शनिवार के दिन शनि अमावस्या का अनूठा संयोग
शनिदेव की पूजा-अर्चना से बदलेगी किस्मत, मिलेगा सुख-समृद्धि, खुशहाली
1. शैनश्चरी अमावस्या से दिखेगी प्राकृतिक व दैविक आपदाओं की भरमार
2. मौसम से दिखेगा अजीबों-गरीब परिवर्तन
3. राजनेताओं में रहेगी आपसी खींचतान एवं मतैक्य का अभाव
4. कालसर्पदोष, शनिग्रहदोष व पितृदोष निवारण का है विशेष दिन
भगवान सूर्यदेव के सुपुत्र श्रीशनिदेव जी की महिमा अपरम्पार है। शनिग्रह न्यायप्रिय ग्रह है, शनिग्रह का नवग्रहों में प्रमुख स्थान है। शनिग्रह की पूजा शनिवार के दिन विशेष फलित होती है, यदि शनिवार के दिन अमावस्या तिथि का संयोग मिल जाए तो पूजा अधिक फलदायी होती है। प्रख्यात ज्योतिर्विद् श्री विमल जैन जी ने बताया कि इस बार इस वर्ष का प्रथम शनि अमावस्या संयोगवश शनिदेव के विशेष दिन शनिवार, 5 जनवरी को पड़ रही है। पौष कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि शुक्रवार, 4 जनवरी को अर्द्धरात्रि के पश्चात् 4 बजकर 58 मिनट पर लगेगी जो कि रविवार, 6 जनवरी को प्रातः 6 बजकर 58 मिनट तक रहेगी। अमावस्या तिथि शनिवार को सम्पूर्ण दिन रहेगी। स्नान-दान-श्राद्ध की अमावस्या शनिवार, 5 जनवरी को ही है। शनेश्चरी अमावस्या के दिन शनिवार की विधि-विधान से की गई पूजा सुख, समृद्धिकारक होती है। साथ शनिग्रहजनित दोषों से मुक्ति भी मिलती है। शनि अमावस्या पितृदोष की शान्ति के लिए श्रेयस्कर मानी गई है। शनि अमावस्या को कालसर्पदोष का निवारण करना विशेष मंगलकारी रहता है।
श्री विमल जैन जी ने बताया कि वर्तमान समय में वृषभ एवं कन्या राशि पर शनिग्रह की अढ़ैया चल रही है, जबकि वृश्चिक, धनु एवं मकर राशि पर शनिग्रह की साढ़ेसाती का प्रभाव है। शनैश्चरी अमावस्या कठिन व विषम प्रभाव दिखानेवीली होती है। जनमानस को विश्व में अनेकानेक अप्रत्याशित विषम घटनाओं से रूबरू होना पड़ता है। प्राकृतिक एवं दैविक आपदाओं के साथ मौसम में भी अजीबोगरीब परिर्वतन देखने को मिलता है। यान-वाहन दुर्घटना की आशंका भी बनी रहती है। विश्व के प्रशासकों को शासन चलाने में मुश्किलें आ सकती हैं, जिससे छात्रभंग की आशंका भी बनी रहती है। राजनेताओं में आपसी मतैक्य का अभाव बना रहेगा। राजनीति के क्षेत्र में नये समीकरण बनते हैं, कहीं-कहीं पर जन-आन्दोलन का भी संकट बना रहेगा। शेयर मार्केट, वायदा व धातु बाजार में विशेष उथल-पुथल के साथ ही अन्य अकल्पित घटनाएं देखने को मिलेगी।
ऐसे होंगे शनिवेद प्रसन्न – श्री विमल जैन जी ने बताया कि आस्थावान व्रतकर्ता को प्रातःकाल स्नान ध्य़ान व अपने अराध्य देवी-देवता की पूजा-अर्चना के पश्चात् उनको काले रंग की वस्तुओं जैसे-काला वस्त्र, काला साबूत उड़त, काला, तिल सरसों का तोल या तिल का तेल, काला छाता, लोहे का बर्तन एवं अन्य काले रंग की वस्तुएं अर्पित करना लाभकारी रहता है। इस दिन शनिदेव के मंदिर में सरसों के तेल से शिनदेव का अभिषेक करना तथा तेल की अखण्ड ज्योति जलाना उत्तम फलदायी माना गया है। सायंकाल शनिदेव के मन्दिर में पूजा करके दीरक प्रज्वलित करना चाहिए।
इन वस्तुओं का करें दान – शनिग्रह से सम्बन्धित वस्तुओं का दान सायंकाल पश्चिम दिशा की ओर मुख करके करने का विधान है। दान करने से शनिदेव प्रसन्न होकर भक्त को मंगल कल्याण के आशीर्वाद से अभिभूत करते हैं। जन्मकुण्डली में शनिग्रह की उत्तम स्थिति ऐश्वर्य एवं वैभव प्रदाता होती है। व्यक्ति को समस्त भौतिक सुख मिलते हैं। जिन्हें जन्मकुण्डली के अनुसार शनिग्रह प्रतिकूल हो या शनिग्रह की महादशा का अनुकूल फल न मिल रहा हो, उन्हें अपना अराध्य देवी-देवता की पूजा-अर्चना करने के पश्चात शनिदेव की पूजा का संकल्प लेकर व्रत उपवास रखकर शनिदेव की आराधना अवश्य करनी चाहिए। जिससे उसका जीवन सुखमय होता है। इस दिन पीपल के वृक्ष व भगवान शिवजी व श्रीविष्णु जी की पूजा-अर्चना के साथ पीपल वृक्ष को 108 परिक्रमा करने पर आरोग्य व सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
शनिग्रह के मन्त्रों का जप करना होगा फलकारी –
1. ऊँ शं शनैश्चराय नमः।
2. ऊँ प्रां प्रीं पौं सः शनये नमः।
3. ऊँ प्रां प्रीं पौं सः शनैश्चाराय नमः।
4. ऊँ नमो भगवते शनैश्चराय सूर्यपुत्राय नमः।
5. ऊँ ऐें ह्रीं श्रीं शनैश्चराय नमः।
शनि भगवान् से सम्बन्धित राजा दशरथ कृत शनिस्तोत्र, शनि चालीसा का पाठ व शनदेव जी की आरती करनी चाहिए। इस दिन काले उड़द के दाल की खिचड़ी गरीबों में अवश्य वितरित करनी चाहिए। साथ ही काले रंग की वस्तुओं का दान भी करना चाहिए। शनिग्रहजनित दोषों के शमन के लिए आज अमावस्या तिथि के दिन शनिवेद की विशेष पूजा-अर्चना करके गरीबों में काले रंग की वस्तुओं का दान करना चाहिए।