गो आधारित प्राकृतिक खेती किसानों के लिए वरदान

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नमामि गंगे योजना अंतर्गत गो आधारित प्राकृतिक खेती पर कार्यशाला का आयोजन बुधवार को कानपुर में हुआ। चंद्रशेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय (सीएसए) में आयोजित कार्यशाला में मुख्य अतिथि गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दीप जलाकर कार्यक्रम का उद्घाटन किया। कार्यक्रम में किसानों को प्राकृतिक खेती की ओर बढऩे की नसीहत के साथ गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि यूरिया व फर्टिलाइजर खाद किसानों की खेती के लिए नुकसान देय है। उन्होंने कहा कि एक गाय के गोमूत्र और गोबर से 30 एकड़ खेती की जा सकती है। बताया कि भारतीय केंचुआ खेती फसल के लिए काफी लाभदायक है, जबकि यूरिया केंचुए को खत्म करने काम कर रहा है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आय तभी बढ़ सकती है जब लागत कम और उत्पादन ज्यादा हो। गो आधारित प्राकृतिक खेती कम लागत के साथ है और किसी भी प्रकार की मौसम की दिक्कत से सामना करने की इस फसल में क्षमता होती है। इस खेती के लिए केंद्र सरकार ने बजट की व्यवस्था की है।

केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कार्यशाला में आये किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि गो आधारित खेती लाभप्रद होने के साथ ही जीरो बजट खेती भी है। इस दौरान प्रदेश के कृषि एवं कृषि शिक्षा मंत्री सूर्य प्रताप शाही, मंत्री दुग्ध विकास एवं पशुपालन लक्ष्मी नारायण चौधरी, राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार उद्यान एवं कृषि विपणन ने भी गो आधारित प्रकृति खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया। सीएसए में आयोजित गो आधारित गंगा संरक्षण को लेकर हुई कार्यशाला में मुख्यमंत्री मौसम का मिजाज बिगडऩे के चलते कुछ देरी से पहुंचे। उनके साथ हैलीकाप्टर में भाजपा के प्रदेश महामंत्री (संगठन) सुनील बंसल, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य भी कानपुर आए। हेलीपैड पर उतरने के बाद चन्द्रशेखर आजाद की प्रतिमा पर पुष्पार्चन कर वह यहां से साकेत नगर में आयोजित सीएए को लेकर आयोजित कार्यक्रम के लिए रवाना हो गए। यहां पर पहले चरण के तहत बिजनौर से लेकर गंगा किनारे खेती करने वाले 1038 ग्राम पंचायतों से किसान पहुंचे थे, जिन्हें गो संरक्षित कर प्राकृतिक खेती को लेकर कार्यशाला में प्रशिक्षण दिया जाएगा और यह लोग अपने- अपने यहां जाकर गंगा किनारे जैविक खेती कर गंगा को भी प्रदूषण मुक्त बनाने में योगदान देंगे।

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