 वर्षीय व्यक्ति की मौत हुई है। दिल्ली-हरियाणा में इसे महामारी घोषित कर दिया गया है। बाजार की सेहत भी कमोवेश ऐसी ही हो गई है। आठ लाख करोड़ का नुकसान हुआ है। अकेले मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस को एक लाख 10 हजार करोड़ डॉलर का नुकसान हुआ है। वल्र्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन ने इसे महामारी घोषित कर दिया है। इसके असर का आलम यह है कि लखनऊ के इकाना स्टेडियम में होने वाले वनडे में दर्शकों का प्रवेश प्रतिबंधित रहेगा। मतलब पहली बार 50 हजार खाली सीटें मैच देखेंगी। हालांकि कोरोना को लेकर पैनिक होने की जरूरत नहीं है पर सावधानी बरतनी जरूरी है। खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोगों को कहा है कि भीड़-भाड़ से बचें। पर इस महामारी को लेकर भी सियासत से कुछ नेता बाज नहीं आ रहे। ऐसी तस्वीर पेश कर रहे हैं कि सब कुछ समाप्त होने जा रहा है। सरकार पर जब-तब हमले के लिए बेताब रहते हैं।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि सरकार कोविड-19 से निपटने में नाकाम दिख रही है। इस सरकार ने देश को महा विभीषिका की तरफ झोंक दिया है। इससे पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा था कि कोरोना के बहाने देश भर में सीएए के खिलाफ चल रहे विरोध-प्रदर्शनों को खत्म कराने की साजिश की जा रही है। इटावा के सैफई में होली के दिन सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी कोरोना की ओट में मोदी सरकार पर तंज किया था। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल को भी कोरोना वायरस की तरह देश में कम्यूनल वायरस फैलता दिखता है। जहां तक इस महामारी से निपटने की बात है तो सरकार के स्तर पर 57 जांच केन्द्र स्थापित किए गए हैं। भारत जैसे विशाल घनी आबादी वाले देश के लिहाज से पर्याप्त नहीं है। इसकी तादाद कई गुना बढ़ाये जाने की जरूरत है। चीन में तो इसका केन्द्र बुहान ही था, लेकिन भारत के कई शहरों में यह वायरस पहुंच चुका है।
यह अच्छी पहल है कि जांच के दायरे में 25 एयरपोर्ट हैं। इसे और बढ़ाए जाने की जरूरत है क्योंकि यह वायरस 100 से ज्यादा देशों में पहुंच चुका है। वैसे भी वायरस की कोई भौगोलिक सीमा नहीं होती। वैश्विक- आर्थिक-सामाजिक संबंधों के दौर में दूरी महत्वहीन हो गई है। ऐसे में बचाव के लिए सरकारी प्रयासों के साथ ही व्यक्तिगत सहयोग की भी जरूरत है। इस वायरस का अभी तक कोई इलाज नहीं खोजा जा सका है। खान-पान और रहन-सहन में संयम बरते जाने की जरूरत है ताकि सम्पर्क की तीव्रता से बचा जा सके। यह सम्पर्क से ही फेलता है। मंदी के दौर में इस नये संकट ने सभी को हैरत में डाल दिया है। दिल्ली में तो 31 मार्च तक के लिए मॉल, सिनेमाहॉल और स्कूल बंद कर दिए गए है। आर्थिक गतिविधियों पर एहतियात के तौर पर लगते इस ग्रहण को स्वीकारने के अलावा कोई चारा भी नहीं है। ऐसी परिस्थिति में सियासी दलों को भी संयम बरतने की जरूरत है।