पाक में भारत के चुनाव की चर्चा तक नहीं

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इस्लामाबाद में अनेक राजनयिकों ने मुझसे पूछा कि पाकिस्तान में भारतीय चुनावों पर कोई बहस क्यों नहीं हो रही? मैंने उनसे कहा कि अधिकतर पाकिस्तानियों के लिए कांग्रेस और भाजपा में कोई अंतर नहीं है। अधिकांश पाकिस्तानी कश्मीर मसले का हल चाहते हैं, लेकिन उनका मानना है कि दोनों की ही इस मसले पर बड़ा कदम उठाने में विफल रहे हैं।

पाकिस्तानी पीएम इमरान खान ने भारत में चुनाव शुरू होने से पहले कहा थि कि ‘मैं सोचता हूं कि अगर नरेन्द्र मोदी की भाजपा जीतती है तो शान्ति वार्ता की ज्यादा उम्मीद है’। यह बयान उनके मित्र और कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू के साथ विश्वासघात जैसा था। इमरान के इस बयान को कई लोगों ने भाजपा को पाकिस्तानी सरकार का आधिकारिक समर्थन करार दिया, लेकिन पाकिस्तान में विपक्ष ने हायतौबा नहीं मचाई। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। लेकिन पाकिस्तान मीडिया इसे महत्व नहीं दे रहा है। भारतीय चुनावों में पाकिस्तान कार्ड आज भी अहम है, लेकिन पाकिस्तान के 2018 चुनावों में भारत का कोई जिक्र नहीं था। भारतीय चुनावों पर पाकिस्तानी मीडिया में भी कोई बहस नहीं है, क्योंकि पाकिस्तान की विपक्षी पार्टियां इस चुनाव में रुचि नहीं ले रही हैं।

हम भारतीय चुनावों की विशेष कवरेज के लिए पाकिस्तान से टीम भेजते थे, लेकिन इस बार किसी भी पाकिस्तानी चैनल ने टीम नहीं भेजी है। पिछले हफ्ते मैंने पाकिस्तानी चुनाव आयोग के सचिव बाबर याकूब से पूछा कि क्या वह भारतीय चुनावों पर नजर रख रहे है? उन्होंने चौकाने वाला जवाब दिया कि भारत एक बड़ा देश है और वे लंबा चुनाव वहन कर सकते हैं हम नहीं, इसलिए हम भारतीय मॉडल को नहीं अपना सकते। इस्लामाबाद में अनेक राजनयिकों ने मुझसे पूछा कि पाकिस्तान में भारतीय चुनावों पर कोई बहस क्यों नहीं हो रही? मैंने उनसे कहा कि अधिकतर पाकिस्तानियों के लिए कांग्रेस और भाजपा में कोई अंतर नहीं है। अधिकांश पाकिस्तानी कश्मीर मसले का हल चाहते हैं, लेकिन उनका मानना है कि दोनों की ही इस मसले पर बड़ा कदम उठाने में विफल रहे हैं।

यही वजह है कि भारतीय चुनावों में रुचि नहीं दिखा रहे। दूसरी बात यह है कि मोदी पाकिस्तान के लोगों के बीच अलोकप्रिय है, लेकिन पाकिस्तानी सरकार और विपक्ष के कई प्रमुख नेता मोदी पर इमरान खान जैसी ही राय रखते हैं। वे चाहते है कि मोदी जीतें, क्योंकि वही पाकिस्तान के साथ शान्ति वर्ता को आगे बढ़ा सकते हैं। पाकिस्तान में मौजूदा उच्च पदस्थ राजनयिक सूत्रों का दावा है कि पाक पीएम इमरान खान अमेरिका की अफगान तालिबान से बातचीत में मदद कर रहे हैं और बदले में ट्रम्प इमरान की भारत से शान्ति वार्ता कराने में मदद करेंगे। यही वजह है कि ट्रम्प और इमरान दोनों चाहते है कि मोदी चुनाव में विजयी हों। पाक अधिकृत कश्मीर के प्रधानमंत्री रजा फारुक हैदर खान उन गिने-चुने नेताओं में शामिल हैं जिनका कहना है कि मोदी कश्मीर पर कोई बड़ा फैसला नहीं कर सकते।

हैदर नवाज शरीफ की पीएमएल-एन के नेता हैं। नवाज खुद बहुत बीमार हैं और सुप्रीम कोर्ट से इलाज के लिए ब्रिटेन जाने की अनुमति की गुहार लगा रहे हैं। कुछ साल पहले भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अचानक लाहौर में नवाज शरीफ की नातिन की शादी में आकर सबको चौका दिया था। मोदी की इस यात्रा की नवाज को भारी कीतम चुकानी पड़ी। उन्हें अंतत सरकार गंवानी पड़ी। इमरान खान मोदी के करीबी बनने की कोशिश में हैं। मोदी जीते तो पाकिस्तान में इमरान खान सबसे अधिक खुश होंगे। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि अगर मोदी चुनाव नहीं जीते तो क्या होगा? इमरान के पास क्या विकल्प बचेंगे? पाकिस्तानी मीडिया को इस अहम सवाल पर बहस शुरु करनी चाहिए।

हामिर मीर
लेखक पाकिस्तान के जियो टीवी से जुड़े वरिष्ठ पत्रकार हैं

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