रविवार, 28 मार्च को फाल्गुन महीने की पूर्णिमा है। इसे वसंत पूर्णिमा भी कहा जाता है। श्रीमद्भागवत में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि मैं ऋतुओं में वसंत हूं। इसलिए इस पूर्णिमा पर भगवान श्रीकृष्ण की विशेष पूजा करने की परंपरा है। इस दिन व्रत भी किया जाता है। विष्णुधार्मोार पुराण के मुताबिक फाल्गुन महीने की पूर्णिमा पर व्रत करने से पाप खत्म होते हैं और उम्र भी बढ़ती है।
व्रत की परंपरा: जब-जब ऋतुएं बदलती हैं तब-तब मानसिक और शारीरिक बदलाव भी होते हैं। जिससे शरीर में त्रिदोष बढ़ता है यानी वात, पित्त और कफ के असंतुलन से बीमारियों की आशंका बढ़ जाती है। इससे बचने के लिए हिंदू कैलेंडर के आखिरी दिन यानी पूर्णिमा पर व्रत करने की परंपरा बनाई गई है। इस दिन व्रत करने से शरीर में हार्मोंन और अन्य चीजों का संतुलन बना रहता है। इस कारण रोगों से लडऩे की ताकत और उम्र बढ़ती है।
श्रीकृष्ण पूजा की परंपरा: फाल्गुन महीने के आखिरी दिन चंद्रमा अपनी सौलह कलाओं के साथ आसमान में उदित रहता है। इस दिन योगराज श्रीकृष्ण की पूजा की परंपरा बनाई गई है। श्रीकृष्ण पूजा में इस्तेमाल होने वाली चीजें, जैसे दूध, पानी, पंचामृत और मखन पर चंद्रमा का खास असर रहता है। चंद्रमा मन का कारक होता है। इस कारण इन चीजों से भगवान कृष्ण की विशेष पूजा करने से मानसिक शांति मिलती है। श्रीमद्भागवत में कहा गया है कि भगवान कृष्ण की पूजा से जाने-अनजाने में हुए हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं। जिससे इंसान नीरोगी रहते हुए लंबी उम्र जीता है।
श्रीकृष्ण पूजा विधि: सूर्योदय से पहले उठकर पानी में गंगाजल की कुछ बूंदे डालकर नहा लें। इसके बाद श्रीकृष्ण पूजा और दिनभर व्रत रखने का संकल्प लें। फिर घर या मंदिर में जाकर शुद्ध पानी से भगवान की मूर्ति पर जल चढ़ाएं। फिर ताजा दूध, इसके बाद पंचामृत से अभिषेक करना चाहिए। ऐसा करते हुए लीं कृष्णाय नममंत्र का जप करना चाहिए। अभिषेक के बाद में कृष्ण भगवान को चंदन, अक्षत, मौली, अबीर, गुलाल, इत्र, तुलसी और जनेऊ के साथ ही सभी पूजन सामग्री चढ़ाएं। इसके बाद पीला वस्त्र पहनाएं और मखन में मिश्री मिलाकर भगवान को भोग लगाएं। फिर आरती करें और श्रद्धा अनुसार जरूरतमंद लोगों को दान दें।
तुलसी से खत्म होते हैं पाप: पद्म, ब्रह्मवैवर्त, स्कंद, भविष्य और गुरुड़ पुराण में तुलसी का विशेष महत्व बताया गया है। इन पुराणों का कहना है कि पूजा में तुलसी के इस्तेमाल से जाने-अनजाने में हुए पाप खत्म हो जाते हैं। भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण को तुलसी पत्र चढ़ाने से मोक्ष मिलता है। भगवान को चढ़ाई हुई तुलसी को चरणामृत के साथ ग्रहण करने से रोग खत्म होते हैं और उम्र भी बढ़ती है।
वैज्ञानिक रिपोर्ट और रिसर्च: वनस्पति वैज्ञानिक डॉ. जीडी नाडकर्णी का कहना है कि तुलसी के नियमित सेवन से शरीर में ऊर्जा का प्रवाह नियंत्रित रहता है। इंपीरियल मलेरियल कॉन्फ्रेंस के मुताबिक तुलसी मलेरिया की विश्वसनीय और प्रमाणिक दवा है। वैज्ञानिकों ने माना कि तुलसी में एंटीऑसीडेंट होता है। जो शरीर की मृत कोशिकाओं को ठीक करने में मददगार होता है। तुलसी का प्रभाव शरीर में पहुंचने वाले केमिकल या अन्य नशीले पदार्थों से होने वाले नुकसान को कम करता है।