भारत का सच्चा हमदर्द

0
654

आज तोताराम ने हमारे ज्ञान में वृद्धि करते हुए बताया- मास्टर, इस दुनिया में केवल अमेरिका ही हमारा सच्चा हमदर्द है।

हमने कहा- तोताराम, जहां तक हमें पिछले सत्तर साल का इतिहास याद है उसके हिसाब से तो अमेरिका ने भारत के रास्ते में कांटे ही बिछाए हैं। देश आज़ाद होते ही अमेरिका ने कश्मीर के मामले में या तो पाकिस्तान का साथ दिया या फिर कश्मीर को एक स्वतंत्र देश बनवाकर वहाँ अपने अड्डे बनाने की कूटनीति ही खेली है। इसके बाद जब 1961 में नेहरू जी ने गोवा को स्वतंत्र करवाया तो वहां पर अपने पांच-दस नागरिकों के बहाने अमेरिका ने पुर्तगाल की मदद के लिए अपना युद्धपोत रवाना कर दिया था। इसके बाद जब भारत ने बांग्लादेश को स्वतंत्र करवाया तो अपना सातवां बेड़ा बंगाल की खाड़ी में भेज दिया। यह तो रूस ने भी अपना बेड़ा भेजने की धमकी दी तो बात बनी। जब भारत ने परमाणु परिक्षण किया तो अमेरिका ने भारत पर प्रतिबन्ध लगा दिए। अब भी जब हम रूस से रक्षा प्रणाली की डील कर रहे हैं तो अमेरिका हमें प्रतिबंधों की धमकी भिजवा रहा है। क्या हमदर्दों के ये ही लक्षण होते हैं?

बोला- बात ख़त्म हुई या कुछ और भड़ास निकालनी है?

हमने कहा- यह भड़ास नहीं है, सचाई है।

बोला- मुझे भी पता है लेकिन तब से अब तक दुनिया बहुत बदल गई है। तब से जाने गंगा में कितना कूड़ा आ गया है।

हमने कहा- यह कौन सी कहावत ले आया? मुहावरा तो यह होना चाहिए कि अब तक जाने गंगा में कितना पानी बह गया।

बोला- होना तो यही चाहिए लेकिन अब गंगा में पानी बचा ही कहां है? अब तो केवल आस्था का कीचड़ बचा है।
लेकिन बात गंगा की नहीं, बात अमेरिका के बदल जाने की है। बता, ह्यूस्टन में ‘हाउडी मोदी’ से पहले क्या किसी भारतीय प्रधान मंत्री के साथ किसी अमेरिकी राष्ट्रपति ने मंच साझा किया था। क्या आजतक कोई अमरीकी राष्ट्रपति मोदी-मंत्र (अबकी बार ट्रंप सरकार) से चुनाव जीता है? क्या इससे पहले किसी अमेरिकी राष्ट्रपति ने किसी भारतीय प्रधान मंत्री को ‘राष्ट्रपिता’ बनाया?

हमने पूछा- तेरे हिसाब से इस प्रेमातिरेक का क्या कारण है?

बोला- यही तो मैं तुझे बताना चाहता हूं। मीरा ने कहा है- घायल की गति घायल जाने, सो हमारी गति को ट्रंप से अधिक कौन जान सकता है? और जब दो व्यक्तियों का दर्द एक जैसा होता है तो दोनों का हमदर्द होना स्वाभाविक है। इसीलिए मैं कह रहा हूँ कि ट्रंप भारत के सच्चे हमदर्द हैं।

हमने कहा-ठीक है। अब बता भारत और अमेरिका के दर्द समान कैसे हैं?

बोला-ज्यादा तो मुझे मालूम नहीं लेकिन ट्रंप और मोदी जी के दर्दों की समानता के बारे में थोड़ा बहुत ज़रूर बता सकता हूं। अभी ट्रंप ने कहा है कि उनके पूर्ववर्ती राष्ट्रपतियों ने चीन को अमेरिका की बौद्धिक सम्पदा की चोरी करने से नहीं रोका। इसीलिए चीन आज इतना शक्तिशाली बन गया और दुनिया के लिए खतरा बन गया।

हाउडी मोदी इवेंट में पीएम मोदी और डॉनल्ड ट्रंप

इसी तरह से कांग्रेस ने भी यूरोपियन देशों को भारत के वेदों से सारा ज्ञान चुराने की छूट दे दी। अटल जी को छोड़कर मोदी जी के सभी पूर्ववर्ती प्रधानमंत्रियों ने योजनाबद्ध तरीके से इस देश को पिछड़ा बनाने में कोई कसर नहीं रखी। इसीलिए मोदी जी को पिछड़ेपन के बैकलॉग को पूरा करने के लिए दिन रात काम करना पड़ता है। जैसे नेहरू ने जान बूझकर कश्मीर की समस्या पैदा की वैसे ही अमेरिका के पूर्ववर्ती राष्ट्रपतियों ने मेक्सिको की समस्या को नहीं सुलझाया। अब बेचारे ट्रंप को देश के संसाधन खपाकर मेक्सिको की सीमा पर दीवार बनवानी पड़ रही है।

जैसे हम आतंकवाद से रक्षा के लिए यज्ञ और तंत्र-मन्त्र वाली तकनीक अपना रहे हैं, वैसे ही ट्रंप भी मेक्सिको से घुसपैठ रोकने के लिए हमारे प्राचीन किलो की तरह सीमा पर खाई बनवाने, उसके पानी में घड़ियाल और सांप छोड़ने की योजना बना रहे हैं। कितनी समानता है दोनों के दुःख में।

हमने कहा- तोताराम, हम-दर्द ही नहीं हमें तो इन दोनों महान नेताओं और भी बहुत से ‘हम’ (समानताएं) नजर आते हैं। आजतक ऐसी केमिस्ट्री बहुत कम ही देखने को मिलती है। तरल होकर ऐसे मिल जाते हैं कि अलग करने के लिए किसी बड़े रासायनिक परिवर्तन की जरूरत पड़ती है।

   
रमेश जोशी
लेखक देश के वरिष्ठ व्यंग्यकार और ‘विश्वा’ (अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी समिति, अमरीका) के संपादक हैं। ये उनके निजी विचार हैं। मोबाइल – 9460155700
blog – jhoothasach.blogspot.com
Mail – joshikavirai@gmail.com

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here