तीसरी लहर में बच्चों को अधिक खतरा को लेकर अब तक भ्रम अधिक फैलाया गया है। अब तक कहा जा रहा था कि यदि कोरोना की तीसरी लहर आई तो इसमें बच्चों को अधिक खतरा होगा। इस बाबत कई रिपोर्ट, कई अलग- अलग बयान आए। राज्यों में सरकारों ने उन रिपोटों को सही मानकर तैयारी भी शुरू कर दी, अस्पतालों में बच्चों के लिए बेड आरक्षित किए जाएं। हालांकि सितंबर तक तीसरी लहर के आने का अनुमान जताया गया है, लेकिन उसकी डरावनी तस्वीर अभी से पेश की जाने लगी थी। एस के डायरेक्टर डा. रणदीप गुलेरिया ने साफ किया है भारत या दुनिया के मामले देखें तो अब तक ऐसा कोई डेटा नहीं आया, जिसमें दिखाया गया है कि बच्चों में अब ज्यादा गंभीर संक्रमण है। अभी ऐसे सबूत नहीं है कि अगर कोविड की अगली लहर आएगी तो बच्चों में ज्यादा गंभीर संक्रमण होगा। देश में कोरोना की दूसरी लहर कमजोर होने से नए केस लगातार कम हो रहे हैं। तीसरी लहर में बच्चों पर इसके बुरे अक्सर लेकर सरकार ने राहत देने वाली बात कही है। एस डायरेक्टर ने बच्चों में गंभीर इंफेशन की आशंका को खारिज किया।
दूसरी लहर में भी जो बच्चे संक्रमित हुए है, उन पर संक्रमण का हल्का असर देखने को मिला है। भविष्य में भी बच्चों के गंभीर रूप से संक्रमित होने की आशंकाओं को खारिज किया। देश में एटिव केस घटकर 13 लाख हो गए हैं। होम आइसोलेशन और हॉस्पिटल मिलाकर रिकवरी रेट 94.3 प्रतिशत हो चुका है। 1से7 जून तक पॉजिटिविटी रेट में 6.3 प्रतिशत की कमी आई है। 7 मई को देश में एक दिन में 4.14 लाख नए केस दर्ज किए गए थे। अब ये एक लाख से भी कम हो गए हैं। सरकार के मुताबिक, भारत में हर 10 लाख आबादी पर 20,822 केस आए हैं। 252 लोगों की मौत हुई है। यह दुनिया में सबसे कम है। 4 मई को 531 ऐसे जिले थे, जहां रोज 100 से ज्यादा मामले दर्ज किए जा रहे थे। ऐसे जिले अव 209 रह गए हैं। पिछले एक सप्ताह में नए केस में 33 प्रतिशत और एटिव केस में 65 प्रतिशत की कमी आई है। अब 15 राज्यों में पॉजिटिविटी रेट 5 प्रतिशत से कम हो गई है। यह अच्छी बात है कि जहां कोरोना की दूसरी लहर धीमी पड़ रही है, वहीं तीसरी लहर को लेकर सरकार ने इसकी तैयारी कर ली है। टीकाकरण पर भी केंद्र सरकार ने स्थिति स्पष्ट कर राज्यों की दुविधा खत्म कर दी है।
राज्यों को आबादी और मरीजों की संख्या के हिसाब से वैसीन की डोज उपलब्ध कराई जाएगी। निजी क्षेत्र के अस्पतालों के लिए भी टीकों की कीमत तय हो जाने से लोगों को सुविधा होगी। कावदे से सरकार को पहले ही टीकाकरण अभिययान को अपने हाथ में रखना चाहिए था। चूंकि देश में आवादी बड़ी है, इसलिए वैसीनेशन में किसी भी स्तर पर लापरवाही लक्ष्य को धीमा कर सकती है। तीसरी लहर में बच्चों को लेकर डर नहीं पैदा किया जाना चाहिए था। यह जांच का विषय है कि जब देश और दुनिया में कहीं भी बच्चों में संक्रमण होने का डेटा ही नहीं है तो आखिर किसने तीसरी लहर में बच्चों को अधिक खतरा संबंधी अनुमान जारी करना शुरू कर दिया। कहीं यह सब टीका व फार्मा लॉबी के दबाव में तो नहीं हुआ? जो भी हो अगर हर स्तर पर स्थिति सुधर रही है तो सरकार को भी किसी स्तर पर हिलाई नहीं बरतनी चाहिए और जनता को भी अनलॉक हो रही स्थिति में एहतियात बरतनी जारी रखनी चाहिए। हमें कोरोना के खतरे को कम करके नहीं आंकना चाहिए। मास्क व दो गज की दूरी का पालन करते रहना चाहिए।