अमेजन के जलते जंगल की चिंता

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अमेजन के जंगलों की फ्रिक हो रही है आपको? होनी भी चाहिए। आखिर जुनिया का 20 फीसदी ऑक्सीजन ये जंगल देती है। इन जंगलों में ऐसी भीषण आग लगी है कि वहां से करीब हजार किलोमीटर दूर साओ पाउलों शहर काले धुएं से ढक गया। वहां की सरकार को तो कुछ पड़ी नहीं है। पर ब्राजील की स्पेस एजेंसी (नेशनल इंस्टिट्यूट फॉर स्पेस रिसर्च) ने सैटेलाइट से मिले आंकड़े जारी कर दिए जो बताते हैं कि 2018 की समान अवधि के मुकाबले इस साल जंगल की आग में 84 फीसदी बढ़ोतरी हुई है। राष्ट्रपति बोल्सोनैरो नहीं चाहते थे कि ये सूचनाएं सार्वजनिक हों। पर वह नेशनल इंस्टिट्यूट फॉर स्पेस रिसर्च के प्रमुख को पद से हटाकर भी इन खबरों को दबा नहीं सके। आलम यह है कि पिछले आठ महीनों में वहां जंगल में आग लगने की 73 हजार घटनाएं दर्ज की गई हैं।

राष्ट्रपति जंगल खत्म करने के प्रबल पक्षधर बताए जाते हैं ताकि वहां विकास कार्य तेज किए जा सकें। ब्राजील में भी पर्यावरण रक्षा की अहमियत समझने वाले लोगों की कमी नहीं है, वे मौजूदा सरकार की नीतियों को पूरी दुनिया के लिए बेहद खतरनाक मानते हैं, लेकिन राष्ट्रपति ऐसे विकास विरोधी लोगों को राष्ट्रविरोधी करार देने में संकोच नहीं करते। ये घटनाएं कोई आज की नहीं हैं, काफी समय से ये सब गतिविधियां वहां चल रही हैं, लेकिन पिछले करीब दो हफ्तों से लगी आग की भीषणता ने दुनिया का ध्यान इस तरफ खींचा। इन ट्विटर अभियानों से कितना फर्क पड़ेगा कहना मुश्किल है पर तात्कालिक तौर पर इतना दवाब तो बन ही गया है कि राष्ट्रपति होलेसोनैरो ने इसमें अपनी सरकार का हाथ होने से इनकार किया है। यह अलग बात है कि उन्होंने इसका दोष उन एनजीओ पर ही मढऩे की पूरी कोशिश की है जो उनकी जंगलों को साफ करने की नीति का विरोध करते रहे हैं।

उनके मुताबिक उन्हें और उनकी सरकार को बदनाम करने के लिए आग लगवाई जा रही है। मगर सवाल सबसे बड़ा यह है कि आखिर किस आधार पर अमेरिका और भारत जैसे देशों के लोग ब्राजील के इन जंगलों को बचाने का आग्रह करेंगे। जो अमेरिकी नागरिक ट्रंप के ‘अमेरिका फर्स्ट’ नारे से प्रभावित हो कर इन्हें सत्ता में पहुंचाने हैं, और ट्रेड वॉर से लेकर लंबी दूरी की न्यूक्लियर मिसाइल छोड़े जाने तक उनके तमाम फैसलों का सिर्फ इस आधार पर समर्थन करते हैं कि वे अमेरिका के हित में हैं वे भला ब्राजील की सरकार से कैसे कहेंगे कि वे अपने कथित राष्ट्र हित से ऊपर उठकर सोचे? भारत में भी ऐसे लोग कम नहीं जो मोदी सरकार के ‘राष्ट्र सर्वोच्च’ के नारे से इस कदर अभिभूत हैं कि इसके आगे कुछ भी सोचने को तैयार नहीं। यहां तक कि परमाणु हथियारों का पहले इस्तेमाल करने की धमकी भी उन्हें चिंतित नहीं करती, सिर्फ इसलिए कि उन्हें लगता है इससे पाकिस्तान झुक जाएगा। ऐसे में अगर ब्राजील सरकार अपने कथित राष्ट्र हित का हवाला देते हुए दुनिया को नष्ट करने पर तुली है तो आप तब तक उसकी निंदा कैसे करेंगे जब तक अपनी सरकार की ओछे नारेबाजियों से गदगद होना बंद नहीं करते?

प्रणव प्रियदर्शी
लेखक पत्रकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं…

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