राष्ट्रीय भावना प्रबल हो

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महामारी के दैरान देश सामूहिक एकता के महत्व को पहचाना है। विभिन्न धर्म, जाति,भाषा, बोली, क्षेत्र आदि के देश भारत में राष्ट्रीय एकता और अखंडता का अहम स्थान है। कोरोनाकाल में देशवासियों में आपसी सदभाव गहरा हुआ है। हाल के वर्षों में जातिवादी व सांप्रदायिक राजनीति के चलते देश में सामाजिक विभाजन गहरा हुआ, जिसे कम करने के राजनीतिक प्रयास नहीं हुए, लेकिन कोरोना महामारी के दौरान लोगों ने राजनीति के खोखलेपन को करीब से देखा, जब ऑक्सीजन, दवाए बेडएखाना आदि के लिए लोग धर्म-जाति से ऊपर उठकर लोग एक-दूसरे की मदद करते दिखे। इससे लोगों की आपसी दूरियां भी मिटीं। सबका साथ सबका विकास और आत्मनिर्भर भारत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र सर्वप्रथम, हमेशा सर्वप्रथम् का आह्वान किया है।

अपने मन की बात कार्यक्रम में पीएम ने कहा कि ऐसे समय में जब देश आजादी के 75 वें साल में प्रवेश कर रहा है, हर भारतीय को महात्मा गांधी के नेतृत्व में हुए भारत छोड़ो आंदोलन की तर्ज पर भारत जोड़ो आंदोलन का नेतृत्व करना है। आजादी की 75 वीं वर्षगांठ पर मनाया जा रहा अमृत महोत्सव कार्यक्रम ना तो किसी सरकार का क्या फिर किसी राजनीतिक दल का है बल्कि देश की जनता का है। वाकई में देश को इस वत भारत जोड़ो आंदोलन की आवश्यकता है। देश व समाज में अतिवादी विचारधारा के हावी होने के बाद समुदायों में वैचारिक मतभेद अधिक बढ़ गए हैं। जबकि संविधान की नजर में सभी देशवासी समान है। जिस प्रकार देश की आजादी के लिए सभी लोग एकजुट हो गए थे, उसी गति के साथ सभी को देश के विकास के लिए भी एकजुट होना है।

इस साल 15 अगस्त को देश आजादी के 75 वें साल में प्रवेश कर रहा है। इस अवसर पर देश अमृत महोत्सव मना रहा है जिसकी मूल भावना अपने स्वाधीनता सेनानियों के मार्ग पर चलना और उनके सपनों का देश बनाना है। अमृत महोत्सव किसी सरकार का कार्यक्रम नहीं, किसी राजनीतिक दल का कार्यक्रम नहीं, यह कोटि-कोटि भारतवासियों का कार्यक्रम है। ये हमारा कर्तव्य है कि हम अपना काम ऐसे करें जो विविधताओं से भरे हमारे भारत को जोडऩे में मददगार हो। हमें अपनी आजादी को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए देश ही हमारी सबसे बड़ी आस्था, सबसे बड़ी प्राथमिकता बना रहना चाहिए। राष्ट्रीय एकता व स्वाभिमान का सबसे बढिय़ा उदाहरण खेल के दौरान देखने को मिलता है। टोयो ओलंपिक में जब देश के लोगों ने हाथों में तिरंगा लेकर भारतीय दल को वहां चलते देखा तो पूरे राष्ट्र ने गौरवान्वित महसूस किया। इस ओलंपिक में वेटलिटिंग में मीरा बाई चानू ने सिल्वर जीता, पर देशवासियों को लगा कि समूचे भारत ने जीता।

यही सभी अंतरराष्ट्रीय खेल स्पर्धाओं में होता है। खिलाड़ी के जीतने पर इसे भारत की जीत कही जाती है, हारने पर भी भारत की हार। यह हमारी राष्ट्रीय भावना है। सौ साल से अधिक संयोंग व बलिदानों के बाद देश को आजादी मिली है, वह भी विभाजन की त्रासदी के साथ आजादी के बाद भारत को चार युद्ध लडऩा पड़ा है। करगिल में भी पाक घुसपैठियों को खदेडऩा पड़ा है। चीन व पाक समेत कई देश है जो भारत के साथ दुश्मनी का भाव रखते हैं। ऐसे में हम भारतवासियों का एकजुट, सशत रहना आवश्यक है। रोज के काम काज करते हुए भी हम राष्ट्र निर्माण कर सकते हैं। हमें अपने देश के स्थानीय उद्यमियों, कलाकारों, शिल्पकारों, बुनकरों को सहयोग करना हमारे सहज स्वभाव में होना चाहिए। हम स्वदेशी अपना कर अपने देश को आत्मनिर्भर बना सकते हैं, बस हमें अपनी खरीदारी की आदत बदलनी है। हम खुद अपने राष्ट्र की ताकत है। हम सामूहिक चरित्र का निर्माण कर देश की एकता व अखंडता को अक्षुण्ण रखते हुए भारत को विकसित राष्ट्र की श्रेणी में खड़ा कर सकते हैं।

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