किए धरे पर फेरा जा रहा पानी

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देश की आजादी के बाद से अब तक अपने ही लोगों से शायद कोई भी प्रधानमंत्री इतना परेशान नहीं रहा होगा, जितना की आज प्रधानमंत्री भाई नरेन्द्र मोदी जी है, अब तो ऐसा लगने लगा है कि देश की सत्ता और सत्तारूढ़ दल दोनों में एक अजीब सी सकारात्मक और नकारात्मक जंग चल रही है, मोदी जी और उनके भक्त जब भी देश की प्रगति, कल्याण या सार्वजनिक हित की कोई योजना बनाते है, वैसे ही उनके अपने ही दलीय संगठन या सत्ता के सूत्रों से बंधे लोग विवादस्पद बयान देकर मोदी जी के ‘‘कि ए कराए पर पानी फेर देते है’’, जैसा कि गत रविवार को हुआ, रविवार को जहां प्रतिपक्षी कांग्रेस दल अपनी एक नैत्री के निधन का शोक मना रहा था।

जिसमें प्रधानमंत्री व गृहमंत्री भी सहभागी बने, वहीं दूसरी ओर सत्ता व सत्तारूढ़ दल से जुड़े कुछ हस्तियां अपने मुखारबिंद से अपने ही नेता के सिद्धांतों व नीतियों को श्रद्धांजली अर्पित कर रही थी, जी, यहां मेरा ईशारा जम्मू- कश्मीर के राज्यपाल सतपाल मलिक और भोपाल की वाचाल भाजपा महिला सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर की ओर ही है। राज्यपाल ने जहां पुलिस व सेना के स्थान पर आतंकियों को भ्रष्ट नेताओं व नौकरशाहों को निशाना बनाने की सीख दे डाली, वह भी ऐसे लहजें में जैसे वे आतंकियों के कमाण्डर हो? वहीं भोपाल की बहुचर्चित भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने तो अपने ही नेता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के स्वच्छता मिशन की ही धज्जियां उड़ा कर रख दी, उन्होंने सीहोर के एक कार्यक्र म में स्पष्ट रूप से कह दिया कि ‘‘मुझे नाली या शौचालय साफ करने के लिए सांसद नहीं चुना गया है, मुझे जिस काम के लिए चुना गया है, वह काम मैं बखूबी कर रही हूं’’।

तो आदरणीय सांसद जी क्या लोक सभाध्यक्ष व केन्द्रीय मंत्रीगण ये नहीं जानते थे, जिन्होंने संसद परिसर की स्वयं झाडू लगाकर सफाई की व पूरे देश में आपकी पार्टी के लोग सफाई अभियान जारी रखे हुए है? वैसे इन सांसद महोदया का यह कारनामा कोई नया नहीं है, इससे पहले ये गांधी जी के हत्यारें नाथूराम गोड़से की तारीफ कर चुकी है, जिसके कारण मोदी जी की भावनाओं को काफी ठेंस पहुंची थी और इसी कारण आज तक उनकी सांसद महोदया से संवाद हीनता है। किंतु किया क्या जाए? शिवराज जी को संगठन नेतृत्व ने सांसद महोदया को नियंत्रण में रखने की जिम्मेदारी सौंपी और बैचारे शिवराज जी भी कुछ कर नहीं पा रहे है, अभी तो उनके संसदीय जीवन की शुरूआत ही है, देखते है आगामी पांच सालों में वे कौन-कौन से कीर्तिमान स्थापित करती है?

यह तो हुई मोदी के अपनो के आघात की बात, अब यदि हम देश में धीरे-धीरे निर्मित होते जा रहे उन्मादी माहौल की बात करें तो उससे चिंतित होना स्वाभाविक है। आजकल कोई दिन ऐसा नहीं जाता जब भीड़तंत्र की हिंसा की क्रूर घटनाएं सामने नहीं आ रही हो? भाजपा द्वारा सत्तारूढ़ उत्तरप्रदेश और भाजपा के सहयोगी दल जनता दल(यू) के शीर्ष नेता नीतीश कुमार का बिहार है, बिहार ने तो क्रूरता की सीमाएं ही पार कर ली है, यहां तक तो फिर भी ठीक है, किंतु चूंकि इन क्रूर हत्या काण्डों में मृतकों की संख्या मुस्लिम समुदाय की ज्यादा है, इसलिए अब देश के कथित अशांतिप्रिय मुस्लिम नेताओं ने मुस्लिमों से हथियार उठा लेने तक की अपीलें कर डाली है, और इनके धर्मगुरू शस्त्र चलाने का प्रशिक्षण देने की बात करने लगे है, यदि वास्तव में ऐसा हुआ तो इस कथित धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र का क्या हश्र होगा?

जब धार्मिक कट्टरता शस्त्रों के उपयोग तक पहुंच रही है तो फिर इस देश में कौन सुरक्षित बचेग? कुल मिलाकर देश में जो भयावह वातावरण दिनों-दिन निर्मित हो रहा है, इससे देश का आम आदमी भयभीत है, आज एक ओर जहां प्रतिवर्ष हजारों लोग भूख से मर रहे है, वहीं कुछ लोग ऐसे उन्मादी कुचक्रों के शिकार हो रहे है। अब ऐसे माहौल में पूरा देश मोदी जी की ओर आशा भारी नजरों से निहार रहा है, अब उन्हें न सिर्फ अपने दल या संगठन के वाचालों के प्रति सख्त रूख अपनाना पड़ेगा, बल्कि दूसरी ओर देश में बन रहे भयावह माहौल को खत्म करने के लिए भी यथाशीघ्र कारगर कदम उठाना पड़ेगे वर्ना यही चलता रहा तो जो भयावह स्थिति होगी, उसकी कल्पना भी असंभव है।

ओमप्रकाश मेहता
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं)

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