हमारी मिर्च दुनिया में सबसे तीखी!

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कभी-कभी सोचता हूं कि ऊपर वाले ने भी प्रकृति में क्या गजब-गजब की चीजें बनाई। इनमें से एक मिर्च भी है। इसका तीखापन गजब का होता है। अगर ज्यादा खा लो तो जीभ से लेकर पेट तक जलने लगता है व इसके प्रभाव से खाने में मजा नहीं आता है। हालांकि अब थोड़ा-सा खा लेने पर एसीडिटी होने लगती है। एक समय था जबकि हरी मिर्च के बिना खाना ही नहीं खाया जाता था। सलाद से लेकर खाने के मसाले तक में इसका जम कर इस्तेमाल किया जाता था। बचपन में जब कोई बच्चा अंगूठा पीना नहीं छोड़ता था तब उसके अंगूठे पर मिर्च लगा दी जाती थी ताकि वह उसे मुंह में डालना बंद कर दे। अब मिर्च भले ही मन से खा नहीं पाता हूं पर यह मुझे व परिवार के सभी सदस्यों को बहुत पसंद रही है।

कनाडा गया तो वहां भी बिग बाजार में कानपुर में मिलने वाली पतली तेज मिर्ज ढूंढ़ा करता था जो कि मेरे पिता की तरह बेटे को भी बहुत पसंद है। ये जानकार बहुत खुशी हुई कि मिर्च के कारण भारत एक बार फिर दुनिया के चर्चा में आ गया है और यहां मिलने वाली एक मिर्च जूट जोकोलिया को दुनिया की सबसे तेज मिर्च होने की पदवी हासिल हुई है। मिर्च दुनिया का एक मात्र ऐसा फल है, जो कि बेहद तीखा होने व खाने में दिक्कतें पैदा करने के बावजूद खाया जाता है। इसके तीखेपन को नापने के लिए एक ईकाई भी तैयार की गई है, जिसके पैमाने पर इसकी तीव्रता परख कर उसकी ग्रेडिंग की जाती है। इसे स्कोविले हीट यूनिट या एसएचयू कहते हैं।

मिर्च या चिली कैप्सिकम नंबर एक का फल होता है। ये अमेरिका मूल का फल माना जाता है। पूरी दुनिया में इसका जम कर इस्तेमाल किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि भारत में इसे पुर्तगाली लेकर आए थे यहां से वह थाईलैंड, वियतनाम, कोरिया तक फैला। हालांकि पुर्तगाली यहां से काली मिर्च अपने साथ लेकर जाते थे जो यूरोप तक में बहुत पसंद की जाती थी व उसकी कीमत सोने के बराबर थी। बाद में सामान्य मिर्च को ब्रिटेन में भी बहुत पसंद किया जाने लगा। वहीं हमारे यहां मसालों में काली मिर्च का भी काफी उपयोग होता है जो कि ज्यादातर केरल में उगाई जाती है। हालांकि सबसे ज्यादा काली मिर्च वियतनाम में होती है, जो कि दुनिया में पैदा होने वाली एक तिहाई काली मिर्च पैदा करता है। माना जाता है कि दुनिया में मिर्च का इस्तेमाल ईसा पूर्व से होता आया है व मिस्र के ममियों को दफनाने के पहले उनमें लगाया जाने वाला लेप मिर्च से तैयार किया जाता था। उस समय यात्री लंबी यात्राओं के दौरान नमक व मिर्च लगा मीट खाते थे जो कि खराब न होने के साथ-साथ स्वादिष्ट होता था। बताते हैं कि जब 1458 में वास्को डि गामा अफ्रीका होते हुए भारत के कालीकट पहुंचा तो उसने वहां मौजूद अरब लोगों से कहा कि उसे इसाई और मसाले चाहिए। अरब लोगों को स्पेनिश व इटालियन आती थी।

मिर्च की कड़वाहट की तीव्रता या गरमी नापने के लिए जिस पैमाने का उपयोग किया जाता है उसे स्कोविले पैमाना कहते हैं जो कि 1912 में अमेरिकी वैज्ञानिक विलवुट स्कोविले ने तैयार किया था। दुनिया में मिर्च से तैयार सबसे तेज सॉस को टबैस्को सॉस के नाम से जाना जाता है, जिसको 1868 में एक पूर्व अमेरिकी बैंकर एडमंड वैकलीनी ने तैयार किया। शुरू में इसकी कड़वाहट के लिए मेक्सिको में तबास्को इलाके में पैदा होने वाली काली मिर्च डाली जाती थी। आजकल इसे बनाने के लिए भारत से मंगाई गई मिर्च का इस्तेमाल किया जा रहा है। यह 195 देशों में बेचा जाता है। अमेरिकी राष्ट्रपति की शाही दावत व एयरफोर्स वन तक में इसकी सप्लाई होती है।

जूट जोकोलिया दुनिया की सबसे तेज मिर्च है। यह भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों जैसे असम, मणिपुर, नगालैंड के अलावा कुछ मात्रा में नेपाल और बांग्लादेश में पाई जाती है। हालांकि इस मिर्च की आंध्र प्रदेश में खेती की जाने लगी है। कहते हैं कि ये मिर्च के सॉस टबैस्को सॉस की तुलना में 400 गुना ज्यादा तीखी होती है। व इसका तीखापन दस लाख स्कोविले यूनिट है, जो कि दुनिया में सबसे ज्यादा तीखा माना जाता है। इसके जबरदस्त तीखेपन के कारण ही इसको भूतहा माना जाता है। क्योंकि एक मिर्च खाने के बाद दिमाग लगभग काम करना बंद कर देता है। व आंख, नाक, कानों से तो मानो धुंआ निकलने लगता है। इसकी तीव्रता के कारण उत्तर-पूर्व का कूकी समुदाय अपने दुश्मनों पर जब हमला करता तो उसकी पूर्व सूचना के रूप में एक जलती हुई लकड़ी पर मिर्च लगा कर उन्हें भेजता था। उन्होंने 1912 में ब्रिटिश शासन के खिलाफ युद्ध का एलान करने के लिए इसी मिर्च को जलती हुई लकड़ी पर लगा कर भेजा था। नगालैंड में इसे नगा राजा के नाम से भी जानते हैं।

इस मिर्च का उपयोग सिर्फ खाने के लिए ही नहीं हो रहा है, बल्कि डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट आर्गेनाइजेशन ने पिछले दिनों इनके इस्तेमाल से विशेष हथगोले बनाए थे। जब श्रीनगर के रफियाबाद इलाके में एक घर में छिपे आतंकवादी को निकालने के लिए इन्हें छोड़ गया तो सज्जाद अहमद नामक 22 वर्षीय आतंकवादी ने इसकी जलन से परेशान होकर आत्मसमर्पण कर दिया था। अमेरिका में तो घासों के मैदान तैयार करने व फूलों के पौधों को तैयार करने के लिए उन्हें बोने व उगाने के पहले मिर्च के पाउडर में भिगो दिया जाता है। इसका फायदा यह होता है कि इन्हें बोने पर चूहे व दूसरे कीट जीव इन्हें नहीं खाते हैं। ये बीज बच कर अंकुरित हो जाते हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक मिर्च में लपेटे जाने के कारण बोए गए 86 फीसदी बीज बरबाद होने से बच गए थे। बताते हैं जब मुगलों ने अपनी राजधानी आगरा की जगह दिल्ली लाने का फैसला किया तो बादशाह के शाही हकीम ने यमुना के पानी की जांच करने के बाद उनसे कहा कि इसमें मौजूद कुछ रसायनों के कारण हाजमा ठीक रखने के लिए हम लोगों को ज्यादा मिर्च मसाले खाने पड़ेंगे। तब से दिल्ली की चाट में मिर्च मसालों का इस्तेमाल बढ़ा और दिल्ली की चाट देश भर में मशहूर हो गई।

विवेक सक्सेना
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं

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