तालिबान, आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान और चीन भारत के लिए आने वाले वत में बाधाएं पैदा कर सकते हैं। एक तरफ तालिबान की बर्बरता फिर चरम पर है, दूसरी तरफ इमरान खान तालिबान के समर्थन में उतर आए हैं। अमेरिका के 31अगस्त के जाने के ऐलान के बाद से चीन पहले से ही तालिबान से दोस्ती गांठने में जुटा है। अफगानिस्तान पर कजे की सनक में तालिबान लड़ाकू इतने हिंसक हो गए हैं कि अपने ही मुल्क के अफगानी युवक की पत्थर से पीट-पीट कर नृशंस हत्या कर दी। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में तालिबानी करता साफ देखी जा रही है। यह कृत्य निंदनीय है। इससे पहले तालिबान ने अफगानिस्तान में कामेडियन मोहम्मद खाशा की बर्बर हत्या कर दी थी। अभी हाल में ही भारतीय पत्रकार दानिश की हत्या भी तालिबान ने कर दी थी। अमेरिका के अफगानिस्तान छोडऩे के पहले ही तालिबान की हिंसक चेहरा सामने आ गया है। ऐसे ही तालिबान का पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने पक्ष लेकर साबित किया है कि पाक सरकार कट्टर इस्लामी व आतंकवादी गुटों की कितनी हिमायती रही है।
अभी बेशक चीन तालिबान के साथ पैंगे बढ़ा रहा है, लेकिन चीन को जल्द समझ में आ जाएगा कि तालिबान क्या बला है? जैसे अमेरिका को समझ आ गया था। बहरहाल पाकिस्तान और चीन के तालिबान के पक्ष में सॉफ्ट होने से जहां अफगानिस्तान में लोकतांत्रिक सरकार के सामने मुश्किलें आएंगी, वहीं पाकिस्तान में आतंकी गुट फिर से मजबूत होने लगेंगे। जिसका अंतत: भारत पर असर होगा। पाकिस्तान में इमरान सरकार अपने वादे के मुताबिक आतंकवाद व आतंकी गुटों को तो खत्म नहीं कर पाए, उल्टे आतंकी गुटों के रहनुमा जरूर बन गए हैं। निश्चित रूप से चीन, पाकिस्तान व तालिबान की तिकड़ी की आंच कश्मीर तक आतंकवाद व अवैध घुसपैठ के रूप में पहुंचने वाली है। इसलिए भारत को बेहद सतर्क रहने की जरूरत है। भारत के सामने अभी जहां अफगानिस्तान में लोकतंत्र की रक्षा की चुनौती है, वहीं पाक सीमा पर व कश्मीर में आतंकवाद रोकने की भी जद्दोजहद है। अब पीओके की चुनौती भी सामने आ गई है। पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में पकिस्तान ने चुनाव कराया है, जिसका भारत ने कड़ा विरोध किया है।
हालांकि भारत सरकार को वह विरोध चुनाव के ऐलान के समय ही जताना चाहिए था और पीओके में चुनाव नहीं होने देना चाहिए था। अंतरराष्ट्रीय नियमों के मुतबिक अवैध कजे वाले क्षेत्र में कोई राष्ट्र चुनाव नहीं करा सकता है। पीओके में पाक के चुनाव बेशक विवादों में है, वहां इमरान सरकार पर धांधली के आरोप है, हिंसा भी हुई। जम्मू कश्मीर नेशनल अवामी पार्टी पीओके में हिंसा को लेकर पाक पीएम इमरान खान की आलोचना कर चुकी है। इमरान सरकार पर पीओके में मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप लग रहे हैं, लेकिन भारत को पहले एशन में आना चाहिए था। पाकिस्तान में जिस पार्टी की भी सरकार रही है, पीओके में जमकर मानवाधिकार का उल्लंघन होता रहा है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सबको पता है कि पीओके पर पाक का अवैध कजा है। संयुत राष्ट्र भी मानता है कि पीओके समेत संपूर्ण जमू-कश्मीर का भारत में विलय हुआ है। भारत का पीओके में 25 जुलाई को हुए चुनावों को खारिज करना सही कदम है। पाकिस्तान का इन भारतीय भूभागों पर कोई अधिकार नहीं है और अपने अवैध कजे के सभी भारतीय क्षेत्रों को उसे खाली कर देना चाहिए।