बाइडेन की एकदम उल्टी छवि पेश

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डोनाल्ड ट्रम्प की शोर भरी आपत्तियों के बीच डेमोक्रेटिक पार्टी के जो बाइडेन का अमेरिका का राष्ट्रपति बनना तय हो चुका है। बाइडेन ने स्वयं को ट्रम्प के विकल्प के रूप में पेश करने की रणनीति अपनाई। वे हर मोर्चे पर राष्ट्रपति से अलग दिखाई दिए। ट्रम्प ने अमेरिका की राजनीतिक जमीन पर जबर्दस्त बदलाव किया है। उन्होंने गुस्सा, असंतोष और संदेह का माहौल भड़काया है। उनके उत्तराधिकारी बाइडेन के लिए इन स्थितियों पर काबू पाना आसान नहीं होगा। फिर उनके सामने ऐतिहासिक चुनौतियां होंगी। कोरोना वायरस महामारी का प्रकोप तेजी से बढ़ा है। जलवायु परिवर्तन, स्वास्थ्य सेवाएं, देश का ढहता बुनियादी ढांचा जैसी नीति विषयक समस्याएं कई मुश्किलें पेश करेंगी। सीनेट में राजनीतिक गतिरोध के कारण सरकार चलाना कठिन हो जाएगा।

बाइडेन की डेमोक्रेटिक और ट्रम्प की रिपब्लिकन पार्टी के रणनीतिकार सोचते हैं कि ट्रम्प यदि परंपरागत रणनीति और तरीका अपनाते तो चुनाव जीत सकते थे। हालांकि, उन्होंने अपने कार्यकाल में इससे अलग हटकर आचरण किया है। राजनीतिक पंडितों की सलाह को नजरअंदाज किया। ट्रम्प ने 2016 जैसा चुनाव अभियान चलाने की कोशिश की। बेहद आक्रामक रुख अपनाया। रिपब्लिकन पार्टी के पूर्व सलाहकार ब्रेंडन बक कहते हैं, कोविड-19 के कारण तो मुश्किल हुई है। लेकिन, यह चुनाव पिछले नौ माह के नहीं बल्कि राष्ट्रपति के चार साल के कामकाज से संबंधित था। उनका कहना है, ट्रम्प ने चार वर्षों में हर मसले को अनदेखा किया। अपने से असहमत हर व्यक्ति को दूर कर लिया।

ट्रम्प एक के बाद एक उटपटांग हरकतें करते रहे। दूसरी ओर बाइडेन ने बेहद सतर्क रुख अपनाया। वे मास्क पहनकर छोटे समूहों को संबोधित करते थे। उनकी रैलियां में लोग कार में बैठकर शामिल होते थे। अंतिम टेलीविजन बहस में उनके कई वाक्य ठीक वही थे जो उन्होंने डेढ़ साल पहले अपना चुनाव अभियान शुरू करते समय कहे थे। प्रचार अभियान बढ़ने के साथ बाइडेन की रेटिंग बेहतर होती गई। वेसलियन मीडिया प्रोजेक्ट के अनुसार बाइडेन और उनके सहयोगियों के केवल 10 प्रतिशत विज्ञापनों में ट्रम्प पर हमले किए गए।

उनका प्रचार अभियान एकता, सहानुभूति, करुणा और विशेषज्ञों का सम्मान करने की थीम पर आधारित था। यह राष्ट्रपति के लिए अप्रत्यक्ष फटकार थी। 2016 में हिलेरी क्लिंटन के अभियान की रणनीति से जुड़े जेसी फर्ग्युसन का कहना है, बाइडेन का संदेश साफ था। उन्होंने, ट्रम्प की खामियों और उनसे जनता को होने वाले नुकसान को सामने रखा। ट्रम्प आत्ममुग्ध और अराजक रहे। बाइडेन इसके एकदम विपरीत थे। ट्रम्प हर जिस चीज का प्रतिनिधित्व कर रहे थे, बाइडेन उसके उलट थे।

बाइडेन को मैदानी आंदोलन से सहारा मिला। हजारों एक्टिविस्ट ने स्थानीय राजनीतिक समूहों से जुड़कर मोर्चा संभाला। मध्यम वर्गीय महिलाओं ने सोशल मीडिया और फोन से प्रचार किया। उधर, रिपब्लिकन पार्टी ने अपने समर्थकों को सक्रिय करने के लिए करोड़ों रुपए का अभियान चलाया। वैसे, बाइडेन ने चंदा जुटाने के मामले में ट्रम्प को बहुत पीछे छोड़ दिया। उदारपंथियों और संसद के एक सदन-कांग्रेस का चुनाव लड़ने वाले पार्टी उम्मीदवारों से बाइडेन को सात हजार करोड़ रुपए मिले। इसके मुकाबले ट्रम्प को केवल 2200 करोड़ रुपए चंदा मिला।

ट्रम्प के पास उत्साही समर्थकों की फौज थी। उन्होंने विशाल रैलियां की जिनमें सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क पहनने का ध्यान नहीं रखा गया। इसका उद्देश्य ट्रम्प के अहंकार की तुष्टि के साथ स्थानीय और राष्ट्रीय मीडिया को आकर्षित करना था। हर कार्यक्रम में रिपब्लिकन नेशनल कमेटी की टीम नए वोटरों का रजिस्ट्रेशन करती थी। ट्रम्प ने लगातार प्रचार अभियान जारी रखा। उधर, बाइडेन की टीम ने वायरस के प्रकोप को ध्यान में रखकर अधिक कार्यक्रम आयोजित नहीं किए। बाइडेन ने अमेरिका के राजनीतिक इतिहास में सबसे बड़ा डिजिटल अभियान छेड़ा।

अभियान की मैनेजर जेन ओ मैली ने डिजिटल प्रचार में बहुत अधिक पैसा लगाने का जोखिम लिया। सितंबर तक दो लाख से अधिक लोगों को तैनात किया गया। अंतिम परिणाम आने से पहले साफ हो गया है कि इस चुनाव ने अमेरिकी लोकतंत्र के कमजोर ढांचे की कलई खोल दी है। ट्रम्प के शासनकाल से सिस्टम की खामियां सामने आई हैं। पेनसिल्वानिया के पूर्व गवर्नर टॉम रिज कहते हैं, डोनाल्ड ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने से पहले देश में व्यापक राजनीतिक विभाजन था। उनके कार्यकाल में यह विभाजन अकल्पनीय तरीके से बढ़ा है। फिलहाल, इसके खत्म होने के आसार दिखाई नहीं पड़ते हैं

बाइडेन की खासियत

पूरे चुनाव अभियान में सतर्कता अपनाई। स्वयं की इमेज ट्रम्प से पूरी तरह अलग पेश की।
वायरस से बचाव का मैसेज देने के लिए मास्क पहना। भीड़ भरी रैलियों का आयोजन नहीं।
अमेरिका के राजनीतिक इतिहास का सबसे बड़ी डिजिटल चुनाव अभियान चलाया।
जनता के छोटे-छोटे समूहों को अपने पक्ष में करने के लिए अभियान पर जोर दिया।
ट्रम्प की खामियां

जनता ने वायरस से निपटने में नाकामी के अलावा कार्यकाल की अन्य खामियों पर गौर किया।
हर मामले में विशेषज्ञों और राजनीतिक पंडितों की सलाह पर बिलकुल ध्यान नहीं दिया।
सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क के बिना कई बड़ी रैलियों और दूसरे कार्यक्रमों का आयोजन ।
जनता से चंदा जुटाने की बजाय समर्थकों की फौज जोड़ने के लिए बहुत अधिक पैसा खर्च किया।

मोली बॉल
(लेखिका वरिष्ठ अमेरिकी पत्रकार हैं ये उनके निजी विचार हैं)

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