चैत्र पूर्णिमा : 13 अप्रैल, रविवार को

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चैत्र पूर्णिमा पर व्रत एवं स्नान – दान से मिलेगा मोक्ष चित्रा नक्षत्र का परम संयोग चैत्र पूर्णिमा के दिन

भारतीय संस्कृति के सनातन धर्म में चैत्री पूर्णिमा का पर्व चैत्र शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। धार्मिक शास्त्रों में चैत्र मास की पूर्णिमा की विशेष महिला है। प्रख्यात ज्योतिषविद् श्री विमल जैन जी ने बताया कि इस बार चैत्री पूर्णिमा 13 अप्रैल, रविवार को मनाया जाएगा। चैत्र शुल्क पक्ष की पूर्णिमा तिथि 11 अप्रैल, शुक्रवार की अर्द्धरात्रि के पश्चात् 3 बजकर 22 मिनट पर लगेगी जो कि 13 अप्रैल, रविवार को प्रात: 5 बजकर 53 मिनट तक रहेगी।

स्नान -दान-व्रतादि की पूर्णिमा 13 अप्रैल, रविवार को मनाया जाएगा। चित्रा नक्षत्र 12 अप्रैल, शनिवार की सायं 6 बजकर 08 मिनट से 13 अप्रैल, रविवार की रात्रि 9 बजकर 11 मिनट तक रहेगा। जिससे चैत्र मास की चित्रा नक्षत्रयुता अत्यन्त फलदायी हो गई है। इस दिन चन्द्रमा की विधि-विधानपूर्वक पूजा-अर्चना करने पर अभीष्ट की प्राप्ति बतलाई गई है। पूर्णिमा तिथि चन्द्रमा को समर्पित है, जिनको चन्द्रमा ग्रह की महादशा, अन्तर्दशा, प्रत्यन्तर्दशा का शुभ फल न मिल रहा हो, या चन्द्रमा जन्मकुण्डली में नेष्ट स्थानों में विराजमान हो, उन्हें पूर्णिमा के दिन व्रत-उपवास रखकर चन्द्रमा ग्रह की विशेष पूजा- अर्चना करनी चाहिए।

कैसे करें पूजा ? – प्रख्यात ज्योतिषविद् श्री विमल जैन जी ने बताया कि पौष पूर्णिमा के दिन व्रतकर्ता को प्रात: काल ब्रह्म मूहूर्त में समस्त दैनिक कृत्यों से निवृत्त होकर अपने आराध्य देवी-देवता की पूजा-अर्चना करने के पश्चात् ज्येष्ठी पूर्णिंमा के व्रत का संकल्प लेना चाहिए। व्रत कर्ता को चाहिए कि पूर्ण श्रद्धा, भक्तिभाव व आस्था के साथ श्रीहरि विष्णुजी को ऋतुफल, नैवेद्य, विभिन्न प्रकार के मिष्ठान्न आदि अर्पित करके धूप-दीप के साथ पूजा-अर्चना करनी चाहिए। ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन श्री सत्यनारायण भगवान की भी पूजा -अर्चना का भी विशेष महत्त्व है।

भगवान श्रीविष्णु जी के विग्रह के समक्ष तिल के तेल का दीपक भी जलाना चाहिए। नियमित संयमित रहकर शुचिता के साथ ज्योष्ठी पूर्णिमा का पर्व मनाना चाहिए। आज के दिन श्रीमद् भागवत गीता का पाठ, श्रीविष्णु सहस्त्रनाम का पाठ अथवा ‘ ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय ‘ का जप करने से प्रणाली पापमुत्त-कर्जमुक्त होकर श्रीहरि विषणुजी की कृपा पाता है।धार्मिक पौराणिक मान्यता के अनुसार भक्तों द्वारा इस दिन की जाने वाली पूजा एवं व्रत का विशेष पुण्य प्राप्त होता है तथा ज्येष्ठ पूर्णिमा पर स्नान-दान से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। कुछ धार्मिक उपाय करने से जीवन में आए कष्ट दूर होते हैं वही घर में सुख-सौभाग्य का सुयोग बनता है। ऐसी पौराणिक व धार्मिक मान्यता है कि आज के दिन चावल, घी, खिचड़ी, वस्त्र, मिठाइयां एवं ऋतुफल आदि का दान करना बहुत ही लाभकारी माना गया है। शास्त्रों में कहा गया है कि सत्यनारायण कथा कराने से हजारों साल तक किए गए यज्ञ के बराबर फल मिलता है।

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