अनेक राज्यों में आगामी कुछ माह में विधानसभा चुनाव तो कुछ में उपचुनाव होने हैं। लगभग सभी राज्यों ने अधिकारियों, कर्मचरियों के तबादले शुरू कर दिए हैं। आगामी दो माह में देशभर में हजारों कर्मचारियों के तबादले हो जाएंगे। यकीन मानिए, जुलाई.अगस्त का महीना आते ही कर्मचारी इस तबादला नीति का इंतजार उसी प्रकार करते हैं, जैसे किसान पहली बारिश का। व्यंग्यकार इन तबादलों को एक नीति न मानते हुए, उसे एक उद्योग मानते हैं, जिसमें कई दलालों के वारे के न्यारे हो जाते है। तबादलों का इतिहास गवाह है कि इस उद्योग मे कभी घाटा नहीं होता, बल्कि करोड़ों रुपयों का लाभ ही होता है।
कर्मचारीगण, तबादला होने की राह उसी प्रकार देखते हैं, जिस प्रकार एक विरहनी सावन के महीने में परदेस गए अपने जियतम के आने की राह तकती है। मैं तो कहता हूं कि राज्य सरकारों को चाहिए कि वे अपने अपने राज्यों में एक नया तबादला मंत्रालय बनाएं। तबादला मंत्रालय बनाने का एक फायदा यह है कि एक तरफ वे असंतुट विधायकों को केबिनेट तबादला मंत्री और दूसरे को राज्य तबादला मंत्री बनाया जा सकता है। यानी साा पार्टी के दो असंतुष्ट विधायकों की पूर्ण संतुष्टि। नया तबादला मंत्रायल बनाने के और भी दूसरे फायदे हैं। जैसे प्रदेश भर के विधायकों को एक बड़ा काम मिल जाएगा। वे अपने चहेते कर्मचारियों की सूची बनाकर तबादला मंत्रायल को भिजवा सकेंगे, ताकि उनके तबादले उनके मनचाहे शहर में कराए जा सके। इस मंत्रायल के बनने का एक लाभ यह भी होगा कि जिन कर्मचारियों को तबादले का उपहार मिलेगा वे खुशी- खुशी सरकारी पार्टी के गुण गाएंगे।
एक सच बताऊं, तबादले के चकर में कभी-कभी कर्मचारी दलालों के शिकार हो जाते हैं, जो तबादले के नाम पर उनसे एक मोटी रकम ऐंठ लेते हैं। फिर जिनको दलालों की सेवाएं नहीं मिलती, वे अपने मोहल्ले के छुटभैये नेताओं के चकर में पड़कर उनके घर के चकर लगाते रहते हैं। यदि सरकार एक तबादला मंत्रालय बना दें तो कर्मचारीगण ऐसी बहुत सी परेशानियों से बच जाएंगे। साा की शह पाकर कुछ अधिकारी कुछ कर्मचारियों को तबादला करने की धौंस देते हुए यह तक कहने को नहीं चूकते कि अब तुम जरा ढग़ से ही रहना, नहीं तो तुम्हारा तबादला नसल प्रभावित क्षेत्रों में करवा दूंगा, फिर वहां बैठकर तुम मुझे जिंदगी भर याद करते रहना।
-डा. विलास जोशी