कश्मीर में ट्रंप की दिलचस्पी की वजह

0
177

भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप रविवार को जी-7 देशों की शिखर बैठक के दौरान मिले। कहा जा रहा है कि इस मुलाकात में अमरीकी राष्ट्रपति ने नरेंद्र मोदी से जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे वाले अनुच्छेद- 370 को निष्प्रभावी बनाने और जम्मू- कश्मीर को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांटने के बाद बढ़े तनाव को कम करने की योजना के बारे में बात की। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप इस मुलाकात में, क्षेत्रीय तनाव को कम करने के बारे में नरेंद्र मोदी की योजना के बारे में सुनना चाहते थे। भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता का प्रस्ताव देने के बाद से ट्रंप लगातार कश्मीर पर बात करते आए हैं, भले ही कई बार उन्होंने यह बेमन से ही किया है। इस सप्ताह की शुरुआत में उन्होंने कश्मीर की समस्या का अपने ही अंदाज़ में अनूठी व्याख्या करते हुए कहा, कश्मीर काफी जटिल जगह है।

वहां हिंदू भी हैं, मुसलमान भी हैं। मैं यह भी नहीं कह सकता है कि वे साथ में शानदार ढंग से रह पाएंगे, ऐसे में जो मैं सबसे अच्छा कर सकता हूं वह यह है कि मैं मध्यस्थता कर सकता हूं। आपके पास दो काउंटी हैं जो लंबे समय तक एक साथ नहीं रह सकते हैं और सीधे तौर पर कहूं तो यह काफी विस्फोटक स्थिति हैं। उन्होंने दोनों देशों के प्रधानमंत्री यानी नरेंद्र मोदी और इमरान ख़ान से भी टेलीफ़ोन पर बातचीत की। मोदी ने ट्रंप के साथ अपनी बातचीत में स्पष्टता से कहा कि क्षेत्र के कुछ विशेष नेताओं की ओर से भारत विरोधी बयान और हिंसा को उक साना शांति के अनुकूल नहीं है, जिसके बाद ही ट्रंप ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान ख़ान से कश्मीर को लेकर भारत के खिलाफ थोड़ी नरमी से बयान देने को कहा।

एक स्तर पर, ट्रंप का जिस तरह का एप्रोच है उसको देखते हुए उनके लिए इस मामले में दूसरे मामलों की तरह थाह लेना मुश्किल है क्योंकि उनका तरीका किसी समस्या पर तत्काल प्रभाव डालने वाला है, रणनीतिक तौर पर हल करने वाला एप्रोच उनका नहीं है। हाल में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान ख़ान की अमरीका यात्रा के दौरान डोनल्ड ट्रंप ने एक दम अप्रत्याशित और नाटकीय ढंग से कश्मीर विवाद में मध्यस्थता करने की पेशकश की थी, जो भारत में मीडिया की सुर्खय़िां तो बनी ही साथ में इसको लेकर राजनीतिक तौर पर भी काफ़ी हंगामा देखने को मिला। इमरान ख़ान को बगल में बिठाकर ट्रंप ने व्हाइट हाउस में संवाददाताओं से कहा, अगर मैं मदद कर पाया तो मैं मध्यस्थता करना पसंद करूंगा।

उन्होंने नरेंद्र मोदी के साथ इस महीने की शुरुआत में जापान के आसोका में हुई मुलाक़ात का जि़क्र करते हुए कहा, दो सप्ताह पहले मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ था और हमलोग इस विषय पर बात कर रहे थे और तब उन्होंने मुझसे कहा, क्या आप मध्यस्थता करना पसंद करेंगे,तो मैंने पूछा, कहां, उन्होंने बताया, कश्मीर। क्योंकि यह कई सालों से चला आ रहा है। मेरे ख्याल से वे इस मसले का हल चाहते हैं और आप (इमरान ख़ान) भी इस समस्या का हल चाहते हैं। अगर मैं मदद कर सकता हूं तो मैं मध्यस्थता करना पसंद करूंगा। वास्तविकता में ट्रंप की पेशकश कई भारतीयों के लिए किसी झटके जैसा ही था, क्योंकि यह बीते एक दशक से चल रही उस अमरीकी नीति के बिलकुल उलट था जिसके तहत अमरीका कश्मीर को भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय मसले यानी भारतीय संवेदनाओं के साथ देखता आया था।

वैसे एक सच्चाई यह भी है कि बराक ओबामा सहित कई अमरीकी राष्ट्रपतियों को कश्मीर का विवाद आकर्षित भी करता रहा है लेकिन वाशिंगटन प्रशासन यह बात अच्छी तरह से समझ चुका था कि अगर वह भारत के साथ अपने रिश्ते को मज़बूत करना चाहता है तो उसे कश्मीर में दख़ल नहीं देना होगा। ऐसे में सवाल यह है कि वह कौन सी बात है जिसने ट्रंप को ऐसा बयान देने के लिए उकसाया जिसको लेकर भारत में कयासों का दौर शुरू हो गया? कोई चाहे तो सभी तरह के षड्यंत्रकारी सिद्धांतों को जोड़ सकता है और कुछ निष्कर्ष भी निकाल सकता है लेकिन सच्चाई यही है कि ट्रंप क्या कुछ सोचते हैं, इसका अंदाजा लगाना बेहद मुश्किल काम है, खासकर तब जब वह भूगोलीय राजनीति से जुड़ा कोई गंभीर मामला हो।

हर्ष पंत
लेखक अब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के स्टडीज विभाग के डायरेक्टर हैं और किंग्स कॉलेज , लंदन में इंटरनेशनल रिलेशन के प्रोफेसर भी हैं। आलेख में उनके निजी विचार हैं

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here