खाली बैठे हो तो एक काम कर दो ना ।
मेरे गांव को मेरा सलाम भेज दो ना ।।
तुम आए ही हो मेरे अतीत बनकर ।
तो किस्से भी पुराने दोहरा दो ना ।
वो चली गई है अब हमसे रुठकर,
हम आज भी उसके हैं।
उसे ये बात खत में लिखकर भेजा दो ना ।।
वो वादे जो किए जा रहे थे चुनाव में,
मिले सरकार के नुमाइंदे तो।
पूरा करा दो ना।।
होठों पर मुस्कुराहट लिए आ रहा है।
जरुर कोई गम छुपाता आ रहा है ।।
मिले हमसे तो बात कोई नाराज़गी ना रखे, वो।
हम बैठे हैं अभी उसके लिए ये राज उसको बता दो ना।।
आज ये सन्नाटा छाया है सड़कों पर,
इस पर बवाल क्यों हो ?
छट जाएगी घटा काली, फिर उजियाला होगा।
धुन वही पुरानी होगी,
बस जीने का ढ़ग बदल जाएगा।
ये भी तो कोई बतलाओ ना ।।
— प्राची राठी