मालेगांव ब्लास्ट के आरोपित साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को भोपाल में कांग्रेस के कद्दावर नेता दिग्विजय सिंह के खिलाफ उतारक भाजपा ने साफ कर दिया है कि हिन्दुत्व उसके लिए केन्द्रीय मुद्दा है। इसके लिए प्रज्ञा ठाकुर से बेहतर चेहरा आज की ताऱीक में पार्टी के पास नहीं है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की प्रबल सहमति थी और भाजपा में शामिल होने से पहले खुद साध्वी दिग्विजय सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ना चाहती थी। यह मुकाबला इसलिए भी दिलचस्प रहने वाला है कि दिग्विजय सिंह 16 साल बाद कोई चुनाव लड़ने जा रहे हैं। यूपीए के कार्यकाल में मालेगांव ब्लास्ट के पीछे भगवा आतंकवाद का हाथ बताने वाले दिग्विजय सिंह ही थे जिसे पार्टी और सरकार के भीतर पुरजोस समर्थन भी मिला। अब संघ की पहल पर साध्वी के रूप में भाजपा की तरफ से हिन्दुत्व का मुद्दा विपक्ष के निशाने पर रहेगा और स्वाभाविक रूप से बहस-मुबाहिसे का विषय भी बनेगा। भोपाल में यू तो मतदान 12 मई को होना है, लेकिन इससे पहले भाजपा और कांग्रेस के बीच जुबानी जंग दिलचस्प होगी।
हालांकि साध्वी से मिलने वाली चुनौती का दिग्गी राजा को बखूबी एहसासा है इसीलिए खुद को भी शंकराचार्य से दीक्षा प्राप्त शिष्य बता रहे हैं और यह बताना भी नहीं भूल रहे कि उन्होंने पूर्व में पत्नी के साथ नर्मदा की परिक्रमा भी की है। उन्हें पता है कि राज्य की सत्ता कुछ महीने पहले जरूर बदल गई, लेकिन जमीन पर संघ की पकड़ अब भी मजबूत है इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि 15 साल सत्ता में रहने वाली भाजपा को बड़ी हार का सामना नहीं करना पड़ा जैसा छत्तीसगढ़ में उसके साथ हुआ। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की मामा वाली छवि का असर बरकरारा है। साध्वी से पहले शिवराज की ही चर्चा थी पर, दिग्विजय के सामने हिन्दूवादी चेहरा उतारे जाने के मुद्दे को लेकर आखिरकार साध्वी के नाम पर सहमति बनी और अब वे भाजपा की तरफ से दिग्गी राजा को चुनौती देंगे। साध्वी अपने उत्पीड़न के लिए दिग्विजय सिंह को जिम्मेदार मानती हैं।
उनकी जनसभाओं में हिन्दुत्व और राष्टवाद के मुद्दे प्रखरता से उठेंगे जिसका कांग्रेस को जवाह देना होगा। इस तरह अदालती लड़ाई के साथ ही साध्वी को अब अपने लिए राजनीतिक लड़ाई छेड़ने का भाजपा में मौका थमा दिया है। तमाम तरह के सवालों के बीच पार्टी जिस तरह के ध्रुवीकरण की मंशा रखती है सो साफ साध्वी के रूप में पूरी होती दिख रही है। चुनाव किस करवट बैठता है, यह बात अलग है लेकिन भोपाल की लड़ाई हिन्दी हार्ट लैण्ड के उन चुनावों पर जरूर असर डालेगी यहां मतदान होना बाकी है। चुनाव का दूसरा चरण गुरुवार को था वरना साध्वी पर सारा फोकस होता। सियासी गहमागहमी के बीच अच्छी बात ये है कि दूसरे चरण में ज्यादातर जगहों पर मतदान प्रतिशत संतोषप्रद है। छिटपुट घटनाओं को छोड़ दे तो किसी बड़ी वारदात की खबर नहीं है। पश्चिमी यूपी में अमरोहा से जरूर सियासी आरोप-प्रत्यारोप की खबरें रहीं, भाजपा उम्मीदवार ने बुर्के में किसी पुरुष के वोट डालने की शिकायत करके माहौल गरमा दिया था लेकिन ध्रुवीकरण की कोशिश रंग नहीं ले पाई। यूपी के दूसरे चरण के चुनावों में लोगों के बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने की खबरों से यह उम्मीद और मजबूत हुई है कि लोग मतदान के प्रति जारगरूक हुए हैं और लोकतंत्र के यज्ञ में पूरे उत्साह के साथ हिस्सा ले रहे हैं।