कांग्रेस के एक ‘बौद्धिक’ नेता जयराम रमेश ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हर समय खलनायक बनाना और उनके हर काम का विरोध करना ठीक नहीं है। उन्होंने यह बात आकाशवाणी करने के अंदाज में कही। उनके कहे को ब्रह्म वाक्य मान उन्हीं के तरह के दो और कांग्रेस नेताओं ने इसे दोहराया भी। कांग्रेस की टिकट पर और ममता बनर्जी के समर्थन से राज्यसभा के लिए चुने गए अभिषेक मनु सिंघवी और केरल की तिरुवनंतपुरम सीट के सांसद शशि थरूर ने जयराम रमेश की बात का समर्थन किया और कहा कि मोदी के अच्छे कामों की तारीफ करनी चाहिए। एक कदम आगे बढ़ कर इन लोगों ने उज्ज्वला आदि योजनाओं की तारीफ भी की।
इन तीनों से पहले पी चिदंबरम ने मोदी के लाल किले से दिए भाषण की तारीफ की थी। चिदंबरम ने प्रधानमंत्री की तीन बातों- जनसंख्या नियंत्रण, पर्यावरण सुधार और जल जीवन मिशन की तारीफ की। पर यह तारीफ किसी काम नहीं आई। तारीफ करने के एक हफ्ते के भीतर ही चिदंबरम की पिछले करीब डेढ़-दो साल से चल रही मुश्किलें अंतिम मुकाम तक पहुंच गईं। उन्हें सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया।
चिदंबरम के बाद जिन तीन लोगों ने प्रधानमंत्री मोदी के अच्छे कामों की तारीफ करने की जरूरत बताई है उनमें से एक शशि थरूर अपनी पत्नी सुनंदा पुष्कर की संदिग्ध मौत के लिए जांच के घेरे में हैं। पिछले दिनों खबर आई थी कि सुनंदा पुष्कर के शरीर पर 15 बाहरी जख्म के निशान थे। ध्यान रहे भाजपा सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी जितनी शिद्दत से चिदंबरम के पीछे पड़े थे, उतनी ही शिद्दत से शशि थरूर के पीछे भी पड़े हैं। मोदी सरकार की अच्छाइयों का गुणगान करने वाले दूसरे नेता सिंघवी हैं। हीरा कारोबारी नीरव मोदी और मेहुल चोकसी के यहां हुई छापेमारी में कुछ ऐसे दस्तावेज बरामद हुए थे, जिनके आधार पर खबर आई थी कि सिंघवी की पत्नी ने कई करोड़ रुपए के हीरे खरीदे थे और नकद भुगतान किया था। शुरुआती चर्चा के बाद यह बात कहीं दब गई है।
सो, संभव है कि मोदी राग गाने के पीछे इन दोनों की कुछ निजी मजबूरियां हों। पर जयराम रमेश ने जो बात कही है क्या देश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी को उस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए? क्या विपक्ष को वैसा आचरण करना चाहिए, जैसा रमेश कह रहे हैं या अब तक जैसा आचरण होता रहा है वैसा ही चलना चाहिए? क्या रमेश की नसीहत पर भाजपा और दूसरी पार्टियों को भी ध्यान देना चाहिए और विपक्ष के अच्छे काम की तारीफ करनी चाहिए?
असल में भारत में या दुनिया के ज्यादातर लोकतांत्रिक देशों में सत्ता पक्ष की तारीफ करने का चलन नहीं रहा है। विपक्ष का काम सरकार के कामकाज में नुक्स निकालने का होता है उसकी तारीफ करने का नहीं। 2004 से 2014 तक भाजपा विपक्ष में थी। क्या रमेश एक भी मिसाल दे सकते हैं, जब भाजपा के नेताओं- उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष, केंद्रीय पदाधिकारी और संसद के दोनों सदनों के नेताओं ने मनमोहन सिंह की तारीफ की हो? मनमोहन सिंह की सरकार में खुद जयराम रमेश मंत्री थे। रमेश सहित कई मंत्रियों और पूरी सरकार ने अनेक अच्छे काम किए। कई बड़े फैसले किए पर भाजपा ने कभी उनकी तारीफ नहीं की। यहां तक कि मनमोहन सिंह के सत्ता से हट जाने के बाद भी प्रधानमंत्री स्तर से उनके लिए रेनकोट पहन कर नहाने का अपमानजनक जुमला बोला गया। प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने मनमोहन सिंह की जिन योजनाओं को हूबहू अपना लिया, विपक्ष में रहते हुए उन्होंने उसकी भी आलोचना की थी।
देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू तक ने भाजपा नेताओं की नजर में कोई अच्छा काम नहीं किया है। पर जयराम रमेश अपनी पार्टी को समझा रहे हैं कि भाजपा सरकार के अच्छे कामों की तारीफ की जानी चाहिए। अभी कांग्रेस के शासन वाले पांच राज्यों में भी कोई न कोई तो अच्छा काम हो ही रहा होगा पर यह ध्यान नहीं आ रहा है कि वहां की विपक्षी पार्टी भाजपा किसी काम की तारीफ करती है। सो, जयराम रमेश की बात का कोई सैद्धांतिक मतलब नहीं है। यह राजनीतिक संदर्भ से हट कर कही गई एक अनर्गल सी बात है, जो रमेश या उनके जैसे दूसरे नेताओं की कोई न कोई निजी मजबूरी या सत्ता के लिए बेचैनी दिखाती है।
अजित द्विवेदी
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं…