घर की दीवारें बन जाएंगी पावर बैंक

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दुनिया की हर इमारत लाल ईंट से बनी है, जो सबसे सस्ती निर्माण सामग्री है। अब इसकी एक नई खूबी सामने आई है। वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि यह ईंट बिजली भी स्टोर कर सकती है। यानी इसका उपयोग एक टिकाऊ बैटरी के रूप में भी किया जा सकता है। वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी के रिसर्चरों ने ईंट की इस नई खूबी को खोजा है।

रिसर्चरों ने बताया कि ईंटें ऊर्जा को स्टोर करने वाली इकाइयों के रूप में काम कर सकती हैं। इसका अर्थ यह हुआ कि इमारतों में दीवारों और अन्य हिस्सों का उपयोग बिजली स्टोर करने के लिए किया जा सकता है। अपनी तकनीक का प्रदर्शन करते हुए रिसर्चरों ने एक ईंट से एक छोटे हरे बल्ब को जला कर भी दिखाया। प्रयोग के लिए चुनी गई ईंटें सामान्य किस्म की ईंटें थीं, जिन्हें बाजार से खरीदा गया था। नई टेक्नॉलजी में ईंटों की छिद्रयुक्त बनावट का उपयोग किया जाता है। ईंट के छिद्रों को एक सुचालक पॉलिमर के सूक्ष्म नैनोफाइबरों से भरा जाता है। इस पॉलिमर को पिडोट कहा जाता है।

जुलिओ डार्सी और उनके सहयोगी पिछले कुछ वर्षों से लोहे की वस्तुओं पर लगने वाली जंग पर रिसर्च कर रहे हैं। उन्होंने जंग की कुछ ऐसी खूबियां खोजी हैं जो मटीरियल साइंस में बहुत उपयोगी हो सकती हैं। जंग दरअसल आयरन ऑक्साइड है। लाल ईंटों में भी इसके अंश मौजूद रहते हैं। रिसर्चर देखना चाहते थे कि क्या ईंटों की छिद्रयुक्त बनावट का उपयोग ऊर्जा जमा करने के लिए किया जा सकता है। ईंट में मौजूद आयरन ऑक्साइड ‘पॉलिमराइजेशन’ क्रिया उत्पन्न करती है जिसकी वजह से पॉलिमर की परत ईंट में ही फंसी रहती है। यही पॉलिमर बिजली को स्टोर करने का काम करता है।

स्मार्ट ईटों के नैनोफाइबर इलेक्ट्रिक चार्ज को स्टोर कर सकते हैं। ये ईंटें छोटी लाइटें जलाने लायक बिजली जमा कर सकती हैं। अगर इनकी क्षमता बढ़ा दी जाए तो ये ईंटें इस समय प्रयुक्त हो रहीं लिथियम आयन बैटरियों का सस्ता विकल्प भी बन सकती हैं। इन स्मार्ट ईटों को बैटरियों के स्थान पर सुपरकैपिसिटर कहना ज्यादा उचित होगा। बैटरियों में रासायनिक क्रियाओं के माध्यम से बिजली जमा की जाती है, जबकि कैपिसिटर ठोस वस्तुओं में स्टेटिक चार्ज के रूप में बिजली स्टोर करता है। सुपरकैपिसिटर का फायदा यह है कि यह बैटरियों की तुलना में ज्यादा तेज रफ्तार से चार्ज और डिस्चार्ज होता है। अभी सुपरकैपिसिटर बिजली का मामूली अंश ही जमा कर पाते हैं। दुनिया भर के रिसर्चर कैपिसिटरों की ऊर्जा भंडारण क्षमता बढ़ाने और बैटरियों की चार्जिंग स्पीड बढ़ाने के लिए रिसर्च कर रहे हैं।

जलवायु संकट का मुकाबला करने के लिए बिजली को स्टोर करने के बेहतर तरीके खोजना अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इनसे अक्षय ऊर्जा को असीमित मात्रा में स्टोर करना और उनका उपयोग करना आसान हो जाएगा। नई रिसर्च से जुड़े वैज्ञानिक डार्सी ने कहा कि घर की छत पर लगे सोलर सेल को कहीं न कहीं बिजली स्टोर करनी पड़ती है और इस काम के लिए हम बैटरियों का उपयोग करते हैं। अब हमने बिजली स्टोर करने के लिए एक नया विकल्प पेश किया है। लेकिन इस विकल्प को हासिल करने से पहले काफी काम अभी बाकी है। लिथियम आयन बैटरियों की तुलना में इन ईंटों का ऊर्जा-घनत्व सिर्फ एक प्रतिशत है। डार्सी का कहना है कि मेटल ऑक्साइड जैसे मटीरियल मिलाकर इन ईंटों की बिजली भंडारण क्षमता में दस गुना वृद्धि की जा सकती है। इससे ये ईंटें भी व्यावसायिक विकल्प बन सकेंगी। यदि हम लिथियम आयन बैटरियों के ऊर्जा-घनत्व की बराबरी करने में कामयाब हो जाते हैं तो हमें ऊर्जा भंडारण का बहुत ही सस्ता विकल्प मिल जाएगा।

बैटरियों की तुलना में सुपरकैपिसिटरों को कई बार चार्ज किया जा सकता है। सुपरकैपिसिटरों को 10000 बार चार्ज करने बाद ही उनकी बिजली भंडारण की क्षमता कमजोर होती है। भारत जैसे विकासशील देशों में पिडोट की परत वाली ईंटें बहुत उपयोगी साबित हो सकती हैं, जहां विद्युत आपूर्ति की अनिश्चितता बनी रहती है। स्मार्ट ईंटें होने पर आपका मकान अपनी बिजली खुद प्राप्त कर सकेगा। एक सुपरकैपिसिटर की तरह काम करने वाली ईंट की दीवार को एक घंटे में हजारों बार चार्ज किया जा सकता है।

मुकुल व्यास
(लेखक स्तंभकार हैं ये उनके निजी विचार हैं)

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